20 जनवरी के बाद लिया जा सकता है निर्णय
संसद की लोकलेखा समिति (पीएसी) ने नोटबंदी के 50 दिन बाद स्थिति सामान्य न हो पाने की स्थिति को गंभीरता से लेते हुए वित्त मंत्रालय व रिजर्व बैँक के शीर्ष अधिकारियों से जवाब तलब करते हुए 20जनवरी की अपनी बैठक में तलब किया है। साथ ही यह स्पष्ट किया है कि यदि इनके जवाब संतोषजनक नहीं हुए तो प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को भी तलब किया जा सकता है। इसका निर्णय 20 जनवरी की बैठक के बाद लिया जा सकता है।पीएसी के चेयरमैन वीके थामस ने कहा कि प्रधानमंत्री ने अपने अहं को संतुष्ट करने के लिए देश को गुंमराह किया है। उन्होंने अपने गलत फैसले को सही ठहराने के लिए अनेक कोशिशें की हैँ। उन्होंने कहा कि नोटबंदी के बाद प्रधानमंत्री ने 2000 का नोट चलवा कर तानाशाही पूर्ण रवैये का संकेत दिया है।
उन्होंने बताया कि नोटबंदी से जुड़े पांच अहम सवाल वित्त मंत्रालय के शीर्ष अधिकारियों और रिजर्व बैंक के गवर्नर को भेज दिए गए हैं। इनके सवाल अभी नहीं मिले हैँ, हो सकता है कि 20 जनवरी की बैठक से पूर्व ये जवाब मिल जाएं। इन जवाबों पर समिति में चर्चा की जाएगी। इस बैठक में आरबीआई के गवर्नर उर्जित पटेल, वित्त सचिव अशोक लवासा, आर्थिक मामालों के सचिव शक्तिकांत दास को तलब किया गया है। वे इस अवसर पर उपस्थित रहेंगे। जब उनसे पूछा गया कि यदि इनके जवाब संतोषजनक नहीं हुए तो क्या वे प्रधानमंत्री को बुलाएंगे, तो उन्होंने कहा कि हमारे पास इस मसले पर किसी को भी तलब करने का अधिकार है। 20 जनवरी की बैठक के बाद इस पर विचार किया जा सकता है और जरूरत पड़ी तो आम सहमति से प्रधानमंत्री को बुलाया जा सकता है। श्री थामस ने बताया कि नोटबंदी के बाद प्रधानमंत्री से एक बार मुलाकात हुई है तब उन्होंने 50 दिनों के बाद स्थिति सामान्य हो जाने का दावा किया था परन्तु ऐसा कुछ भी नहीं हुआ। इसलिए इस मसले पर बैठक बुलाने का निश्चय किया गया है।
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