देश का आम बजट व रेल बजट मिलाकर एक बजट पहली बार 1 फरवरी को पेश होने जा रहा है। इस बजट को लेकर सरकार और विपक्षी दलों में रस्साकसी जारी है। उत्तर प्रदेश सहित पांच राज्यों के चुनावों से ठीक पहले बजट पेश किए जाने को लेकर गर्मागर्म बहस जारी है। इस बीच सरकार ने पांचों राज्यों की गरीब जनता को बजट के माध्यम से तोहफा देने की तैयारी शुरू कर दी है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी बड़ी चालाकी से राष्ट्रपति प्रणव मुखर्जी द्वारा हाल ही में नोटंबंदी से परेशान गरीबों की मदद करने की आवश्यकता को बहाना बनाकर बजट मे राहत का प्रावधान करने वाले हैं। ऐसा माना जा रहा है कि इस बार का बजट चुनावी होगा और इसमें गरीबों की मदद करने वाली अनेक घोषणाएं होंगेी। राष्ट्रपति ने हाल ही में नोटबंदी से उत्पन्न स्थिति पर चिंता व्यक्त करते हुए कहा कि देश का गरीब आदमी नोटबंदी से लंबे समय में मिलने वाले फायदे तक इंतजार नहीं कर सकता, उसके लिए सरकार को अवश्य ही कुछ सकारात्मक कदम उठाने चाहिए। सरकार राष्ट्रपति की इसी बात को आगे बढ़ाते हुए गरीबों के लाभ के लिए न्यूनतम बेसिक आय में संशोधन करके नोटबंदी से हुई तकलीफ पर मलहम लगाना चाहती है। विपक्षी दल बजट को चूनाव पूर्व पेश किए जाने की आलोचना कर रहे हैं जबकि सरकार का कहना है कि संसद सत्र के अंतिम दिनों में बजट पारित करने से सरकार को नए साल यानी 1 अप्रैल से बजट राशि नहीं मिल पाती है इसलिए विभाग काम करने में असमर्थ रहते हैं जबकि 1 फरवरी को बजट पेश किए जाने से यह राहत मिल सकती है। चुनाव आयोग के समक्ष विपक्षी दलों ने अपनी शिकायत भी दर्ज कराई हैलेकिन इस पर अभी तक कोई फैसला नहीं आ पाया है। इसलिए यह बजट 1 फरवरी को ही पेश किया जाएगा।
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