नोट बंदी के गर्मागर्म मामले को नई दिशा देते हुए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने देश के सभी सांसदों और विधायकों के समक्ष नैतिकता व आत्म सम्मान बचाने का एक अवसर दिया है। उन्होंने सबसे पहले अपनी ही पार्टी के सांसदों व विधायकों पर नकेल कसी है। प्रधानमंत्री ने स्पष्ट किया है कि पार्टी के सांसद नोट बंदी के दिन यानी आठ नवंबर से 30 दिसंबर तक के बैंक के लेन-देन की पूरी डिटेल राष्ट्रीय अध्यक्ष को सौंप दें ताकि भ्रष्टाचार व कालेधन के खिलाफ निर्णायक लड़ाई में आर-पार का फैसला किया जा सके। अरविंद केजरीवाल द्वारा केन्द्रीय मंत्री व गौतमबुद्धनगर के भाजपा सांसद डॉ. महेश शर्मा की बेटी की शादी पर अंगुल उठाते हुए शादी के खर्चे का ब्यौरा मांगा था। इस पर डॉ. शर्मा ने स्वयं ही उन्हें जवाब देकर लाजवाब कर दिया। इसके अलावा विपक्षी दलों द्वारा लगातार यह आरोप लगाए जा रहे हैं कि नोट बंदी के फैसले की जानकारी भाजपा नेताओं को पहले ही दे दी गई थी ताकि लोग अपना-अपना काला धन ठिकाने लगा सकें। इन दोनों मुद्दों पर विचार करने के बाद प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने यह कदम उठाया है। यह माना जा रहा है कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के इस कदम के बाद सभी दलों के सांसदों व विधायकों पर भी नैतिकता के लिए दबाव बढ़ेगा। यदि कोई इस मामले में दोषी पाया गया तो सरकार पर पक्षपातपूर्ण कार्यवाही का आरोप तो नही लग सकेगा। मतलब यह है कि सांसदों व विधायकों पर इस तरह से कसेगा शिकंजा। इस तरह से माननीयों की की जा रही है घेराबंदी।
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