उत्तर प्रदेश व पंजाब सहित पांच राज्यों में चुनाव की घोषणा अगले माह कभी भी
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने बहुत ही सोच समझ कर नोटबंदी के निर्णय का सही समय चुना था और उनका उद्देश्य चुनाव में होने वाले भारी तादाद में काले धन को रोकना है लेकिन जानकार लोगों का अनुमान है कि नोट बंदी से उत्तर प्रदेश में मुलायम सिंह और मायावती को कोई फर्क नहीं पडऩे वाला है क्योंकि एक सत्ता में होने के नाते बैंकों पर प्रभाव डालकर नोट बदलवा चुके हैं तो दूसरी पूर्व मुख्यमंत्री होने और आने वाली मुख्यमंत्री की हनक दिखाकर अपना काम कर चुकीं होंगी। भाजपा पर विपक्ष आरोप लगा रहा है कि उन्होंने अपने नोट पहले से ही ठिकाने लगवा लिये हैं।ताजी खबरों से यह पता चलता है कि दो महत्वपूर्ण राज्यों में चुनाव तिथियों की घोषणा अगले माह के पहले सप्ताह से लेकर दूसरे सप्ताह में कभी भी हो सकती है। हालांकि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने अपनी आगरा की परिवर्तन रैली में कहा कि नोट बंदी का फैसला किसी को परेशान करने के लिए नहीं है। किन्तु चुनाव आयोग की तैयारियों से स्पष्ट है कि नोट बंदी की घोषणा सपा सुप्रीमो मुलायम सिंह, बसपा सुप्रीमो सुश्री मायावती और आम आदमी पार्टी प्रमुख केजरीवाल और उनके समर्थकों के काले धन को उनके खजाने में सडऩे को मजबूर कर दिया जाए।
उत्तर प्रदेश निर्वाचन आयोग के एक वरिष्ठ अधिकारी ने संकेत दिया कि 15 दिसम्बर के बाद किसी भी समय चुनाव तिथियों की घोषणा के लिए तैयार रहने को कहा गया है। इसके मद्देनजर राज्य निर्वाचन कार्यालय को देश के सबसे बड़े राज्य में चुनाव की तैयारियों के लिए बहुत थोड़ा समय मिलेगा। उन्होंने बताया कि हमारे पास अवकाश के लिए कोई समय नहीं है। फिलहाल हमारा सारा ध्यान निर्वाचन सूचियों के पुनरीक्षण कार्य पर है। उन्होंने कहा कि हम निर्वाचक मतदाता सूची दो जनवरी को जारी करने की तैयारी में हैं। इसके आधार पर ही राज्य विधानसभा के चुनाव होंगे।आयोग ने इस बार निर्वाचक नामावली में बडे पैमाने पर युवा और महिलाओं को जोडने का लक्ष्य निर्धारित किया है। इस बीच, रिपोर्टो के अनुसार उत्तर प्रदेश के साथ देश के चार अन्य राज्यों पंजाब, गोवा, मणिपुर और उत्तराखंड में जनवरी के अंतिम सप्ताह से मार्च के पहले हफ्ते के बीच राज्य विधान सभा के चुनाव हो सकते हैं। आयोग को पहले चरण के चुनाव की तिथियों के ऐलान के 45 दिन में पहले चरण का मतदान कराना होता है। चुनाव की तिथि की घोषणा के साथ ही आदर्श आचार संहिता लागू हो जाती है और विकास के कार्यो की गति थम जाती है।
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