भारत-स्विस में करार, नोटबंदी तो शुरुआत है: पीएम
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के इस बयान के चंद घंटों बाद भारत और स्विट्जऱलैंड के बीच एक समझौता हुआ है जिससे काले धन की जानकारी पाने में मदद मिल सकती है, कि नोट बंदी काला धन के खिलाफ लड़ाई की शुरुआत है। स्विटजरलैंड से समझौते के बादे में भारत के राजस्व सचिव डॉक्टर हसमुख अधिया ने ट्वीट कर जानकारी दी। भारत और स्विट्जऱलैंड के बीच ऑटोमैटिक एक्सचेंज ऑफ़ इन्फ़ॉर्मेशन के कार्यान्वयन के लिए दोनों देशों के बीच संयुक्त बयान पर हस्ताक्षर किया जाना एक बड़ा क़दम है। राजस्व सचिव का कहना है कि इस समझौते के बाद 2018 से स्विट्जऱलैंड के बैंकों में खोले गए किसी भी भारतीय के खाते के बारे में भारतीय आयकर विभाग को सीधे जानकारी मिल सकेगी। ऐसा माना जा रहा है कि इस क़दम से दोनों देशों को ब्लैक मनी से लडऩे में मदद मिलेगी। विदेशों और ख़ासकर स्विट्जऱलैंड में कथित तौर से रखे गए काले धन को लेकर भारत में कई बार सवाल उठते रहे हैं। सुप्रीम कोर्ट ने इसके लिए एक एसआईटी भी बनाई है। भारत ने काले धन पर अंकुश को लेकर स्विटजरलैंड से मंगलवार को अहम समझौता किया। इसके तहत स्विस बैंकों में भारतीयों के खातों के बारे में सितंबर 2019 से सूचनाएं मिल सकेंगी।भारत की ओर से प्रत्यक्ष कर बोर्ड के अध्यक्ष सुशील चंद्र और भारत में स्विस दूतावास के उप प्रमुख गिलिस रोड्यूड ने समझौते पर हस्ताक्षर किए। इसके तहत दोनों देश सितंबर 2018 से वैश्विक मानकों के अनुरूप बैंकिंग आंकड़ों का संग्रह शुरू करेंगे और 2019 से इन सूचनाओं का स्वत: आदान-प्रदान होने लगेगा।
राजस्व सचिव हसमुख अधिया ने घोषणापत्र पर हस्ताक्षर को बड़ा कदम बताते हुए ट्विटर पर लिखा कि आयकर विभाग स्विटजरलैंड में भारतीयों के खातों के बारे में 2018 के बाद की सूचनाएं प्राप्त कर पाएगा। गौरतलब है कि भारत में कालाधन एक बड़ा राजनीतिक मुद्दा रहा है,मोदी सरकार ने इसके खिलाफ व्यापक अभियान चला रखा है। वहीं स्विस बैंकों के खाताधारकों की गोपनीयता को लेकर दुनिया भर में सवाल उठते रहे हैं। अंतरराष्ट्रीय दबाव के बाद स्विटजरलैंड बैंक खाताधारकों की सूचना देने के लिए सहमत हुआ है। इसी दबाव का नतीजा है कि कराधान मामलों में बहुपक्षीय प्रशासनिक सहयोग संधि का सितंबर में अनुमोदन किया था। उल्लेखनीय है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने छह जून को स्विस राष्ट्रपति जॉन श्नीडर से मुलाकात की थी और कर चोरी रोकने से जुड़े इस समझौते को जल्द से जल्द लागू करने का अनुरोध किया था। ताजा घोषणा पत्र में चुराए गए आंकड़े या भारत से पहले मांगी गई सूचनाओं के आदान-प्रदान के बारे में कुछ नहीं कहा गया है। ऐसे में पहले के खाताधारकों के बारे में जानकारी इसके तहत मिलेगी या नहीं, यह स्पष्ट नहीं है।
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