देश की राजनीति में भारी उथल-पुथल मचा देने वाली शख्सियत प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की सफलता का राज क्या है? यह सवाल आजकल राजनीतिक जगत में तेजी से चर्चा के शिखर पर है। लोग यह जानना चाहते हैं कि वह ऐसी कौन सी बात है जो मोदी को लोकप्रियता की शिखर पर पहुुचा रही है। नोटबंदी जैसा कड़ा फैसला लेने के बाद भी मोदीजी की लोकप्रियता घटने की जगह बढ़ रही है, ऐसा कौन सा जादू है। यह बात अवश्य ही सभी को रोमांचित करती है। आइए इस सवाल के जवाब के लिए इतिहास पर एक नजर डालें तो पता चलता है कि मोदी की इस लोकप्रियता का मात्र एक ही कारण है वह है ‘साख’। जनता के बीच में कमाई गई साख। इस साख से आप दुनिया को हरा सकते हैं। यह बात अकेले मोदीजी की ही नहीं है। आज से पहले जितने जननेता हुए हैं उनसबके बारे में यह बात सौ फीसदी खरी उतरती है। आइए जरा एक नजर आजादी से पहले के भारत और उस समय के मोहनदास करमचंद गांधी यानी राष्ट्रपिता, बापू के बारे में डालें तो पाएंगे कि लोगों को यह विश्वास हो गया था कि बापू देश को आजाद कराकर ही दम लेंगे । इस विश्वास ने देश के हजारों-लाखों लोग बापू के साथ हो लिये। उन्होंने न जाने कितनी तकलीफें उठाईं, पुलिस के लाठी-डंडे खाए,जेल गए, भूखे-प्याासे रहकर अनेक कष्ट उठाए। इन सबका नतीजा यह हुआ कि इन विपरीत परिस्थितियों में भी बापू की लोकप्रियता का ग्राफ दिनोंदिन बढ़ता ही गया। पंडित जवाहर लाल नेहरू के बारे में यह नहीं कहा जा सकता क्योंकि पंडित नेहरू गांधीजी की मदद से प्रधानमंत्री बने। प्रधानमंत्री बनने के बाद उन्होंने जनसभाओं में सारे बड़े फैसले सुनाकर लोगों का विश्वास जीता जो जीवनपर्यन्त उनके साथ रहा। उसके बाद आए प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री ने भी आम जनता का विश्वास जीता और वे भी जीवनपर्यन्त लोकप्रियता के उलटे ग्राफ पर ऊपर ही चढ़ते चले गए। इसके बाद आई श्रीमती इंदिरा गांधी ने भी देश की जनता का भरोसा जीता और 1975 तक अबाध रूप से देश पर शासन किया और जनता के बीच लोकप्रिय रहीं। इसके बाद उनके सत्ता पलटने के लिए जिम्मेदार माने जाने वाले जयप्रकाश जी पर जनता ने विश्वास किया और जनता पार्टी को समर्थन देकर इंदिरागांधी को सत्ता से बाहर कर दिया। जनता पार्टी की खटपट और रोज अस्थिर सरकारों से लोगों को विश्वास टूट गया और सत्ता की बागडोर इंदिरा जी को फिर मिल गई। इंदिरागांधी के दुर्दांत के बाद राजीव गांधी पर लोगों ने अपना भरोसा जताया। वह भी नाकाम रहे। इसके बाद वीपी सिंह पर भरोसा किया लेकिन वह विश्वास बनाए रखने में नाकाम रहे। इसके बाद अटल बिहारी वाजपेयी पर लोगों ने भरोसा किया,उन्होंने भी इतिहास बनाया। इसके बाद लोगों ने सोनिया गांधी-मनमोहन सिंह पर विश्वास किया। दस साल का मौका भी दिया लेकिन वह विश्वास को बनाए रखने में नाकाम रहे। अब इसके बाद मोदीजी पर भरोसा जताया है। मोदीजी उसी विश्वास को बनाए रखना चाहते हैं। इसलिए वह अपने घर-परिवार से दूर रहकर 24 घंटे में से 18 घंटे तक कार्य करके जनता के विश्वास में इजाफा बनाए रखना चाहते हैं। इसी विश्वास के चलते आज मोदी लोकप्रियता की शिखर पर पहुंच गए हेँ। अपनी लोकप्रियता के चलते ही वह ऐतिहासिक पुरुष बनना चाहते हैं। यही उनकी सफलता का राज माना जा सकता है।
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