द हिन्दू में प्रकाशित साइंस एडवांसेज पत्रिका के नए अध्ययन से से यह पता चला है कि चंद्रमा की उत्पत्ति पृथ्वी और उपग्रहों के भ्रूणों, जिन्हें थिया कहा जाता है, के टकराहट से हुई है। साधारणतया यह कहा जाता है कि प्रलय या कयामत के बाद नया सौर मंडल या कायनात बनी है। नए अध्ययन में इसी ओर संकेत जाता है। इस अध्ययन में यह बताया गया है कि चंद्रमा की उत्पत्ति सौर प्रणाली के जन्म के 60 मिलियन वर्ष के बाद हुई है। अमेरिका की युनिवर्सिटी आफ कैलिफोर्निया की शोधकर्ता सुश्री मेलानी बारबोनी ने बताया कि वैज्ञानिकों द्वारा किए गएबहुत बारीकी विश्लेषण से यह निष्कर्ष निकाला है कि चंद्रमा की उत्पत्ति किस प्रकार हुई होगी। सुश्री बारबोनी बतातीं हैं कि हमें यह वेशकीमती जानकारी पृथ्वी और सौर मंडल की खोज में लगे अंतरिक्षयात्रियों के अनुभव और इस काम में लगे उपग्रह विशेषज्ञ वैज्ञानिकों के कड़े अध्ययन के माध्यम से मिल सकी है। उनका कहना है कि चंद्रमा की आयु और निर्माण की सच्ची जानकारी जुटाना बहुत ही कठिन कार्य है क्योंकि हमें इसके लिए यह पता लगाना होता है कि सौर मंडल की उत्पत्ति के दौरान किस तरह की उथल-पुथल हुई होगी। अच्छे-अच्छे वैज्ञानिक यह पता लगाने में नाकाम रहे हैं कि थिया नामक ग्रहों के भूणों के साथ पृथ्वी से हुए टकराव से पहले क्या हुआ था? इसका पता लगाना बहुत ही महत्वपूर्ण है क्योंकि इससे वैज्ञानिकों को इसके बाद की बड़ी घटनाओं की जानकारी जुटाने में लगातार मदद मिलती रहेगी।
वह बताती हैं कि चंद्रमा के रहस्यों को जान पाना पहुत ही मुश्किल काम है क्योंकि चंद्रमा की चटटानें कई परतों और कई तरह के पत्थर के टुकड़ों से मिलकर बनी हैं। इसमें पैचवर्क भी बहुत है। इन सबका विश्लेषण करना बहुत ही बारीकी काम है।
वह बताती हैं कि चंद्रमा के रहस्यों को जान पाना पहुत ही मुश्किल काम है क्योंकि चंद्रमा की चटटानें कई परतों और कई तरह के पत्थर के टुकड़ों से मिलकर बनी हैं। इसमें पैचवर्क भी बहुत है। इन सबका विश्लेषण करना बहुत ही बारीकी काम है।
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