समाजवादी पार्टी के विभाजन का मामला चुनाव आयोग के पास पहुंच गया है। चुनाव आयोग ने इस मामले पर अपनी ओर से कार्यवाही करनी शुरू कर दी है। यूपी में पहले चरण का मतदान 11 फरवरी को हे जबकि इसकी चुनावी प्रक्रिया 17 जनवरी से शुरू हो जाएगी। इससे पूर्व सपा को चुनाव चिन्ह और पार्टी के नाम का फैसला होना है। चुनाव आयोग ने दोनों ही गुटों से अपने समर्थक विधायकों,मंत्रियों और पार्टी संगठन के पदाधिकारियों की सूची मांगी है। हाल ही के एक जनवरी के पार्टी के अखिलेश गुट द्वारा बुलाए गए राष्ट्रीय अधिवेशन में उपस्थित लोगों की गणना करें और उनके गुट की बात मानें तो अखिलेश के समर्थन में पार्टी के 96 विधायक और 91 परसेंट राष्ट्रीय संगठन के लोग हैं। यदि यह बात चुनाव आयोग में साबित हो जाती है तो चुनाव आयोग समाजवादी पार्टी और उसका चुनावचिन्ह साइकिल अखिलेश गुट को दे सकता है। दूसरी ओर मुलायम गुट ने अभी तक यह दावा नहीं किया है कि उसके पास कितने विधायक और मंत्री हैं। पार्टी संगठन के कितने पदाधिकारी उसके साथ हैं। हालांकि मुलायम सिंह ने स्वयं को पार्टी का संस्थापक और राष्ट्रीय अध्यक्ष होने के नाते और लगभग 25 साल से विवादरहित अध्यक्ष होने का हवाला देते हुए पार्टी पर अपना कब्जा बनाए रखने की अपील की है। चुनाव आयोग को दोनों गुटों द्वारा सूची भेजे जाने के बाद स्पष्ट हो सकेगा। जानकार सूत्रो केअनुसार इस पर निर्णय इतनी जल्दी नहीं हो सकेगा इसलिए दोनों ही गुटों को नया चुनाव चिन्ह और नए पार्टी के नाम से ही चुनाव लडना होगा।
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