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Friday, 13 January 2017

लड़ रहे हैँ पिता-पुत्र, नुकसान हो रहा है इनका

समाजवादी पार्टी के लिए पिता-पुत्र के बीच चल रही सियासी द्वंद्व थमने का नाम नही ले रहा है और नुकसान उन लोगों का हो रहा है जो समाजवादी पार्टी की प्रचार सामग्री बनाकर बाजार की राह ताक रहे हैं। इनके सामने समस्या यह है कि वह प्रचार सामग्री में कौन सा चुनाव चिन्ह लगाएं। साइकिल लगाते हेँ और यह चुनाव चिन्ह आयोग में जब्त हो जाता है तो उनकी प्रचास सामग्री बेकार हो जाएगाी और उनका नुकसान हो जाएगा। इस तरह से लाखों का नुकसान ऐसे प्रचार सामग्री छापने वालों का हो भी चुका है। इनमें से तमाम ऐसे व्यापारी है जो दिनरात ईश्वर से एक ही प्रार्थना कर रहे हैं कि पिता-पुत्र दोनों के बीच फिर से पुरानी वाली एका हो जाए और चुनाव चिन्ह साइकिल भी बना रहे तो उनका कारोबार चल निकलेगा। फिलहाल चुनाव आयोग के मुलायम सिंह के तेवर देखते हुए इस बात की बहुत कम उम्मीद है कि दोनों गुटों के बीच समझौता हो सकता है। शुक्रवार को चुनाव आयोग के समक्ष मुलायम सिंह ने आरोप लगाया कि अखिलेश कैम्प के लोग मुर्दों के शपथ पत्र ला रहे हैं। हालांकि इस लड़ाई में अखिलेश यादव की भूमिका बहुत ही सराहनीय है। वह अपने पिता के खिलाफ एक भी शब्द नहीं बोल रहे हैँ।
लखनऊ में विक्रमादित्य मार्ग स्थित सपा मुख्यालय के आसपास प्रचार सामग्री का व्यापार करने वाले कई स्टोर मालिकों ने अपनी व्यथा बताते हुए कहा कि चुनाव के इस पीक टाइम में इस तरह से समय बर्बाद होने की कल्पना तक नही की थी। विनय सक्सेना नामक व्यापारी ने बताया कि पहले तो नोटबंदी ने कारोबार को काफी चोट पहुंचाई अब सपा परिवार की लड़ाई के कारण उनका कारोबार नहीं चल पा रहा है। उन्होंने बताया कि मेरा अब तक 2-3 लाख रुपये का नुकसान हो चुका है। उन्होंने इस बारे में जानकारी देते हुए बताया कि हमारे पूर्वांचल के सपा प्र्रत्याशियो के 25 आर्डर कैंसिल हो चुके हैं। हमारे 20 हजार पोस्टर व झंडे बेकार स्टोर में पड़े हुए हैं। इनकी कीमत सवा लाख रुपये हैं, इनका का दस परसेंट पेशगी के तौर पर मिला है। बाकी का नुकसान हो गया।
इसी तरह एक अन्य स्टोर मालिक दीपू अग्रवाल ने बताया कि 5 से 7 लाख रुपये का कारोबप होने का अनुमान था लेकिन अब तक अनिश्चितता के बादल मंडराने के कारण कोई काम नहीं मिल रहा है। लोगों ने 2 लाख बैग्स और झंडे के आर्डर को फिलहाल रोक दिया है। अग्रवाल ने कहा कि अगर चुनाव चिन्ह साइकिल जब्त हो जाता है तो इस चुनाव चिन्ह वाले बने पड़े पोस्टरख् बैनर का बहुत नुकसान होगा। उनका कहना था कि पार्टी भले ही बंट जाए लेकिन हम व्यापारी तो अंतिम क्षणों तक यही दुआ करते रहेंगे कि परिवार फिर से एक हो जाए और साइकिल भी बनी रहे।
एक अन्य स्टोर संचालिका आयुषी श्रीवास्तव ने विश्वास जताया कि यह पिता-पुत्र का झगड़ा है, आपस में निपटा लेंगे। एक अन्य सपा कार्यकर्ता का कहना है कि मुलायम और अखिलेश दोनों के बिना ही समाजवादी पार्टी अधूरी है। 

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