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Monday, 30 January 2017

अमेरिका से सशंकित भारतीय आईटी कंपनियां चीन की ओर बढ़ीं

ट्रम्प का अगला निशाना भारतीय आईटी कंपनियां

अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप का अगला निशाना भारतीय आईटी कंपनियां और पेशेवर हो सकते हैं। यह दावा अमेरिकी न्यूज बेवासाइट ने कथित तौर लीक हुए ट्रंप के कार्यकारी आदेशों के मसौदे के हवाले से किया है। वेबसाइट ने इन दस्तावेजों को 25 जनवरी को प्रकाशित किया था और अब तक ट्रंप की ओर से जारी आदेश उसी के अनुरूप है। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ट ट्रंप के संभावित फैसलों से आशंकित भारतीय आईटी कंपनियां भी इससे निपटने की रणनीति बना रही है। कंपनियां अब अमेरिका की बजाय चीन और जापान जैसे देशों के अपेक्षाकृत नए बाजार में संभावनाओं को तलाश रही हैं। इसी कड़ी में शंघाई स्थित भारतीय वाणिज्य दूतावास ने इस महीने की शुरुआत में प्रौद्योगिकी कंपनियों के संगठन नैसकॉम के साथ मिलकर एक कार्यक्रम आयोजित किया। इसका मकसद चीनी कंपनियों और भारतीय आईटी कंपनियों के बीच कारोबार को प्रोत्साहित करना था।
वेबसाइट के मुताबिक ट्रंप देश में वैध तरीके से आ रहे कामगारों की संख्या को कम करने को लेकर कृत संकल्प है। इसलिए उनके निशाने पर सबसे पहले एच-1बी वीजा है। मसौदे के मुताबिक कंपनियां केवल अमेरिकियों को नौकरी दें, इसके लिए एच-1बी वीजा की शर्तों को और सख्त किया जाएगा। यह वीजा के उच्च डिग्री धारक को ही मिलेगी। साथ ही वार्षिक आय, नौकरी का प्रकार और कामगारों के बेहतरी की योजनाएं भी शर्तों के रूप में शामिल की जाएंगी। प्रस्तावित कार्यकारी आदेश में ओबामा प्रशासन के उस फैसले को भी पलटने की तैयारी है, जिसके तहत अमेरिका में पढ़ाई करने वालों को ऐच्छिक प्रायोगिक प्रशिक्षण हासिल करने के लिए अतिरिक्त समय रहने की इजाजत मिलती है। एच-1बी वीजा धारक के जीवनसाथी को स्वत: वर्क परमिट देने की नीति भी बंद की जाएगी। पूर्ववर्ती राष्ट्रपति बराक ओबामा ने ग्रीनकार्ड हासिल करने की शर्तों में छूट दी थी, लेकिन ट्रंप इसे वापस लेकर, लगातार तीन और कुल दस साल अमेरिका में रहने की शर्त को बहाल कर देंगे।
अमेरिकी गृहविभाग किसी भी सूरत में विदेशी कामगारों को हतोत्साहित करना चाहता है। इसके मद्देनजर वह एल-1 वीजा धारकों के काम करने की जगह की नियमित तौर पर मुआयना करेगा। यह योजना अगले दो साल में सभी नौकरी आधारित कार्यक्रमों के लिए लागू की जाएगी।

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