देश की ‘जनता’ अब बन चुकी है ‘जनार्दन’
नोटबंदी को लेकर जिस तरह से प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को समर्थन मिल रहा है उससे विपक्ष के नेता खासकर अरविंद केजरीवाल, राहुल गांधी, सुश्री मायावती, सुश्री ममता बनर्जी भले विरोध कर रहे हैं वहीं अमर सिंह, नीतीश कुमार, रतन टाटा जैसे लोग खुलकर समर्थन कर रहे हैं। सबसे कीमती बात रतन टाटा ने कही कि देश में समान अर्थव्यवस्था चला रहे कालेधन, हवाला कारोबारियों और मनी लांड्र्रिंग करने वालों से ये लड़ाई है। ये लड़ाई आसान नहीं है। इस लड़ाई में भले ही सरकारी मशीनरी विशेषकर बैँकों पर बोझ बढ़ गया है लेकिन आने वाले समय में इसका फायदा अवश्य ही देश की जनता को मिलेगा। जब प्रधानमंत्री इतनी बड़ी लड़ाई लड़ रहे हैं तो देश के लोग भी बढ़ चढ़ कर समर्थन कर रहे हैं। ये कोई नई बात नहीं है। देश के लोग अब भेडिय़ा धसान की तरह नहीं रह गए हैँ बल्कि लोकतांत्रिक राज में आने वाले उतार-चढ़ाव को समझने लगे और उसके बाद ही अपना फैसला देते हैं। अन्ना हजारे का आंदोलन, मनमोहन सिंह सरकार की चुप्पी, पर जनता ने जैसी प्रतिक्रिया दे चुकी है। उस पर गंभीरता से विचार करें तो साफ हो जाएगा कि देश की जनता जनार्दन बन चुकी है। वह भावनाओं से ऊपर उठकर सही निर्णय करती है। सोचना तो उन नेताओं को चाहिए कि जो देश की जनता को अपना बंधक समझ लेते हैँ। यदि आज इंदिरा सरकार के समान राज्यों में फैसले होने लगें तो एक दिन ऐसा फिर आएगा कि केन्द्र और राज्यों में एक ही पार्टी की सरकार होगी। अभी खींचतान के चलते ही आम जनता उस आदमी को सरकार चुनने का अवसर देती है जहां तक उसकी पहुंच हो सके। जब प्रधानमंत्री के इरादे नेक हैं और भावनाएं सहीं हैं तो जनता कष्ट उठाकर भी उनका समर्थन कर रही है और क्यों न करे?
नोटबंदी को लेकर जिस तरह से प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को समर्थन मिल रहा है उससे विपक्ष के नेता खासकर अरविंद केजरीवाल, राहुल गांधी, सुश्री मायावती, सुश्री ममता बनर्जी भले विरोध कर रहे हैं वहीं अमर सिंह, नीतीश कुमार, रतन टाटा जैसे लोग खुलकर समर्थन कर रहे हैं। सबसे कीमती बात रतन टाटा ने कही कि देश में समान अर्थव्यवस्था चला रहे कालेधन, हवाला कारोबारियों और मनी लांड्र्रिंग करने वालों से ये लड़ाई है। ये लड़ाई आसान नहीं है। इस लड़ाई में भले ही सरकारी मशीनरी विशेषकर बैँकों पर बोझ बढ़ गया है लेकिन आने वाले समय में इसका फायदा अवश्य ही देश की जनता को मिलेगा। जब प्रधानमंत्री इतनी बड़ी लड़ाई लड़ रहे हैं तो देश के लोग भी बढ़ चढ़ कर समर्थन कर रहे हैं। ये कोई नई बात नहीं है। देश के लोग अब भेडिय़ा धसान की तरह नहीं रह गए हैँ बल्कि लोकतांत्रिक राज में आने वाले उतार-चढ़ाव को समझने लगे और उसके बाद ही अपना फैसला देते हैं। अन्ना हजारे का आंदोलन, मनमोहन सिंह सरकार की चुप्पी, पर जनता ने जैसी प्रतिक्रिया दे चुकी है। उस पर गंभीरता से विचार करें तो साफ हो जाएगा कि देश की जनता जनार्दन बन चुकी है। वह भावनाओं से ऊपर उठकर सही निर्णय करती है। सोचना तो उन नेताओं को चाहिए कि जो देश की जनता को अपना बंधक समझ लेते हैँ। यदि आज इंदिरा सरकार के समान राज्यों में फैसले होने लगें तो एक दिन ऐसा फिर आएगा कि केन्द्र और राज्यों में एक ही पार्टी की सरकार होगी। अभी खींचतान के चलते ही आम जनता उस आदमी को सरकार चुनने का अवसर देती है जहां तक उसकी पहुंच हो सके। जब प्रधानमंत्री के इरादे नेक हैं और भावनाएं सहीं हैं तो जनता कष्ट उठाकर भी उनका समर्थन कर रही है और क्यों न करे?
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