चुनाव चिन्ह साइकिल हो सकता है जब्त?
समाजवादी पार्टी में नया साल का पहला दिन घमासान भरा रहा। कुल मिलाकर पार्टी दो फाड़ हो चुकी है। अखिलेश उगते हुए सूर्य और मुलायम सिंह अस्त होते सूर्य की तरह निखर कर सामने आ गए हैं। चचा राम गोपाल यादव ने अखिलेश (टीपू ) को सपा का राष्ट्रीय अध्यक्ष (सुल्तान)तो बन दिया। कानून के तौर पर अभी राष्ट्रीय अध्यक्ष बनने के लिए लम्बा रास्ता तय करना होगा। इसमें काफी समय लगेगा। साथ ही अमर सिंह और शिवपाल सिंह को पार्टी से बाहर निकाल दिया। यही नहीं अखिलेश समर्थकों ने पार्टी कार्यालय पर कब्जा करके शिवपाल सिंह की नेमप्लेट हटा दी। कुरुक्षेत्र बने पार्टी कार्यालय पर घंटों अखिलेश समर्थकों का हंगामा चलता रहा। बाहर सुरक्षा बलों की भारी फौज अब भी तैनात है। अखिलेश यादव ने नरेश उत्तम को पार्टी का प्रदेश अध्यक्ष बना दिया है।अखिलेश यादव और राम गोपाल का निष्कासन वापस लेने वाले सपा सुप्रीमों मुलायम सिंह यादव ने पलटी मारते हुए फिर से अपनी त्यौरियां चढ़ा लीं हैं। उनका गुस्सा अखिलेश पर कम राम गोपाल यादव पर अधिक दिखा और उनके कोपभाजन के शिकार उनके चहेते नरेश अग्रवाल, किरणमय नंदा और रेवती रमण जैसे दिग्गज नेता हुए। सुबह रामगोपाल द्वारा बुलाये गये पार्टी के आपातकालीन राष्ट्रीय सम्मेलन को सपा सुप्रीमो मुलायम सिंह यादव ने असंवैधानिक करार देते हुए इसे पार्टी विरोधियों की बैठक करार दिया। साथ ही अल्टीमेटम जारी किया कि जो पार्टी कार्यकर्ता व नेता इस सम्मेलन में भाग लेगा, उसके खिलाफ अनुशासनात्मक कार्यवाही की जाएगी। उन्होंने पार्टी के संविधान की 14 (2) का हवाला देते हुए बताया कि यह राष्ट्रीय अधिवेशन पार्टी अध्यक्ष द्वारा नहीं बुलाया गया था, इसलिए मान्यता नहीं दी जा सकती। इस धारा के तहत यदि पार्टी के गुट को किसी तरह की आपत्ति है और अपनी बात कहने के लिए पार्टी अध्यक्ष से राष्ट्रीय अधिवेशन बुलाने का आग्रह कर सकता है। अध्यक्ष द्वारा बात न मानने पर वह गुट अध्यक्ष को अल्टीमेटम देकर अपना स्वतंत्र राष्ट्रीय अधिवेशन बुला सकता है। इस मामले में रामगोपाल ने यह प्रक्रिया नहीं अपनाई। पार्टी सुप्रीमों ने अखिलेश यादव के साथ मंच साझा करने वाले नरेश अग्रवाल और पार्टी उपाध्यक्ष किरणमय नंदा को बाहर का रास्ता दिखा दिया है। रामगोपाल यादव को भी फिर तीन दिन मेंं दूसरी बार पार्टी से निकाल दिया है। अखिलेश यादव के नाम पर उन्होंने अभी चुप्पी साध रखी है। उन्होंने अब अपना पार्टी का राष्ट्रीय अधिवेशन 5 जनवरी 2017 को बुलाया है। इस बीच पार्टी नेताओं के प्रचंड समर्थन से अखिलेश यादव के हौसले बुलंद हैं। वह अपनी पार्टी को असली समाजवादी पार्टी करार देकर साइकिल चुनाव चिन्ह चुनाव आयोग से मांगेगे। विवाद के चलते चुनाव चिन्ह साइकिल जब्त भी हो सकता है। सपा के घमासान के बाद असली और नकली समाजवादी पार्टी का सवाल उत्पन्न हो गया है।
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