नोटबंदी के बाद प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के इस फैसले से नाराज वर्ग ने एक जुमला बनाया था ‘हर-हर मोदी-घर घर खोदी’। इस जुमले का मतलब था कि प्रधानमंत्री के फैसले से गृहणियों की प्रिवी पर्स भी खुलकर सामने आ गई। कालेधन वाले घबरा गए और हरेक को अब अपना पैसा निकालने को मजबूर होना पड़ रहा है। यह हकीकत तब सामने आ गई है जब कालेधन की जांच पड़ताल में लगी फाइनेंशियल इंटेलिजेंस यूनिट ने आंकड़े जारी किए। एफआईयू ने बताया कि मात्र 40 दिनों के दौरान देशभर में 2 करोड़ से अधिक नए खाते खोले गए और उनमें 3 लाख करोड़ से अधिक रुपये जमा कराये गए हैं। इकोनॉमिक टाइम्स के अनुसार एफआईयू के वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि इतनी बड़ी रकम जमा कराने के लिए सरकार सहित तमाम एजेंसियां कोशिश करतीं तो पांच साल में भी नहीं जमा हो पाती। नोटबंदी के बाद 15 नवंबर से 25 दिसंबर 2016 के बीच देश भर की बैँकों में 2.10 करोड़ नए खाते खोले गए। इनमें 3 लाख करोड़ रुपये जमा किए गए। इनमें से 50,000 करोड़ रुपये नकद जमा कराये गए और शेष चेक व ड्राफ्ट के माध्यम से जमा कराये गये।
एफआईयू के अनुसार प्रधानमंत्री जनधन योजना में सरकार और बैंकों के तमाम प्रयास के बाद डेढ़ वर्ष में 20 करोड़ खाते भले ही खुल गए थे लेकिन उनमें पैसा नहीं आया था। नोटबंदी के बाद बिना किसी प्रयास के ही इतनी बड़ी रकम बैंकों में जमा हो गई है। एफआईयू के अधिकारी के अनुसार नोटबंदी के बाद जिनके पास लिमिट से अधिक पैसा था उनके पास तीन ही विकल्प बचे थे या तो सोना खरीदा जाए, या पैसे को जलाकर या नदी-नालों में फेंक कर नष्ट किया जाए अथवा बैंकों में जमा कराया जाए। ऐसा अनुमान है कि कालेधन वालों ने अपना पैसा बैँकों में जमा कराने का रास्ता चुना। इसी के चलते ही इतनी बड़ी राशि बैंकों में जमा हो पायी है।
एफआईयू के अनुसार प्रधानमंत्री जनधन योजना में सरकार और बैंकों के तमाम प्रयास के बाद डेढ़ वर्ष में 20 करोड़ खाते भले ही खुल गए थे लेकिन उनमें पैसा नहीं आया था। नोटबंदी के बाद बिना किसी प्रयास के ही इतनी बड़ी रकम बैंकों में जमा हो गई है। एफआईयू के अधिकारी के अनुसार नोटबंदी के बाद जिनके पास लिमिट से अधिक पैसा था उनके पास तीन ही विकल्प बचे थे या तो सोना खरीदा जाए, या पैसे को जलाकर या नदी-नालों में फेंक कर नष्ट किया जाए अथवा बैंकों में जमा कराया जाए। ऐसा अनुमान है कि कालेधन वालों ने अपना पैसा बैँकों में जमा कराने का रास्ता चुना। इसी के चलते ही इतनी बड़ी राशि बैंकों में जमा हो पायी है।
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