हमारे प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को देश के युवाअेां पर बहुत ही नाज है, आज उन्हीं युवाओं ने उनके सपनों को पलीता लगाते हुए युवा जगत को कलंकित कर दिया है। हुआं यूू कि दो बीटेक जैसी उच्चस्तरीय शिक्षा का दुरुपयोग करते हुए दो युवओं ने भारतीय रिजर्व बैंक की वेबसाइट से बैंक ग्राहकों की जानकारी चुराने के बाद में उनसे करोड़ों की ठगी कर ली। इन दोनों युवाओं को दिल्ली पुलिस ने गिरफ्तार किया है। आरोपी विकास और आशुतोष इससे पहले ओडिशा में भी ऐसी ही वारदातों में शामिल रहे हैं। पुलिस ने इनके पास से 100 से ज्यादा फर्जी आधार कार्ड, 500 से ज्यादा फोन नंबर और तीन लाख रुपये जब्त किए हैं। आरोपियों ने चेन्नई से बीटेक की पढ़ाई की है। शिकायतकर्ता ने पुलिस को बताया था कि किसी ने उनके बैंक खाते से लाखों रुपये निकाल लिए हैं। खाते से पैसे निकालने से पहले उनके पास किसी ने आरबीआई की तरफ से फोन किया था। इसके बाद पुलिस ने सर्विलांस के आधार पर इन दोनों को गिरफ्तार कर लिया। आरोपी आरबीआई की वेबसाइट से ऐसे लोगों को छांटते थे, जो एटीएम कार्ड, चेक बुक न पहुंचने या और एटीएम कार्ड दोबारा भेजने की शिकायत करते थे। ऐसे लोगों की जानकारी भी निकालते थे, जो निजी कागजात साइट पर अपलोड करते थे।
अलग-अलग बैंक के मोबाइल पर कॉलर ट्यून : बैंक ग्राहकों को गुमराह करने के लिए आरोपी अलग-अलग बैंक के कॉलर ट्यून को अलग-अलग मोबाइल नंबर पर लगाते थे। पहले वह फोन नंबर पर मिस कॉल देते थे ताकि ग्राहक खुद फोन करे और उन्हें फोन पर बैंक का कॉलर ट्यून सुनाई दे। आरोपी ठगी के पैसे को अलग-अलग ई-वालेट में डालने के बाद ऑनलाइन स्कूटी या बाइक की बुकिंग करते थे। शोरूम मालिक को तीन से चार दिन में ई-वालेट की मदद से पूरा भुगतान किया जाता था। बाद में नई बाइक या स्कूटी को फॉर्म 29 व 30 भरने के बाद सेकेंड हैंड में 30 फीसदी सस्ती कीमत पर बेच देते थे। ठगे रुपयों को ई-वालेट से नकदी में बदल देते थे। यदि ये युवा कैशलेस सोसायटी बनाने में सरकार की अपनी तकनीक का इस्तेमाल करते तों हमें इन पर गर्व होता लेकिन इन्हें नहीं मालूम कि ये दुनिया में भारत को किस तरह से कलंकित कर रहे हैं। इससे एक सवाल जरूर उठ कर सामने आया है कि जब ये मात्र दो नौसिखियों ने रिजर्व बैंक से डाटा चुराकर करोड़ों की हेराफेरी करने में कामयाब रहे हैं और जब किसी प्रोफेशनल हैकर की नजर इस ओर पड़ी तो बहुत भारी पड़ेगा ये कैशलेस ट्रांजेक्शन।
अलग-अलग बैंक के मोबाइल पर कॉलर ट्यून : बैंक ग्राहकों को गुमराह करने के लिए आरोपी अलग-अलग बैंक के कॉलर ट्यून को अलग-अलग मोबाइल नंबर पर लगाते थे। पहले वह फोन नंबर पर मिस कॉल देते थे ताकि ग्राहक खुद फोन करे और उन्हें फोन पर बैंक का कॉलर ट्यून सुनाई दे। आरोपी ठगी के पैसे को अलग-अलग ई-वालेट में डालने के बाद ऑनलाइन स्कूटी या बाइक की बुकिंग करते थे। शोरूम मालिक को तीन से चार दिन में ई-वालेट की मदद से पूरा भुगतान किया जाता था। बाद में नई बाइक या स्कूटी को फॉर्म 29 व 30 भरने के बाद सेकेंड हैंड में 30 फीसदी सस्ती कीमत पर बेच देते थे। ठगे रुपयों को ई-वालेट से नकदी में बदल देते थे। यदि ये युवा कैशलेस सोसायटी बनाने में सरकार की अपनी तकनीक का इस्तेमाल करते तों हमें इन पर गर्व होता लेकिन इन्हें नहीं मालूम कि ये दुनिया में भारत को किस तरह से कलंकित कर रहे हैं। इससे एक सवाल जरूर उठ कर सामने आया है कि जब ये मात्र दो नौसिखियों ने रिजर्व बैंक से डाटा चुराकर करोड़ों की हेराफेरी करने में कामयाब रहे हैं और जब किसी प्रोफेशनल हैकर की नजर इस ओर पड़ी तो बहुत भारी पड़ेगा ये कैशलेस ट्रांजेक्शन।
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