डिजिटल इंडिया अभियान के लिए साइबर सुरक्षा की बात जानकार लोगों ने काफी पहले क्यों उठाई थी, इसका खुलासा उस समय हुआ जब देश की सुरक्षा के सिरमौर संगठन एनएसजी की वेबसाइट को संदिग्ध आतंकवादी संगठन ने हैक कर दी। ऐलान इंजेक्टर नाम के हैकर गु्रप ने एनएसजी की वेबसाइट को हैक कर जमकर उत्पात मचाया । वेबसाइट पर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के खिलाफ अभद्र कमेंट किए गए हैं। भारत की छवि खराब करने के लिए पुलिस द्वारा लाठी चार्ज किए जाने का एक तस्वीर भी डाल दी है। यह तो वेबसाइट हैक करने की घटना और उस पर उपद्रव करने वालों की करतूत लेकिन इन हैकरों ने वेबसाइट से क्या महतवपूर्ण जानकारी हासिल कर ली है। उस जानकारी का वह किस तरह से फायदा उठाएंगे। क्योंकि एनएसजी ही वह संगठन है जब सारे सुरक्षा संगठन किसी अभियान में नाकाम हो जाते हैं तो एनएसजी को काबू करने के लिए भेजा जाता है। इसलिए इस संगठन की कार्यप्रणाली व कार्यालयों की जानकारी हासिल करना कोई मामूली बात नहीं है। जब इतना महत्वपूर्ण संगठन की वेबसाइट पर खतरा हो सकता है तो बैँकों की वेबसाइटों की बात क्या की जाए? क्योंकि हैकर तो कहीं भी अपना कमाल दिखा सकते हैं। हैकर जब अमेरिका के सुरक्षा विभाग पेंटागन को नही बख्शते तो फिर इंडिया की बैंकों के डाटा कितने सुरक्षित हैं,इस पर विचार करने की आवश्यकता है। इसलिए एक बार पुन: यह सवाल उठ खड़ा हुआ है कि डिजिटल पेमेंट के लिए हाई लेबल की साइबर सिक्योरिटी की आवश्यकता है।
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