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Sunday, 1 January 2017

ब्याज घटाने से बैंकों को भी होगा लाभ

यह बात देखने सुनने में अवश्य ही अटपटी लग रही होगी लेकिन सत्य यही है कि बैंकों को ब्याज घटाने से लाभ मिलेगा। अब आइए देखते हैं कि किस तरह से लाभ मिलेगा। नोटबंदी के बाद बैंकों के पास वर्तमान समय में लगभग 13 लाख करोड़ रुपया तो पुराने नोटों का जमा है। इसके अलावा और भी करंसी जमा हो सकती है। यदि हम यह कहें कि वर्तमान में बैंकों के पास करंसी का 90 परसेंट से अधिक रुपया जमा है तो कोई गलत बात नहीं होगी। इनमें से 30 प्रतिशत नकदी टर्नओवर में घूम रही होगी बाकी 60 परसेंट करंसी तो बैंकों के पास जाम पड़ी है। इस करंसी पर प्रतिदिन के हिसाब से कितना ब्याज बैंकों को मिलता वह तो रुका हुआ है। कई बैकों को अपने रोजमर्रा के खर्चे चलाने के लिए रिजर्व बैंक से अपनी ऐसेट्स को इस्तेमाल करने की गुहार लगानी पड़ रही है। फिर बैंकों ने पहले से ही बचत बैंक समेत अन्य खातों पर अपना ब्याज घटाकर इतनी बचत कर ली है कि वह कुछ समय तक कम ब्याज पर लोन दे ही सकते हैं। अधिकांश बैंक हर तिमाही पर अपने टर्नओवर की समीक्षा करने के बाद ब्याज की दरों में घटबढ़ करते हैं। फिलहाल तीन महीने की तो बात है। इसके लिए बैंक पहले ही तैयार हो चुके हैं। बैँकों में जाम करंसी को बाजार में फैलाने और कमाने के लिए इस तरह के कदम उठाना घाटे का सौदा नहीं बल्कि फायदे का सौदा है। जो अभी तक ब्याज लेने के बारे में सोच नहीं रहे होंगे वह अब बैंकों के दरवाजे पर दस्तक देंगे। इस तरह से बैंकों के ग्राहक बढ़ेंगे। जब ग्राहक बढ़ेंगे निश्चित रूप से बैंकों को लाभ होगा। यह लाभ इस तरह की तकनीक पर होगा कि एक व्यापारी अपने पुराने रेट पर अड़े रह कर एक वस्तु बेच कर लाभ कमाना चाहता है जबकि चालाक व्यापारी उसमें से कुछ परसेंट लाभ घटाकर नए-नए ग्राहकों को आकर्षित करके सौ वस्तु बेच लेता है। सौ वस्तुओं बेचने वाले व्यापारी का दोहरा फायदा होता है एक तो सौ नए ग्राहक बनें। और इन सौ ग्राहकों से अधिक लाभ भी मिला। इन नए ग्राहकों के माध्यम से और नए ग्राहक आने का अवसर भी मिला। इस तरह से ब्याज घटाने वाले बैंकों को तिहरा लाभ मिलेगा। 

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