new

Sunday, 27 November 2016

क्या रिजर्व बैंक के गवर्नर ला सकते हैं भूचाल

नोट बंदी: फैसले के कानूनी हक पर उठ रहे सवाल

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी द्वारा गत आठ नवंबर को लिए गए नोट बंदी के निर्णय को जल्दबाजी में लिया गया निर्णय बताया जा रहा है। साथ ही इसके लिए अवश्यक कानून का पालन न किए जाने की भी चर्चा चल रही है। साथ ही यह कहा जा रहा है कि रिजर्व बैंक के गवर्नर उर्जित पटेल इस बारे में रहस्यमयी चुप्पी साधे हुए हैं। क्या रिजर्व बैंक के गवर्नर बोले तो आ सकता है भूचाल? क्या वह ऐसा करना चाहेंगे। ये कई महत्वपूर्ण सवाल फिजां में हैं।
नोटबंद को आईबीआई ऐक्ट, 134 की धारा 26 के तहत लागू किया है। इस कानून के तहत केन्द्र सरकार रिजर्व बैंक के सेंट्रल बोर्ड की सिफारिश पर नोट बंद करने का निर्णय ले सकती है। यानी इस फैसले पर रिजर्व बैंक का हक है,सरकार का नहीं। सरकार सिर्फ सिफारिश को लागू करवाने के लिए अधिकृत है। संविधान में यह स्पष्ट लिखा है कि अधिकार प्राप्त संस्था के सिवा दूसरा कोई भी इसका इस्तेमाल नहीं कर सकता। दूसरी ओर आरबीआई गवर्नर उर्जित पटेल हैरतअंगेज रूप से चुप्पी साधे हैं।  ना ही आरबीआई ने उस मीटिंग के मिनट्स ही जारी किए हैं जिसमें नोटबंदी की नीति की सिफारिश करने की सहमति बनने की बात कही जा रही है। पटेल की चुप्पी, मिनट्स जारी नहीं होना, इस आशंका को बल देते हैं कि यह पीएमओ का अचानक और गुप्त रूप से उठाया गया कदम है।
नोट बंदी के निर्णय के बाद रोज-रोज नए-नए कानून का लागू होना भी शंका का विषय है। दूसरी ओर रिजर्व बैंक के पूर्व गवर्नर,अर्थशास्त्री और पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने जिस तरह से नोट बंदी पर पीएमओ को घेरा था,उससे भी यही लगता है कि समस्त कार्यवाही पीएमओ के इशारे पर हुई है। इसके बावजूद यह माना जा रहा है कि इसकी अधिसूचना जो जारी की गई है। वह वास्तव में काबिले तारीफ है। इस अधिसूचना की ईमानदारी ने देशवासियों को प्रत्यक्ष एवं परोक्ष रूप से प्रभावित किया है कि वे इसका खुलकर समर्थन कर रहे हैं।

No comments:

Post a Comment