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Friday, 6 January 2017

बहुत कम है सपा में सुलह-सफाई की गुंजाइश

मुलायम सिंह की कार्यशैली है समझौते में बाधक

समाजवादी पार्टी में विभाजन की राह के बावजूद सुलह-सफाई के अनेक दौर चल रहे हैं। हर बार सुलह की कोशिश नाकाम हो रही है। पार्टी के कार्यकर्ता और नेताओं के मन में एक ही बात उभर कर सामने आ रही है कि किसी तरह से सुलह हो जाए और दोनों गुट मिलकर चुनाव लड़ें तो पार्टी और उन्हें बहुत फायदा होगा। लेकिन जानकार कहते हैं कि मुलायम सिंह की कार्यशैली ही ऐसी है जो उन्हें किसी तरह से समझौता नहीं करने दे रही है। मुलायम सिंह की कार्यशैली कहें या वफादारी कहें या आदत कहें, सभी एक बात हैे कि मुलायम सिंह पहले तो किसी को जल्दी से अपना बनाते नहीं हैं और यदि उन्होंने किसी को अपना बना लिया तो फिर उसके साथ पूरे जी-जान से रहते हैं। उनहें कोई घाटा हो या मुनाफा वह अपने साथी का साथ नहीं छोडऩे। उनकी इसी आदत ने आज समझौता होते-होते रह गया। यह तो जगजाहिर है कि मुलायम सिंह ने अमर सिंह और शिवपाल सिंह को दिल में बसा लिया है और उनकी पीठ पर हाथ फेर दिया है। अब वह किसी कीमत पर इनका अहित होने देना चाहते।  आजम खान की बात मानने की बात भी यही कहानी है। वे आजम खान के साथ भी अपना वादा निभा रहे हैं। इसीलिये वह उनकी बात मान रहे हैं। अखिलेश गुट इस समय पूरे शबाब पर है। इस गुट के पास पूर्ण समर्थन है। वह किसी तरह से झुक नहीं सकता है। इसलिए दोनेों गुटों के बीच समझौते की गुजाइश बहुत कम है। आने वाले दो दिन सपा के लिए बहुत क्रूशियल हैं।

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