नोटबंदी के बाद दूसरों के काले धन को अपने खातों में जमा कराने वालों की मुश्किलें बढऩे वाली हैं। सरकार उनके खाते में आई पाई-पाई का हिसाब लेगी। इस दिशा में तत्परता दिखाते हुए आयकर विभाग ने नए कानून बेनामी ट्रंाजेक्शन एक्ट के उल्लंघन के आरोपी पर जुर्माना, मुकदमा चलाने और सात वर्ष की जेल की सजा दिलाने का निर्णय कर लिया है।
सरकारी सूत्रों का कहना है कि विभाग ने देश भर में 200 करोड़ की बेनामी आय का पता लगाया है । इसके बाद आयकर विभाग ने 80 ठिकानों पर सर्वे किया है और 30 जगह पर छापे मारे हैं। आठ नवम्बर के बाद से अब तक 50 करोड़ रुपये जब्त भी किए गए हैं। सूत्रों के अनुसार विभाग ने देश भर में ऐसे संदिग्ध खाते पता लगा लिये हैं जिनमें आठ नवम्बर को नोट बंदी के फैसले के बाद से भारी मात्रा में नकदी जमा की गई है। सूत्रों के अनुसार इस कानून के तहत जमाकर्ता से जमा की गई राशि के बारे में पूछेगा और पता चलने पर जमा करने वाले और जमा कराने वाले दोनों के खिलाफ कार्यवाही की जाएगी। बेनामी एक्ट के अनुसार अवैध धनराशि जमा कराने वाले बेनामीदार और जमा करने वाले लाभार्थी के अलावा अन्य कोई भी व्यक्ति इस बेनामी सौदे में शामिल पाया गया तो उसके खिलाफ कार्यवाही होगी और उसे एक वर्ष से सात वर्ष तक की सजा दिलाई जाएगी। पकड़े जाने पर बेनामी धनराशि का 25 प्रतिशत जुर्माना भी लगाया जाएगा। आयकर विभाग ने ऐसे संदिग्ध खातों के लिए
सैकड़ों नोटिस जारी किए हैं। इनमें ऐसे लोगों और कंपनियों से आय का स्रोत बताने को कहा गया है जिन्होंने आठ नवंबर के बाद खातों में 500 और 1000 के नोट में बड़ी राशि जमा की है।
अधिकारियों ने बताया कि इस संबंध में पूरे देश में जांच शुरू हो गई है। विभाग ने आयकर अधिनियम की धारा 133 (6) के तहत नोटिस जारी किए हैं। यह कानून उसे सूचना लेने का अधिकार देता है। बैंकों की तरफ से बताया गया कि कुछ मामलों में उनके खातों में असामान्य रूप से बड़ी मात्रा में नकदी जमा कराई गई है। इनमें खासतौर से वे खाते हैं जिनमें अचानक ढाई लाख रुपये से ज्यादा जमा कराए गए हैं। इसी के बाद विभाग ने हरकत में आते हुए नोटिस जारी किए।
नोटिस उन्हीं मामलों में जारी किए जा रहे हैं जहां विभाग को संदेह है कि ऐसा काले धन को छुपाने के लिए किया गया है। इन नोटिसों में पुराने नोटों में जमा कराई गई राशि और तारीख बताने को कहा गया है। इनके पक्ष में दस्तावेज, लेखा और बिल मांगे गए हैं। नोटिस कहती है कि अगर विभाग ने आपका आकलन किया है तो बीते दो साल के आयकर रिटर्न की प्रति भी दर्ज करें।
प्रधानमंत्री की ओर से आठ नवंबर को नोटबंदी के एलान के बाद विभाग ने रियल एस्टेट कंपनियों, सराफा कारोबारियों और संदिग्ध हवाला डीलरों के खिलाफ भी सर्वे ऑपरेशन बढ़ा दिए हैं। बंद हो चुके नोटों के अवैध इस्तेमाल को रोकने के मकसद से ऐसा किया गया है। इसी तरह की जांच सहकारी बैंकों में भी की गई है। मंगलोर में एक मामले में पाया गया कि आठ करोड़ रुपये मूल्य की पुरानी करेंसी को पांच सोसाइटी के साथ बदला गया। इनके वहां के सहकारी बैंक में खाते थे।
