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Tuesday, 22 November 2016

नोट बंदी: किसको होगा नुकसान और कौन रहेगा फायदे में

नोटबंदी से होने वाले फायदे और नुकसान पर नजर डालते हैं तो पता चलता है कि एक वर्ग को नुकसान होगा तो एक वर्ग का फायदा होगा। जानकार कहते हैं कि अप्रैल में जाकर नोटबंदी से उत्पन्न स्थिति सामान्य हो सकेगी।
कई लोग शहरों में काम करते हैं लेकिन उनके अकाउंट गांवों में हैं, उन्हें पैसे जमा करने के लिए अगर गांव जाने में ख़र्च करने पड़ता है तो ये बड़ा नुकसान होगा। इन लोगों को अपने खातों को शहरों में ट्रांसफर कराना होगा।
लोगों ने नकदी की कमी को देखते हुए खर्च करना बहुत कम कर दिया है। संभल-संभल कर खर्च कर रहे हैं जो कि अर्थव्यवस्था के लिए अच्छी बात नहीं।लोगों की इस आदत को सामान्य होने में काफ़ी वक्त लग सकता है। इसका देश की प्रमुख बाजारों और अर्थव्यवस्था पर सीधा असर पड़ेगा लेकिन कुछ पाने के लिए कुछ खोना पड़ता है।
नकदी के अचानक खत्म हो जाने से कई ऐसे लोग हैं जो बेरोजग़ार हो गए हैं। ऐसे लोग अगर 10-15 दिन भी काम के बिना रहते हैं तो उनकी कमर टूट सकती है और असंगठित क्षेत्रों में काम करनेवाले ऐसे लोगों की संख्या लाखों में है। यह बात अवश्य दुखद है।
नोट बंदी का फायदा यह हुआ कि लोगों को अब समझ में आ गया है कि बैंक में खाता होना अब अनिवार्य है। साथ ही ये भी कि बैंक में रखा पैसा ब्याज कमाता है, अर्थव्यवस्था का हिस्सा होता है।
सबसे करारा झटका उन गृहणियों को लगा जो महिलाएं घर खर्च से काफी पैसे बचा कर घरों में जमा रखती हैं। संदूक में छिपा कर रखा अचानक बाहर निकल आया। ये पैसा लगातार कम हो रहा होता है क्योंकि ये महिलाएं अब पैसे नहीं बचाएंगी।
पिछले दो-तीन साल से रिएल एस्टेट में मंदी का रुख है जो कि अब और गहराएगा। सेकेंडरी मार्केट में मकानों की खऱीद नकदी पर बहुत ज्य़ादा निर्भर थी जो कि अब थम-सी जाएगी। इसका असर मकानों की कीमतों पर पड़ेगा. उसमें गिरावट आएगी। विमुद्रीकरण के बाद से मकानों की मांग लगभग थम-सी गई है क्योंकि लोगों के पास नक़द पैसे नहीं हैं। आनेवाले समय में भी इस मांग में तेज़ी आती नजऱ नहीं आती।
रिएल एस्टेट को निवेश का विकल्प मानने वालों के लिए निराशा की ख़बर है क्योंकि मकान खऱीदना अब पैसे को तेज़ी से बड़ा बनाने का विकल्प नहीं रहेगा। लोगों को फिलहाल रिएल एस्टेट में निवेश करने से बचना चाहिए। बाज़ार थोड़ा स्थिर हो तभी निवेश के बारे में सोचना चाहिए।
सबसे बड़ा फायदा यह होगा कि विमुद्रीकरण से लोगों का ईमानदारी में भरोसा बढ़ेगा। अभी तक कारोबार का एक बड़ा हिस्सा नकदी में होता था और कारोबारियों में इसे लेकर कोई अपराधबोध नहीं था लेकिन लोग टैक्स देकर कारोबार करना पसंद करेंगे जो कि अर्थव्यवस्था के लिए अच्छी बात होगी।
अर्थव्यवस्था में निवेश को बढ़ावा मिलेगा। आज लोग अपने पैसे को बाज़ार में नहीं लगाते। शेयर बाज़ार में विदेशी संस्थागत निवेशकों की बड़ी भूमिका होती है। अब परिदृश्य बदलेगा और लोग बाज़ार में पैसे लगाएंगे जिसका फ़ायदा अर्थव्यवस्था को होगा।
कंपनियों के मालिक पहले बेईमानी कर फ़ायदा कमाते थे। अब ईमानदारी से फ़ायदा कमाने की अर्थव्यवस्था का विकास होगा जो कि एक बहुत अच्छी ख़बर है।
सबसे अधिक नुकसान उन लोगों को होगा जो अपने पास भारी मात्रा में नकदी रखते थे। रही बात काला धन की तो ऐसे लोग पहले से काफी सतर्क रहते हैं वे अपना धन ठिकाने लगाने के लिए भारी-भरकम स्टाफ रखते हैं। इनमें सीए और अन्य बड़े-बड़े मास्टर माइंड शामिल होते हैं।
मोदी सरकार ने काला धन का कारोबार करने वालों को 2017 तक की मोहलत दी है। स्विस सरकार से समझौता कर 2018 के काले धन के कारोबारियों को नकेल डालने के लिए उपाय कर लिए हैं। अब तक के कालेधनपतियों को किस तरह से डील करेगी सरकार यह तो भविष्य बताएगा। 

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