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Tuesday, 3 January 2017

किस तरह की राजनीति करतीं हैं मायावती?

जातिविहीन,धर्मनिरपेक्ष राजनीति के मायने ही अलग हैं

बसपा सुप्रीमो सुश्री मायावती ने उत्तर प्रदेश विधानसभा की सभी 403 सीटों के लिए अपने प्रत्याशी घोषित कर दिए हैं। सुश्री मायावती ने इस तरह से अपने प्रत्याशियों को बेबाक होकर अपना प्रचार कार्य शुरू करने के लिए हरी झंडी दिखा दी है। दूसरे दलों पर धर्म व जाति व समुदायगत राजनीति करने का आरोप लगाने वाली सुश्री मायावती कहतीं हैं कि बसपा जातिवादी राजनीति नहीं करती। एक बाद उनकी प्रेस कांफ्रेंस की खासियत देखों को स्वयं पता चल जाएगा कि वह किस तरह की राजनीति करती हैं। वह अपनी प्रेस कांफे्रंस में कहती है कि सपा में घमासान चलेगी और अखिलेश व शिवपाल सिंह खेमें वोट बंटेंगे। इससे मुसलमान वोट बटेंगे इसका फायदा भाजपा को मिलेगा। मायावती के बयान में यहां पर मुसलमानों को साफ चेतावनी देना है कि सपा को वोट मत देना क्योंकि वह वोट तुम्हारा बेकार जाएगा। यह है राजनीति का पहला तरीका धर्मनिरपेक्षता का? इससे आगे बढ़ते हैं कि बसपा सुप्रीमों ने क्या कहा? वह कहतीं हैं कि यूपी में यादव का वोट 5 परसेंट है जो 60-70 विधानीाा सीटों पर निर्णायक हैं। इसी के चलते मायावती ने अपनी पार्टी से 106 ओबीसी प्रत्याशी मैदान से उतारे हैं , यह है उनकी जातिविहीन राजनीति का पहला उदाहरण। आइए देखते हैं इसका दूसरा उदाहरण क्या है? वह कहतीं हैं कि बसपा ने ओबीसी और सवर्णोंको टिकट दिया है। इससे इन प्रत्याशियों को उनकी जाति के साथ दलित वोट मिलेगा। दलितों को पता है कि बसपा उनके लिए संघर्ष करती है। आप तो पूरी तरह समझ गए होंग कि मायावती किस तरह से धर्म,जाति और समुदाय की राजनीति करके उस पर बड़ी सफाई से परदा डालतीं हैं। यही नही मायावती ने अपनी प्रेस कांफ्रेंस में जिस तरह से कांग्रेस से वोट न बांटने की अपील की है। उससे लगता है कि कांग्रेस वोट कटवा पार्टी बन कर रह जाएगाी। मायावती को उससे मुस्लिम वोट कटने का खतरा बना हुआ है।
अब एक नजर दलितों की मसीहा की सियासी जादूगरी पर डालते हैं। मायावती ने अपनी पार्टी में सबसे अधिक सवर्णों को 113 टिकट दिए हैँ, उनमें भी आधे से अधिक ब्राह्मणों को टिकट दिया है। 36 क्षत्रिय प्रत्याशी भी हैं। इसके बाद ओबीसी का नंबर आता हैं, उन्हें 106 टिकट दिए हैँ। इसमें उन्होंने यह नहीं बताया कि यादवों को कितना टिकट दिया है। इसके बाद मुस्लिमों का नंबर आता है उन्हें 97 टिकट दिए हैं। सबसे कम टिकट दलितों को 87 सीट पर उतार कर दिया है। इससे यह पता चलता है कि मायावती ने दलितों का कितना भला किया है। 

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