नोबेल विजेता मुहम्मद यूनुस ने नोटबंदी को सराहा
बोग्लादेश में ग्रामीण बैंक के संस्थापक और सन् 2006 में नोबेल पुरस्कार जीतने वाले मुहम्मद यूनुस ने कहा कि नोटबंदी से कालेधन को रोका जा सकता है और इससे देश में आर्थिक संपन्नता बढ़ती है यानी मनी की लिक्विडिटी बढ़ती है।आंध्र यूनिवर्सिटी द्वारा आयोजित अंन्तरराष्ट्रीय संगोष्ठी में भाग लेने आए मुहम्मद यूनुस ने द हिन्दू को बताया कि कैशलेस इकोनॉमी वरदान है। मालूम हो कि हमारे देश के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने नोटबंदी के निर्णय को लागू करने के बाद से केशलेस सोसायटी बनाने के लिए अभियान छेड़े हुए हैं। इसके लिए अनेक जनआकर्षक कार्यक्रम श्ुरू किए हैं। इसके अच्छे परिणाम भी देखने को मिल रहे हैँ।
मुहम्मद यूनुस ने कहा कि छोटे लेन-देन सामाजिक कारोबार है। इसमेे बैंकरों ओर ग्राहकों के बीच भरोसे की बहुत जरूरत होती है। प्रो यूनुस को बांग्लादेश में गरीब ग्रामीण महिलाओं को उनके द्वार पर छोटे छोटे ऋण एवं वित्तीय सुविधाएं प्रदान करने के लिए नोबेल पुरस्कार से नवाजा गया है। उन्होंने बताया कि छोटे लेन-देन का कान्सेप्ट आपसी लेन देन यानी बैंकरों और ग्राहगों के बीच भरोसे के चलते शुरूकिया गया है इसमें किस तरह की गारंटी या गारंटर के दस्तावेज नहीं लिए जाते हैं। इस तरह से हम 99.5 प्रतिशत कारोबार चलाते हैं। उन्होंने बताया कि 1956 में हमने ग्रामीण बैंक की स्थापना की थी यह बैँक द्वार-द्वार अपनी सेवा दे रही है और आज इसके 90 लाख ग्राहक हैं।
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