भाजपा के पक्ष में आ रहे सर्वे के अनुमानों पर लगा सवालिया निशान
उत्तर प्रदेश में सियासी ऊंट किस करवट बैठेगा? इस अंतिम परिणाम पर अपनी मुहर यूपी के वोटर ही लगाएंगे और परिणाम 11 मार्च को ये परिणाम सामने आएंगे। हालांकि इंडिया टुडे समूह और एक्सिस माई इंडिया के सर्वे मेेंं उत्तर प्रदेश में भाजपा के पूर्ण बहुमत के साथ सत्ता में आने का अनुमान लगाया गया है। सर्वे में पार्टी को 403 में से 206-216 सीटें मिलने की बात कही गई है। सपा के 92-97 सीटों के साथ दूसरी सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरने तो बसपा के 79-85 सीटों के साथ तीसरे स्थान पर रहने की संभावना जताई गई है। इससे पहले मंगलवार को जारी एबीपी न्यूज, लोकनीति और सीएसडीएस के सर्वे में सपा को 141-151 सीटें, भाजपा को 129-139 सीटें और बसपा को 93-103 सीटें मिलती दिखाई गई थीं। इंडिया टुडे समूह और एक्सिस माई इंडिया का सर्वे 12 से 24 दिसंबर के बीच किया गया। इसमें भाजपा के खाते में 206-216 सीटें जाने की बात कही गई है। जो एक्सिस माई इंडिया के अक्तूबर के सर्वे में दिखाई गईं अनुमानित सीटों से लगभग 30 ज्यादा है। वहीं, कांग्रेस की बात करें तो इस सर्वे में पार्टी के 5-9 सीटों पर सिमटने का अनुमान लगाया गया है। रालोद, अपना दल और वामदलों को 7-11 सीटें मिलने की बात कही गई है। इन दोनों सर्वे की बात करें ये सर्वे दिसंबर में हुए हैं और उनके परिणाम उस समय की परिस्थिति के हैं। कहा जाता है कि चुनाव का रुख 24 घंटे में भी बदल जाता है। ये सर्वे चंद इलाके के चंद लोगों के होते हैं। इस तरह के सर्वे से पूरे प्रदेश के सियासी रुख का अनुमान व्यक्त नहीं किया जा सकता।आइए जमीनी हकीकत देखते हैं कि प्रदेश में सियासी ऊंट किस करवट बैठ सकता है? प्रदेश में चाहे जितनी कानूनी पाबंदियां लग जाएं या कोई सख्त कानून आ जाए तब भी यहां का चुनाव धर्म और जाति पर आधारित होगा। भाजपा नोटबंदी की लहर पर सवार है, बसपा ने दलित-मुस्लिम की रणनीति पर चल रही है, सपा गुटबाजी में उलझी है। कांग्रेस की मुख्यमंत्री पद की प्रत्याशी श्रीमती शीला दीक्षित स्वयं ही अखिलेश के समर्थन में खड़ीं दिखाई दे रहीं है। शेष पार्टी की बात ही क्या करें? अब भाजपा का वोट बैंक सवर्ण और व्यापारी वर्ग है। नोटबंदी के चलते कारोबार ठप होने से व्यापारी वर्ग प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी से नाराज है लेकिन वह किसी अन्य पार्टी को वोट नहीं देगा तो वह भाजपा के पक्ष में वोट करने से परहेज करेंगा। इससे भाजपा का वोट प्रतिशत प्रभावित हो सकता है। लोकसभा में हिन्दू समर्थित युवाओं की लहर के कारण यूपी में भाजपा को प्रचंड जीत मिली थी। अब नोट बंदी के चलते व्यापारी नाराज है, मुस्लिम तो बहुत ही नाराज है। सपा की गुटबाजी के चलते मुस्लिम वोट बसपा की ओर झुक सकते हैँ। जिस बसपा की अनदेखी की जा रही है, वही बसपा सबसे बड़ी पार्टी बन कर सामने आ सकती है। आज की स्थिति यह है कि मुस्लिम वोटर उसे वोट देना चाहता है जो भाजपा को हराने की स्थिति में हो। वह अपना वोट जाया नहीं करना चाहता। इस समय नोटबंदी के फैसले से सबसे अधिक परेशान मुस्लिम वर्ग बदला लेने के लिए कांग्रेस और विभाजित सपा को भूलकर बसपा को एकजुट होकर वोट दे सकता है। प्रदेश के दलित वोट बैँक के साथ मुस्लिमों का 21 प्रतिशत वोट गिफ्ट के रूप में मिल सकते हैं। प्रदेश की 105 सीटें ऐसीं हैं जिस पर मुस्लिम बोटर ही निर्णायक भूमिका निभाता है। इसके अलावा 20 सीटें ऐसीं हैं जहां मुस्लिम वोटर प्रभावी भूमिका निभाता है। इस तरह से 125 सीटें सीधे बसपा को मिलती दिखाईं पड़ रहीं हैं। दूसरी तरफ उसे अपनी परंपरागत सीटें मिल सकतीं हैं। इसके अलावा यदि लहर चली तो बसपा को कुछ और सीटें मिल सकतीं हैं तो भाजपा और बसपा में बराबर की टक्कर हो सकती है। भाजपा को इन सर्वे के भ्रम में आकर अतिविश्वास में नहीं आना चाहिए।
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