नोट बंदी के फैसले पर अर्थशास्त्रियों की राय महत्वपूर्ण है। वह भी तब जब अपनी राय देने वाला भारतीय हो तो और भी अधिक महत्व बढ़ जाता है। संसद में पूर्व प्रधानमंत्री और अर्थशास्त्री मनमोहन सिंह ने जिस तरह से नोट बंदी को सुव्यस्थित लूट करार दिया था उससे काफी भूचाल आ गया था। हालांकि जनसमर्थन के चलते मनमोहन सिंह के कठोर वचन अधिक प्रभाव नहीं छोड़ पाए। लेकिन हमारे देश के नोबेल पुरस्कार प्राप्त अर्थशास्त्री प्रो. अमत्र्य सेन ने मनमोहन सिंह से एक कदम और आगे बढ़ कर अपनी कठोर प्रतिक्रिया व्यक्त की है। उसका प्रभाव अवश्य पड़ रहा है। प्रो सेन ने केंद्र सरकार के नोटबंदी के फैसले की आलोचना की। उन्होंने सरकार के नोटबंदी के इरादे और उसे लागू करने के तरीके पर सवाल उठाया है। उन्होंने कहा है यह ‘निरंकुश कार्रवाई’जैसी है। केवल एक सत्तावादी मानसिकता वाली सरकार ही लोगों को इस तरह की तकलीफ दे सकती है। लोगों को अचानक बताना कि उनके पास जो करेंसी है उसका इस्तेमाल नहीं हो सकता, सत्तावादी प्रवृति को जाहिर करता है। लाखों बेगुनाह लोग अपने खुद के पैसे वापस लाने की कोशिश में पीड़ा,असुविधा और अपमान झेल रहे हैं।
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Tuesday, 29 November 2016
नोट बंदी पर कठोरवाणी: निरंकुश कार्रवाई:प्रो. सेन
नोट बंदी के फैसले पर अर्थशास्त्रियों की राय महत्वपूर्ण है। वह भी तब जब अपनी राय देने वाला भारतीय हो तो और भी अधिक महत्व बढ़ जाता है। संसद में पूर्व प्रधानमंत्री और अर्थशास्त्री मनमोहन सिंह ने जिस तरह से नोट बंदी को सुव्यस्थित लूट करार दिया था उससे काफी भूचाल आ गया था। हालांकि जनसमर्थन के चलते मनमोहन सिंह के कठोर वचन अधिक प्रभाव नहीं छोड़ पाए। लेकिन हमारे देश के नोबेल पुरस्कार प्राप्त अर्थशास्त्री प्रो. अमत्र्य सेन ने मनमोहन सिंह से एक कदम और आगे बढ़ कर अपनी कठोर प्रतिक्रिया व्यक्त की है। उसका प्रभाव अवश्य पड़ रहा है। प्रो सेन ने केंद्र सरकार के नोटबंदी के फैसले की आलोचना की। उन्होंने सरकार के नोटबंदी के इरादे और उसे लागू करने के तरीके पर सवाल उठाया है। उन्होंने कहा है यह ‘निरंकुश कार्रवाई’जैसी है। केवल एक सत्तावादी मानसिकता वाली सरकार ही लोगों को इस तरह की तकलीफ दे सकती है। लोगों को अचानक बताना कि उनके पास जो करेंसी है उसका इस्तेमाल नहीं हो सकता, सत्तावादी प्रवृति को जाहिर करता है। लाखों बेगुनाह लोग अपने खुद के पैसे वापस लाने की कोशिश में पीड़ा,असुविधा और अपमान झेल रहे हैं।
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