द हिन्दू में प्रकाशित साइंस एडवांसेज पत्रिका के नए अध्ययन से यह पता चला है कि वँज्ञानिकों ने किस तरह से विश्लेषण करके यह खोज निकाला कि चंद्रमा की असली आयु क्या है? यूरेनियम और लुटेशियम के माध्यम से चंद्रमा की चटटानों की प्राचीनता को लेकर खोजबीन की गई जिसे हाफनियम कहते हैं। शोधकर्ताओं ने चट्टानों की शकल-सूरत का गहन विश्लेषण करने के बाद ही यह अनुमान लगा पाया कि चंद्रमा की उत्पत्ति कब हुई।
युनिवर्सिटी आफ कैलिफोर्निया के प्रोफेसर केविन मेगीगेन ने बताया कि जिरकोन का अध्ययन हमारे लिए बहुत बढिय़ा घड़ी साबित हुई है। इसमें ऐसा बढिय़ा मिनरल का निष्कर्ष है जो अपने आप में भूगर्भ के उथल-पुथल का इतिहास समेटे हुए है और भूगर्भ की प्रत्येक हलचल का संकेत भी देता है।
उन्होंने चंद्रमा की उत्पत्ति की कहानी के बारे में बताया कि थिया और पृथ्वी के टकराव से पहले तरल रूप मे चंद्रमा का जन्म हुआ। उसके बाद ये तरल रूप जैसे-जैसे ठंडा होता गया, वैसे-वैसे ठोस रूप लेता गया। ऐसा माना जाता है कि चंद्रमा के जन्म के समय उसका अग्र भाग मेगमा से ढका हुआ था।
युनिवर्सिटी आफ कैलिफोर्निया के प्रोफेसर केविन मेगीगेन ने बताया कि जिरकोन का अध्ययन हमारे लिए बहुत बढिय़ा घड़ी साबित हुई है। इसमें ऐसा बढिय़ा मिनरल का निष्कर्ष है जो अपने आप में भूगर्भ के उथल-पुथल का इतिहास समेटे हुए है और भूगर्भ की प्रत्येक हलचल का संकेत भी देता है।
उन्होंने चंद्रमा की उत्पत्ति की कहानी के बारे में बताया कि थिया और पृथ्वी के टकराव से पहले तरल रूप मे चंद्रमा का जन्म हुआ। उसके बाद ये तरल रूप जैसे-जैसे ठंडा होता गया, वैसे-वैसे ठोस रूप लेता गया। ऐसा माना जाता है कि चंद्रमा के जन्म के समय उसका अग्र भाग मेगमा से ढका हुआ था।
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