सरकारी सूत्रों का कहना है कि विभाग ने देश भर में 200 करोड़ की बेनामी आय का पता लगाया है । इसके बाद आयकर विभाग ने 80 ठिकानों पर सर्वे किया है और 30 जगह पर छापे मारे हैं। आठ नवम्बर के बाद से अब तक 50 करोड़ रुपये जब्त भी किए गए हैं। सूत्रों के अनुसार विभाग ने देश भर में ऐसे संदिग्ध खाते पता लगा लिये हैं जिनमें आठ नवम्बर को नोट बंदी के फैसले के बाद से भारी मात्रा में नकदी जमा की गई है। सूत्रों के अनुसार इस कानून के तहत जमाकर्ता से जमा की गई राशि के बारे में पूछेगा और पता चलने पर जमा करने वाले और जमा कराने वाले दोनों के खिलाफ कार्यवाही की जाएगी। बेनामी एक्ट के अनुसार अवैध धनराशि जमा कराने वाले बेनामीदार और जमा करने वाले लाभार्थी के अलावा अन्य कोई भी व्यक्ति इस बेनामी सौदे में शामिल पाया गया तो उसके खिलाफ कार्यवाही होगी और उसे एक वर्ष से सात वर्ष तक की सजा दिलाई जाएगी। पकड़े जाने पर बेनामी धनराशि का 25 प्रतिशत जुर्माना भी लगाया जाएगा। आयकर विभाग ने ऐसे संदिग्ध खातों के लिए
सैकड़ों नोटिस जारी किए हैं। इनमें ऐसे लोगों और कंपनियों से आय का स्रोत बताने को कहा गया है जिन्होंने आठ नवंबर के बाद खातों में 500 और 1000 के नोट में बड़ी राशि जमा की है।
अधिकारियों ने बताया कि इस संबंध में पूरे देश में जांच शुरू हो गई है। विभाग ने आयकर अधिनियम की धारा 133 (6) के तहत नोटिस जारी किए हैं। यह कानून उसे सूचना लेने का अधिकार देता है। बैंकों की तरफ से बताया गया कि कुछ मामलों में उनके खातों में असामान्य रूप से बड़ी मात्रा में नकदी जमा कराई गई है। इनमें खासतौर से वे खाते हैं जिनमें अचानक ढाई लाख रुपये से ज्यादा जमा कराए गए हैं। इसी के बाद विभाग ने हरकत में आते हुए नोटिस जारी किए।
नोटिस उन्हीं मामलों में जारी किए जा रहे हैं जहां विभाग को संदेह है कि ऐसा काले धन को छुपाने के लिए किया गया है। इन नोटिसों में पुराने नोटों में जमा कराई गई राशि और तारीख बताने को कहा गया है। इनके पक्ष में दस्तावेज, लेखा और बिल मांगे गए हैं। नोटिस कहती है कि अगर विभाग ने आपका आकलन किया है तो बीते दो साल के आयकर रिटर्न की प्रति भी दर्ज करें।
प्रधानमंत्री की ओर से आठ नवंबर को नोटबंदी के एलान के बाद विभाग ने रियल एस्टेट कंपनियों, सराफा कारोबारियों और संदिग्ध हवाला डीलरों के खिलाफ भी सर्वे ऑपरेशन बढ़ा दिए हैं। बंद हो चुके नोटों के अवैध इस्तेमाल को रोकने के मकसद से ऐसा किया गया है। इसी तरह की जांच सहकारी बैंकों में भी की गई है। मंगलोर में एक मामले में पाया गया कि आठ करोड़ रुपये मूल्य की पुरानी करेंसी को पांच सोसाइटी के साथ बदला गया। इनके वहां के सहकारी बैंक में खाते थे।
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