वोटों के ध्रुवीकरण का जादू दोबारा चल पाएगा?
भारतीय जनता पार्टी ने उत्तर प्रदेश को किसी तरह से जीतने का इरादा बना लिया है। नोटबंदी के मूलमंत्र और प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के जादू का असर समाप्त होते ही भाजपा अब यूपी को जीतने के लिए बेचैन हो गई है। भारतीय जनता पार्टी ने लोकसभा चुनाव के मंत्र को फिर अपना लिया है। भाजपा ने सन् 2012 में विधानसभा चुनाव में 45 सीटें जीतीं थी। इसके बाद सन् 2014 के लोकसभा चुनाव में भाजपा ने 80 लोकसभा सीट में से 71 सीटों में प्रचंड जीत हासिल कर सभी दलों को चौँका दिया था। गत आठ नवंबद को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने नोटबदली का निर्णय लेकर देश की आम जनता विशेषकर गरीब वर्ग को अपने पक्ष में कर लिया था, उस समय यह प्रतीत हो रहा था कि देश में भाजपा की लहर चल रही है। उसी समय प्रदेश में चली परिवर्तन यात्रा ने भी भाजपा के पक्ष में जनता का रुख कर दिया था। इसके बाद सपा के पारिवारिक विवाद ने सभी दलों की चमक को फीका कर दिया। इस विवाद के बाद जिस तरह से अखिलेश यादव सियासी क्षितिज पर छाये हुए हैं, वह भाजपा के लिए चिन्ता का कारण बना हुआ है। भाजपा को अपनी चमक फीकी लग रही है। इसमें धार देने के लिए और पश्चिमी उत्तर प्रदेश के मुस्लिम और जाट तथा दलित समीकरण को बिगाडऩे के लिए भाजपा ने लोकसभा चुनाव के समय अपनाए वोटों के ध्रुवीकरण के मंत्र को अपना लिया है। भाजपा ने लखनऊ से जारी अपने घोषणा पत्र में राम मंदिर और तीन तलाक का मुद्दा उठा कर इरादों के संकेत दे दिये हैं। वहीं पश्चिम उत्तर प्रदेश में दो ऐसी घटनाएं भी घटीं हैं जिनसे पूरे प्रदेश में यह संदेश जा रहा है कि भाजपा ही सिर्फ हिन्दुओं के अधिकारों की रक्षा करने वाली अकेली पार्टी है। पूरे भारत के साथ संयुक्त राष्ट्र में अपनी उपस्थिति दर्ज कराने वाला दादरी का बिसाहड़ा कांड के जख्म फिर कुरेदने की कोशिश की गई है। हालांकि वहां के स्थानीय भाजपा प्रत्याशी मास्टर तेजपाल सिंह नागर के खिलाफ एफआईआर दर्ज हो गई है। चुनाव के समय इस तरह की एफआईआर दर्ज होने का कोई महत्व नहीं है क्योंकि इस समय जनता के वोट हासिल करने के लिए यह भी एक उपाय ही है। भाजप प्रत्याशी श्री नागर ने दादरी विधानसभा क्षेत्र के सर्वाधिक चर्चित बिसाहड़ा गांव में उस जगह पंचायत की जहां पर गौं मांस खाने के आरोपी अखलाक को मौत के घाट उतार दिया गया था। बिना इजाजत के पंचायत करने के आरोप में पुलिस ने एफआईआर दर्ज कर ली है। दूसरी घटना भी पश्चिमी उत्तर प्रदेश की है, मेरठ के सरधना विधानसभा क्षेत्र के विधायक संगीत सोम ने अपने चुनावी प्रचार वाहन पर लगे एलसीडी के माध्यम से चुनाव क्षेत्र मेंं प्रचार के दौरान मुजफ्फरनगर के दंगों के दृश्य दिखाने के साथ अपने साथ हुुई प्रशासनिक ज्यादती और अन्य प्रकरण की सीडी का प्रदर्शन किया। इससे उस क्षेत्र में तनाव व्याप्त हो गया है। स्थानीय पुलिस ने उनके खिलाफ जनप्रतिनिधि अनिनियम 1951 की धारा 125 के तहत मुकदमा दर्ज कर लिया है।
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