समाजवादी पार्टी के विवाद मंगलवाार को भी झूमा झटकी के बीच अंतत: चरम पर पहुंच गया। अब पार्टी में विभाजन होना तय है। अखिलेश यादव ने नई दिल्ली में अपने पिता से अकेले में बात कर उनसे एक बार सुलह की कोशिश की किन्तु उन्होंने अपनी पूर्व की शर्तें मानने की जिद रखी। उन्होंने अपने पिता के समक्ष यह भी प्रस्ताव रखा कि यदि वे उनकी शर्ते मांन लेते हैं तो वे अपना पार्टी अध्यक्ष पद तत्काल छोड़ देंगे। किन्तु मुलायम सिंह यादव ने भी जिद की राह पकड़ते हुए उनकी बात न मानने का संकेत दिया और अंतत: अखिलेश यादव ने अकेले चुनाव लडऩे का मन बना लिया है। जानकार सूत्रों की बात मानें तो यह मामला चुनाव आयोग समक्ष चला गया है। मुलायम सिंह यादव ने पहले चुनाव आयोग के समक्ष पेश होकर अपनी पार्टी को असली समाजवादी पार्टी करार देते हुए साइकिल चुनाव चिन्ह पर दावा किया है। हालांकि दूसरी ओर से अभी यह स्पष्ट नहीं हैकि अखिलेश कैम्प की ओर से चुनाव आयोग कोई गया या नहीं किन्तु अब अगली कार्यवाही चुनाव आयोग में पार्टी के 90 प्रतिशत कार्यकर्ता के साथ होने के कारण पार्टी और चुनाव चिन्ह पर दावा किया जाएगा। किन्तु इस बीच जानकार लोगों का मानना है कि यह मामला चुनाव आयोग में पहुंचते ही चुनाव चिन्ह साइकिल और समाजवादी पार्टी का नाम जब्त हो जाएगी और अगले पांच महीने के बाद ही इस मामले की सुनवाई हो सकेगी। इसके बाद ही चुनाव आयोग कोई निर्णय सुना पाएगा। इस बीच यदि राज्य में चुनाव होते हैं तो दोनों गुटों को पार्टी का नया नाम और नया चुनाव चिन्ह आवंटित किया जाएगा। अखिलेश कैम्प के ेजानकार सूत्रों की माने तों अखिलेश ऐसी स्थिति में अपनी पार्टी का नाम माडर्न समाजवादी पार्टी और चुनाव चिन्ह मोटर साइकिल मांग सकते हैं।
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