बीते सप्ताह में डॉलर के मुकाबले रुपये ने गिरावट के पिछले 39 माह का रिकार्ड तोड़ते हुए 68.86 रुपये प्रति डॉलर का रेट तय किया। भारतीय मुद्रा के गिरावट में आए इस भूचाल के बाद रिजर्व बैंक ने हस्तक्षेप किया तब रुपया 27 पैसे बढ़ा और वह 68 रुपये 46 पैसे पर थम सका। निर्यातकों और बैंकों द्वारा डॉलर्स की भारी थोक में बिक्री से डॉलर के भाव आसमान छूने लगे। गुरुवार को रुपये का लगातार गिरना जारी रहा और यह रेट 68.86 पर पहुंच गया। इससे मुद्रा बाजार में अफरा-तफरी मचने का भय उत्पन्न हो गया। इसके बाद रिजर्व बैंक ने हस्तक्षेप किया। तब कहीं जाकर स्थिति शांत हुई।
बताया जाता है कि डोनाल्ड ट्रम्प के राष्ट्रपति बनने के बाद से अमेरिकी व्यवस्था में काफी तेजी आई है। एक डीलर के अनुसार डोनाल्ड ट्रम्प ने अपनी विजय के बाद अमेरिकी नागरिकों के प्रति आभार प्रकट करने के लिए विशाल रैली का आयोजन किया। रैली को मिले समर्थन से अमेरिकी अर्थव्यवस्था में भूचाल आ गया। इसका नतीजा सीधा डॉलर पर पड़ा और वह तेजी से आसमान की ओर चढ़ गया। इससे पूर्व के पिछले दो सप्ताह से डॉलर 66.43 रुपये पर था। इसे भी काफी दमदार स्थिति कहा जा रहा था। इसके बाद रिजर्व बैंक के हस्तक्षेप से रुपया 68.46 प्रति डॉलर और 72.38 प्रति यूरो के दर पर रुका।
बताया जाता है कि डोनाल्ड ट्रम्प के राष्ट्रपति बनने के बाद से अमेरिकी व्यवस्था में काफी तेजी आई है। एक डीलर के अनुसार डोनाल्ड ट्रम्प ने अपनी विजय के बाद अमेरिकी नागरिकों के प्रति आभार प्रकट करने के लिए विशाल रैली का आयोजन किया। रैली को मिले समर्थन से अमेरिकी अर्थव्यवस्था में भूचाल आ गया। इसका नतीजा सीधा डॉलर पर पड़ा और वह तेजी से आसमान की ओर चढ़ गया। इससे पूर्व के पिछले दो सप्ताह से डॉलर 66.43 रुपये पर था। इसे भी काफी दमदार स्थिति कहा जा रहा था। इसके बाद रिजर्व बैंक के हस्तक्षेप से रुपया 68.46 प्रति डॉलर और 72.38 प्रति यूरो के दर पर रुका।
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