साइबर सिक्योरिटी और साइबर अटैक से लोगों को करना होगा जागरुक
कैशलेस सोसायटी यानी डिजिटल इंडिया अभियान के खतरों से निपटने के लिए सरकार और कारोबार करने वाली कंपनियों को अपनी ओर पहल करनी होगी। क्योंकि डिजिटल पेमेंट से जुडऩे वाले भारी संख्या में नए यूजर्स ऐसे भी होंगे, जो पहली बार इन सेवाओं का उपयोग करेंगे। जिन्हें मोबाइल बैंकिंग का प्रारंभिक ज्ञान भी नहीं होगा। ऐसे लोगों को साइबर अटैक के खतरों का ज्ञान भी नहीं होगा। किसी भी संस्था को ऐसे यूजर्स बहुत बड़ा झटका दे सकते हैं। इसलिए सरकार और निजी कंपनियों को मिलकर नये यूजर्स के लिए जागो और सीखो इंडिया अभियान चलाना होगा। इसके लिए चाहे सरकार या कंपनियां अपने अपने प्रयासों से लोगों को पहले डिजिटल ट्रांजेक्शन के बारे में बताएं फिर बताएं कि किस तरह से सावधानी बरतें कि कोई जोखिम न रहे। इन कंपनियों को चाहिए कि अपनी सेवाएं देने से पहले जागरुकता अभियान चलाएं और अपने ग्राहकों को साइबर अटैक के खतरों से आगाह करें और उन्हें इन खतरों से बचने के लिए प्रशिक्षित भी करें। इसके अलावा कंपनियों को आने वाले खतरों से निपटने और उनकी जानकारी रखने के लिए टेक्निकल स्टाफ रखना होगा जो अपनी वेबसाइट और अन्य माध्यमों से ग्राहकों को सतर्क कर सकें। इसके बारे में सभी प्रचार माध्यमों पर हैकिंग प्रणाली का प्रचार करके समय-समय पर सतर्क करते रहना होगा।निजी कंपनियों के अलावा सरकार को भी चाहिये कि वह भी अपनी नीतियों को लागू किए जाने के बारे में जांच पड़ताल करे यदि कोई गड़बड़ी हो तो उसे दुरुस्त कराये। लोगों को सरकारी नीतियों को सख्ती से लागू करने के बारे में भी बताया जाए। जो कंपनी पर्याप्त सुरक्षा न दे सके उस पर नजर रखी जाए और आवश्यक होने पर कार्यवाही की जाए। इसका फायदा यह होगा कि लोग अधिक से अधिक खतरों के बारे में जान जाएंगे और लोगों का नुकसान कम से कम होगा। सुरक्षा इंतजामों को पीपीपी मोड में अधिक से प्रसारित करने पर लोग साइबर अटैक से अधिक परिचित हो जाएंगे। इसके बाद तीसरा पक्ष आता है ग्राहक का। ग्राहकों को भी चाहिए कि अधिक से अधिक सुविधा पाने के लिए साइबर सुरक्षा और साइबर अटैक के प्रति खुद अधिक से अधिक अपडेट करते रहें ताकि नुकसान न हो। ग्राहकों को चाहिए कि सतर्कता के चलते जल्दी जल्दी अपने पासवर्ड बदलते रहें।
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