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Monday, 28 November 2016

व्यंग्य:ओ३म जय मोबाइल फोना

ओ३म जय मोबाइल फोना, जय मोबाइल फोना।
तुमसे चमक रहा है मेेरे घर का कोना- कोना।
ओ३म जय मोबाइल फोना..
तू ही ब्रह्मा हो, तू ही विष्णु, तुम हो जादू टोना
लक्ष्मी मइया तुम हो, तुम ही हो चांदी- सोना
ओ३म जय मोबाइल फोना...
अब तक घर-घर में लोग करते थे बात
तरह-तरह के तुम दिखलाते हो करामात
ओ३म जय मोबाइल फोना..
तुम कैमरा बन जाते, बन जाते कम्प्यूटर
हिसाब लगाने को बन जाते कैलकुलेटर
ओ३म जय मोबाइल फोना..
अब बनने जा रहे हो नोटो की टकसाल
जो कोई तुमको चाहे हो जाए मालामाल
ओ३म जय मोबाइल फोना..
मोबाइल फोना जी, आरति जो कोई गावे
कह गड़बड़ कविराय बिगड़े काज बन जावे
ओ३म जय मोबाइल फोना..

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