मेरा क्या दोष है? मुझे लूटा जा रहा है,मुसीबत में आ कर फंस गए
नोट बंदी से प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को ऐप पर भले ही 98 प्रतिशत समर्थन मिल रहा हो लेकिन इससे विदेशी सैलानियों पर बुरा असर पड़ रहा है। सभी के मुंह से यही निकल रहा है कि इसमें मेरा क्या दोष है? या तो भारत सरकार यह नोटिस जारी करवा दे कि अभी करंसी बदलने का दौर चल रहा है। कोई भी विदेशी सैलानी न आए अथवा उनके लिए नोट बदलने की व्यवस्था करे। अनेक सैलानियों ने अपने अनुभव साझा करते हुए बताया कि इसमें मेरा दोष क्या है? कोई आरोप लगा रहा है कि नोट के अभाव में उन्हें लूटा जा रहा है, कोई कह रहा हैकि भारत में आकर नई मुसीबत में फंस गए।बीबीसी के लिए शालिनी जोशी ने अपने अनुभव बयां करते हुए बताया कि जयपुर से देहरादून की हवाई यात्रा में मेरे साथ बैठी उस विदेशी महिला ने नोटबंदी पर कहा, ‘इट इज़ टेरीबल. वी आर ट्रैप्ड’ यानीये भयानक है, हम तो भारत आकर मुसीबत में फंस गए। दक्षिण अफ्रीका के केपटाउन से आई 67 साल की एस्टी मेलेट, राजस्थान घूमने के बाद, गंगा दर्शन और योगाभ्यास के लिए ऋषिकेश जा रही थीं।
एस्टी ने बताया कि मैं डॉलर लेकर आई थी। दिल्ली पंहुचकर उन्हें रुपयों में बदला सभी नोट पांच सौ के मिले और जब तक जयपुर पहुंचती, पता चला सारे नोट बंद हो चुके हैं। मेरे तो होश ही उड़ गए.।होटल में तो कार्ड से काम बन गया लेकिन पैसे न होने के कारण मैं गांव के इलाकों में नहीं जा पाई, हाथी की सैर नहीं कर पाई, अपने परिजनों के लिए उपहार तक नहीं खरीद पाई। एस्टी को उम्मीद थी कि शायद एयरपोर्ट पर सैलानियों के लिए कोई व्यवस्था की गई होगी।वो कहती हैं कि इंतज़ाम तो दूर की बात जयपुर से लेकर दिल्ली के विश्व प्रसिद्ध इंदिरा गांधी हवाई अड्डे और देहरादून के एयरपोर्ट तक की सभी एटीएम मशीनें बंद पड़ी थीं।
इन दिनों पुष्कर का मेला देखने भी बड़ी संख्या में विदेशी सैलानी आते हैं और नज़दीक होने के कारण उनकी यात्रा में हरिद्वार और ऋषिकेश भी शामिल हो जाता है। सोमवार को मैं वापस देहरादून से जयपुर की यात्रा पर थी और संयोग से ऐसे ही कुछ विदेशी सैलानी उस ट्रेन में थे। उनसे बात कर लगा हालात बदले नहीं बल्कि बदतर होते जा रहे हैं। इसरायल से आए एरेज़ की शिकायत थी कि उनकी मजबूरी का फ़ायदा उठाया जा रहा है। उन्होंने बताया कि बैंकों में नोट नहीं बदल पाया तो आखिऱ में ऋषिकेश में होटल मालिक से मदद ली।उसने एक डॉलर की एवज़ में सिर्फ चालीस रुपये की दर से कुछ रुपये दिए और वो भी इसी शर्त पर कि कमरे का किराया बढ़ा कर देना होगा। इस तरह से मुझे लूटा गया।
फ्रांस से आईं मैडलीन ने कहा किमैं पांच सौ के तीन नोट बदलने के लिए दो दिन कतार में लगी रही। पहले दिन तो मेरा नंबर ही नहीं आया और दूसरे दिन जब काउंटर तक पंहुची तो उन्होंने कहा कि पैसा ख़त्म हो चुका है। मैडलीन के लिए ये समझना कठिन है कि फ्रांस की तरह यहां हर जगह कार्ड से भुगतान क्यों नहीं किया जा सकता और आखिऱ क्यों हर भारतीय का बैंक खाता नहीं है। वो कहने लगीं कि बहुत ज्यादा कठिनाई आ रही है.।नाश्ते के पैसे देने हैं, पानी खरीदना है या सार्वजनिक शौचालय का इस्तेमाल करने के लिए पैसा देना है.।आखऱि कैसे करें?
मैडलीन बताती हैं, इटली से मेरी दोस्त भी साथ आई थीं लेकिन ऐसे हालात देखकर घबरा कर वापस चली गईं। मैं भी जल्दी चली जाऊंगी।
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