सन् 2014 में हुए लोकसभा चुनाव में नरेन्द्र मोदी पर सबसे अधिक विश्वास युवाओं ने किया था। सच कहें इसी युवा ने नरेन्द्र मोदी को प्रचंड समर्थन देकर बहुमत वाली सत्ता दिलाई थी,जिसकी कल्पना नरेन्द्र मोदी और उनकी पार्टी के झंडावरदारों ने कभी की नहीं होगी। इतिहास गवाह है कि युवाओं ने जब-जब चाहा निजाम बदल दिया। चाहे वह स्वतंत्रता संग्राम के मंगल पांडे से लेकर भगत सिंह, राज गुरु, अशफाक उल्ला खान, चन्द्रशेखर आजाद, सुभाष चन्द्र बोस रहें हों या अन्य कोई जिन्होंने अंग्रेजों को देश से खदेडऩे की पटकथा लिख दी थी। आजादी के बाद से लगातार सत्ता में कब्जा जमाए रखने वाली इंदिरा गांधी का तख्ता पलट युवाओं ने ही किया था। पिछली मनमोहन सिंह की सरकार को युवाओं ने ही सत्ता से बाहर करके आपको स्थापित किया है। प्रधानमंत्री जी सिर्फ इतनी सी बात कहना चाहता हूं कि आप देशहित में अनेक कार्य कर रहे हैं। देश की अर्थव्यवस्था की सफाई करने के लिए नोटबंदी एवं बेनामी एक्ट लागू करने का बहुत ही अच्छा काम किया है। इसके अच्छे एवं सुखद नतीजे भी दिखने लगे हैं। इसके लिए आपको बहुत-बहुत धन्यवाद। जब आपने 31 दिसम्बर को बुजुर्गों,किसानों,गर्भवती महिलाओं एवं कर्जदारों को राहत देने के अनेक ऐलान किया तो काफी सुखद अनुभूति हुई। बैंकों ने आपके बयान को आदेश मानकर अपने ऋण पर ब्याज कम कर दिए लेकिन यह ब्याज सिर्फ आवास और कार लोन पर कम किए हैं।
आपको मालूम हो कि एक युवा आजकल अपने पैरों पर खड़ा होने के लिए कौन-कौन से उपाय नहंीं करता। आजकल की उच्चस्तरीय महंगी पढ़ाई पढऩे के लिए अपना खेत बेच डालता है, घर गिरवीं रख देता है, इस पर भी काम नहीं चलता तो बैंक से एजूकेशन लोन लेता है। महंगी पढ़ाई के बाद जब वह रोजगार तलाशने को निकलता है तो बाजार की मंदी, जबर्दस्त कंपटीशन की मार झेलता है। उधर बैंक द्वारा एजूकेशन लोन पर भारी भरकम 13.5 परसेंट का ब्याज लगाया जाता है। उस युवक को रोजगार मिला हो या न मिला है एक समय के बाद उसके बचत बैँक खाता से जमा राशि को अपने हक में काट कर उसे ईएमआई देने को बाध्य कर दिया जाता है। परिवार का मुखिया किसी कारण से बेरोजगार हो जाता है, उसके परिवार की कोई सम्पत्ति या आय का अन्य साधन नहीं है तो ऐसे परिवार के समक्ष इस भारी भरकम ब्याज वाला लोन आत्महत्या का कारण बन सकता है। यह परिस्थिति आपके समक्ष इसलिए बयान की जा रही ताकि आपको जिन युवाओं ने अपने कंधे पर उठाकर प्रधानमंत्री बनाया है ,उसमें से बहुत बड़ा हिस्सा ऐसे युवाओं का है जो बैँक के भारी भरकम ब्याज के बोझ तले दब कर दर्दनाक स्थिति झेलने को तैयार हैं। अब पांच राज्यों की विधानसभा के चुनाव होने जा रहे हैं और इसके दो साल बाद ही 2019 में लोकसभा के चुनाव फिर आने वाले हैं। इस मिनी आम चुनाव और आम चुनाव में युवाओं की भूमिका अहम रहने वाली है। यदि आप इस एजूकेशन लोन के बारे में भी बैंकों को कुछ निर्देश देंगे तो युवाओंं को राहत मिलेगी तो वह आपका पक्का वोट बैंक बन सकता है। युवा के दिल के दर्द को जानें तो बेहतर होगा।
आपको मालूम हो कि एक युवा आजकल अपने पैरों पर खड़ा होने के लिए कौन-कौन से उपाय नहंीं करता। आजकल की उच्चस्तरीय महंगी पढ़ाई पढऩे के लिए अपना खेत बेच डालता है, घर गिरवीं रख देता है, इस पर भी काम नहीं चलता तो बैंक से एजूकेशन लोन लेता है। महंगी पढ़ाई के बाद जब वह रोजगार तलाशने को निकलता है तो बाजार की मंदी, जबर्दस्त कंपटीशन की मार झेलता है। उधर बैंक द्वारा एजूकेशन लोन पर भारी भरकम 13.5 परसेंट का ब्याज लगाया जाता है। उस युवक को रोजगार मिला हो या न मिला है एक समय के बाद उसके बचत बैँक खाता से जमा राशि को अपने हक में काट कर उसे ईएमआई देने को बाध्य कर दिया जाता है। परिवार का मुखिया किसी कारण से बेरोजगार हो जाता है, उसके परिवार की कोई सम्पत्ति या आय का अन्य साधन नहीं है तो ऐसे परिवार के समक्ष इस भारी भरकम ब्याज वाला लोन आत्महत्या का कारण बन सकता है। यह परिस्थिति आपके समक्ष इसलिए बयान की जा रही ताकि आपको जिन युवाओं ने अपने कंधे पर उठाकर प्रधानमंत्री बनाया है ,उसमें से बहुत बड़ा हिस्सा ऐसे युवाओं का है जो बैँक के भारी भरकम ब्याज के बोझ तले दब कर दर्दनाक स्थिति झेलने को तैयार हैं। अब पांच राज्यों की विधानसभा के चुनाव होने जा रहे हैं और इसके दो साल बाद ही 2019 में लोकसभा के चुनाव फिर आने वाले हैं। इस मिनी आम चुनाव और आम चुनाव में युवाओं की भूमिका अहम रहने वाली है। यदि आप इस एजूकेशन लोन के बारे में भी बैंकों को कुछ निर्देश देंगे तो युवाओंं को राहत मिलेगी तो वह आपका पक्का वोट बैंक बन सकता है। युवा के दिल के दर्द को जानें तो बेहतर होगा।
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