उत्पन्न हो सकता है संवैधानिक संकट
समाजवादी पार्टी में चल रहे घमासान के बाद उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री अखिलेश यादव विवादों के घेरे में आ गए हैं। इसके चलते अब यह सवाल उठ खड़ा होगा कि उत्तर प्रदेश का संवैधानिक भविष्य क्या होगा? विधानसभा भंग होगी, राष्ट्रपति शासन लगेगा,मुख्यमंत्री कार्यवाहक मुख्यमंत्री बनेंगे या फिर अखिलेश यादव की सरकार गिरेगी? इन सभी विकल्पों पर विचार करके देखते हैं कि तो पहला सवाल यह है कि अखिलेश यादव के खिलाफ बगावत पर उतारू शिवपाल सिंह यादव के समर्थन में कुछ विधायक हुए तो उन्हें राज्यपाल के पास भेजकर यह फरियाद कर सकते हैं कि अखिलेश सरकार अल्पमत में है। राज्यपाल उनकी इस फरियाद पर अखिलेश यादव को शक्ति परीक्षण के लिए कह सकते हैं और अल्पमत होने पर सरकार को पराजय का मुंह देखना पड़ सकता है। ऐसी स्थिति में राष्ट्रपति शासन लागू किया जा सकता है। या इस दावे पर सरकार को मौका दिए बिना ही राष्ट्रपति शासन लगाया जा सकता है। दूसरा यह है कि अखिलेश यादव फिलहाल पूर्ण बहुमत में हैं और भविष्य में किसी प्रकार की आशंका को देख कर वह राज्यपाल से विधानसभा को भंग करने की सिफारिश करके कार्यवाहक मुख्यमंत्री बने रह कर चुनाव लड़ सकते हैं। इस पर भी राज्यपाल के विवेक पर अंतिम कार्यवाही का रुख तय होगा। यूपी के सियासी माहौल की नब्ज टटोलते हुए केन्द्र की नरेन्द्र मोदी सरकार नोटबंदी के बाद उत्पन्न स्थिति को देखते हुए राष्ट्रपति शासन लगाने के पक्ष में हैं। ऊंट किस करवट बैठेगा,आने वाला वक्त ही बताएगा।
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