हाल ही में सुप्रीम कोर्ट ने धर्म,जाति,भाषा और समुदाय के नाम पर वोट मांगने की सख्त मनाही कर दी है। अभी तक यह माना जा रहा था कि इस तरह की कार्रवाई शीर्ष अदालत की अवमानना होगी लेकिन संविधान में इस तरह के अपराध पर बहुत ही संगीन सजा लिखी हुई है। यदि ईमानदारी से कार्यवाही हो और सही पैरवी हो तो जन-प्रतिनिधत्व कानून में 1952 की धारा 123(3) के अनुसार, भ्रष्टाचार की गतिविधि में जात-पात, धर्म और क्षेत्र के नाम पर वोट मांगेंगे, तो आपका चुनाव रद्द हो सकता है और छह साल की सजा का प्रावधान है।
इस बार चुनाव आयोग और देश में ईमानदारी की लहर इस कदर चल रही है कि इस तरह की सजाएं उन प्रत्याशियों को मिल सकतीं हैं जो धर्म,जाति,भाषा और समुदाय के नाम पर वोट मांगते हैं।
पूर्व चुनाव आयुक्त एसवाई कुरैशी ने इस बारे में एक हिंदी दैनिक को साक्षात्कार के दौरान बताया कि इस तरह के मामलों हकीकत यह है कि इसे लागू किए जाने के मामले में बहुत बुरी स्थिति है। आयोग चुनाव के दौरान ऐसी स्थिति में एफआईआर तो दर्ज करा देता है। लेकिन बाद में पुलिस कार्रवाई को आगे ही नहीं बढ़ती। चुनाव आयोग रिमाइंडर भेज-भेजकर थक जाता है, लेकिन कुछ नहीं होता। किन्तु इस बार मीडिया अधिक सजग है और वह ऐसी कार्यवाही करवाने में सक्षम है। इसलिए प्रत्याशियों को इस बात को ध्यान में रखना ही होगा।
इस बार चुनाव आयोग और देश में ईमानदारी की लहर इस कदर चल रही है कि इस तरह की सजाएं उन प्रत्याशियों को मिल सकतीं हैं जो धर्म,जाति,भाषा और समुदाय के नाम पर वोट मांगते हैं।
पूर्व चुनाव आयुक्त एसवाई कुरैशी ने इस बारे में एक हिंदी दैनिक को साक्षात्कार के दौरान बताया कि इस तरह के मामलों हकीकत यह है कि इसे लागू किए जाने के मामले में बहुत बुरी स्थिति है। आयोग चुनाव के दौरान ऐसी स्थिति में एफआईआर तो दर्ज करा देता है। लेकिन बाद में पुलिस कार्रवाई को आगे ही नहीं बढ़ती। चुनाव आयोग रिमाइंडर भेज-भेजकर थक जाता है, लेकिन कुछ नहीं होता। किन्तु इस बार मीडिया अधिक सजग है और वह ऐसी कार्यवाही करवाने में सक्षम है। इसलिए प्रत्याशियों को इस बात को ध्यान में रखना ही होगा।
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