new

Sunday, 8 January 2017

...तो मौजूदा मुस्लिम पर्सनल लॉ अंग्रेजों की ईजाद है!

भारत में लॉ कमीशन के पूर्व सदस्य ताहिर महमूद की जुबानी

मुस्लिम पर्सनल लॉ के बारे में हमेशा लोगों ने अपने विचार रखे हैं। जब भी कोई इस्लामी मसला सामने आता है तो मुस्लिम पर्सनल लॉ का हवाला देकर उस मसले को शांत करने की कोशिश की जाती है। मुस्लिम पर्सनल लॉ के बारे में एक कड़वी सच्चाई सामने आ रही है कि यह मुस्लिम पर्सनल लॉ अंग्रेजों की ईजाद है? इस बात पर रोशनी डालते हुए बीबीसी को भारत में लॉ कमीशन के पूर्व सदस्य और यूनिफॉर्म सिविल कोड और मुस्लिम पर्सनल पर कई पुस्तकों के लेखक प्रोफेसर ताहिर महमूद बीबीसी को बताते है कि मुस्लिम पर्सनल लॉ में संशोधन की सख्त जरूरत है। उनके अनुसार मुसलमान जिसे अपना धार्मिक क़ानून समझ रहे हैं वास्तव में वह अंग्रेजों का तैयार किया हुआ है और कई जगह वह क़ुरान के आदेश के विपरीत है। याद रहे कि वर्ष 1937 में मुसलमानों में शादी, तलाक़, नान और नफ्क़़ा (रोटी-कपड़ा, मकान) और विरासत जैसे सामाजिक मुद्दों के समाधान के लिए अंग्रेजी सरकार के कहने पर एक मुस्लिम पर्सनल लॉ तैयार किया गया था, जिसके आधार पर आज भी फ़ैसले होते हैं। कुछ मुसलमान इस में संशोधन करना चाहते हैं और विभिन्न मतों के बीच समानता बनाने की बात करते हैं.

No comments:

Post a Comment