प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने पांचों राज्यों में भाजपा को सत्ता की बागडोर सौंपने की ठान ली है। उन्होंने जीत का मूल मत्र पहचान लिया है। चाहे वह नेहरूजी,शास्त्रीजी,इंदिराजी,जयप्रकाश जी,अन्ना हजारे व अन्य कोई जननेता रहा हो, जब जब उसने गरीब व सर्वहारा वर्ग को अपने साथ लिया है तभी वह पीक पर पहुुचा है। इन तमाम हस्तियों के बारे में अध्ययन करने से एक तस्वीर यह स्पष्ट होती है कि इस देश का भाग्य विधाता गरीब यानी दरिद्र नारायण ही हैं। यही गरीब ही देश में लगने वाली लाइनों में सबसे आगे लगने के लिए पहुंच जाता है। चाहे वह वोट की, राशन की, जनधन खातों की या नोट बदलने की लाइन हो, इनमें सबसे अधिक गरीब ही दिखाई देता है। मध्यम वर्ग व उच्च वर्ग इन लाइनों से परहेज करता है। सक्षम मध्यम व धनाढ्य वर्ग तो भगवान के लिए भी लाइन में लगने नहीं जाता वह हर जगह पैसे देकर वीआईपी दर्शन करता है। गरीब ही भावुक होता है, उसे भावनापूर्ण आकर्षण से आकर्षित किया जा सकता है। उदाहरण के तौर पर सडक़ पर कोई फिसल कर गिर जाए तो सबसे पहले गरीब ही उसकी मदद करने को आगे आएगा। सबसे बड़ी बात यह है कि वोट की लाइन में सबसे अधिक गरीब व्यक्ति ही खड़ा होता है। चाहे वह किसी लालच के हो या शौक से हो या पार्टी अथवा अपने चहेते लोगों के समर्थन में ही हो वह बढ़ चढक़र वोट देने के लिए जाता है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने अपनी जनसभाओं में उपस्थित लोगों की भीड़ में से भी लोगों को छांटा है। गरीब जो थोड़ी सी उम्मीद की किरण दिखते ही उस ओर बढ़ जाता है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी स्वयं को गरीबों की उम्मीद की किरण बने हुए हैं। इसीलिए उन्हें नोटबंदी जैसे सख्त निर्णय पर समर्थन मिला हुआ है। अन्ना हजारे के धरने के बाद इस देश में ईमानदार शासक की तलाश जनता ने शुरू कर दी है। अब चूंकि मोदी स्वयं को ईमानदार शासक और लाल बहादुर शास्त्री व अटल बिहारी वाजपेयी के पदचिन्हों पर चलने की रणनीति अपनाए हुए हैं। इसलिए उन्हें जनसमर्थन मिल रहा है। यही मूलमंत्र प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को पांचों राज्यों मेंं विजय दिलवा सकता है। इसीलिए नरेन्द्र मोदी ने भाजपा की कार्यकारिणी की बैठक में नर सेवा नारायण सेवा का मंत्र दिया है। उन्हें उम्मीद है नोटबंदी से देश में उनके प्रति जो लहर चल रही है, वह बनी रही तो निश्चित रूप से विजय हासिल होगी।
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