नोटबंदी के बाद आपने अपने खाते में अपने नियमित टर्नओवर से अधिक राशि जमा की है तो आपको निश्चित रूप से आयकर विभाग की ओर से नोटिस मिल सकता है। नोटिस का मतलब सीधा जुर्माना या जेल की सजा नहीं है बल्कि आयकर विभाग को आपके खाते में मिली जानकारी के बारे में आपसे स्पष्टीकरण मांगना है। स्पष्टीकरण में आपको सही जवाब देना होगा। सही जवाब देने पर और अपना नियमित कर अदा करने पर आपको किसी तरह के दंड का प्रावधान लागू नहीं होगा। इसलिए आप अपनी नोटिस को सावधानीपूर्वक पढ़ें और स्वयं जानते हों तो अपना जवाब खुद तैयार करें ओर यदि नही तो किसी जानकार टैक्स कंसलटेंट से सलाह लेकर अपना जवाब दाखिल करवांएं। आइए एक नजर डालते हैं कि आयकर के कानून की किन-किन धाराओं के तहत नोटिस भेजे जाते हैं।
धारा 131 (1क) : इस धारा के तहत आने वाले नोटिस के लिए कोई तय मियाद नहीं होती हे।
धारा 142 (1) : इस धारा के तहत आने वाले नोटिस के लिए एससेमेंट ईयर की अंतिम तिथि तय होती है।
धारा 143 (1) : इस धारा के तहत आने वाले नोटिस के लिए वित्तीय वर्ष की समाप्ति के बाद समाप्त होने वाले एक वषै से पहले जिसमे ं रिटर्न दाखिल किया गया हो।
धारा 142 (2) : इस धारा के तहत आने वाले नोटिस के लिए तय समय जिस वर्ष में रिटर्न दाखिल किया गया है उस वित्तीय वर्ष में अंतिम तिथि से छह माह पूर्व का समय होता है।
धारा 148 : इस धारा के तहत आने वाले नोटिस का पीरियड एक लाख से कम की राशि वाले आयकर दाता के लिए चार वर्ष और एक लाख से अधिक की राशि के लिए छह वषर्
का समय तय होता है।
धारा 156 : इस धारा के तहत आने वाले नोटिस के लिए कोई समय तय नहीं होता है।
धारा 245 :इस धारा के तहत आने वाले नोटिस के लिए कोई समय तय नहीं होता है।
धारा 131 (1क) : इस धारा के तहत आने वाले नोटिस के लिए कोई तय मियाद नहीं होती हे।
धारा 142 (1) : इस धारा के तहत आने वाले नोटिस के लिए एससेमेंट ईयर की अंतिम तिथि तय होती है।
धारा 143 (1) : इस धारा के तहत आने वाले नोटिस के लिए वित्तीय वर्ष की समाप्ति के बाद समाप्त होने वाले एक वषै से पहले जिसमे ं रिटर्न दाखिल किया गया हो।
धारा 142 (2) : इस धारा के तहत आने वाले नोटिस के लिए तय समय जिस वर्ष में रिटर्न दाखिल किया गया है उस वित्तीय वर्ष में अंतिम तिथि से छह माह पूर्व का समय होता है।
धारा 148 : इस धारा के तहत आने वाले नोटिस का पीरियड एक लाख से कम की राशि वाले आयकर दाता के लिए चार वर्ष और एक लाख से अधिक की राशि के लिए छह वषर्
का समय तय होता है।
धारा 156 : इस धारा के तहत आने वाले नोटिस के लिए कोई समय तय नहीं होता है।
धारा 245 :इस धारा के तहत आने वाले नोटिस के लिए कोई समय तय नहीं होता है।
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