प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के समक्ष आने वाले 29 दिन बहुत ही चुनौती भरे रहने वाले हैं। एक विधानसभा क्षेत्र के लिए एक प्रत्याशी को 28 से लेकर 72 दिन मिलने वाले हैं, वहीं पांच राज्यों की चुनावी तैयारियों के लिए पीमए मोदी को मात्र 29 दिन मिलेंगे। इन 29 दिनों में पीएम को ऐसी भूमिका बनानी होगी कि जिनके दम पर चुनावी लहर उत्पन्न हो और लहर पर सवार होगा भाजपा की नैया पार हो जाए। उत्तर प्रदेश में बसपा से कड़ा मुकाबला होने वाला है। सपा के दो गुटों में बंटने के कारण मुकाबला उतना कड़ा नहीं रह गया है। कांग्रेस भी हालत उतनी तगड़ी नहीं जितनी कि अगस्त में समझी जा रही थी जब राज बब्बर को प्रदेश अध्यक्ष और शीला दीक्षित को मुख्यमंत्री पद का प्रत्याशी घोषित किया गया था। अब यह कांग्रेस सपा के अखिलेश धड़्े से हाथ मिलाने की जुगत में है। पंजाब में कांग्रेस के अमरिंदर सिंह पूरा जोर लगा रहे हैं उधर लोकसभा में चार सांसदों का जिताने वाली आम आदमी पार्टी आत्म विश्वास से लबरेज है और वह भाजपा-शिरोमणि अकाली दल के गठबंधन को कड़ी टक्कर देने की फिराक में है। वहीं गोवा में भी भाजपा को आम आदमी टक्कर देना चाहता है। उत्तराखंड में विघटित कांग्रेस को उतना शक्ति शाली नहीं माना जा रहा जो स्थिति एक वर्ष पूर्व कांग्रेस की रहा करती थी। मणिपुर में कांग्रेस शासन में है, भाजपा सेंध लगाने की फिराक में है।
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