जन धन खातों में जमा हुए 21 हजार करोड़ रुपये, दोषियों पर होगी कार्रवाई
जन धन खातों में जमा भारी रकम के बाद पुराने नोटों से छोटी बचत योजना की खरीद पर अब सरकार की नजर है क्योंकि बैंकों को पहले ही छोटी बचत योजनाओं में जमा करने के लिए 500 रुपये तथा 1,000 रुपये के नोटों को स्वीकार न करने का निर्देश दिया गया था। छोटी बचत योजनाओं में पब्लिक प्रॉविडेंट फंड (पीपीएफ), पोस्ट ऑफिस सेविंग स्कीम्स, नेशनल सेविंग्स सर्टिफिकेट्स (एनएससी), सीनियर सिटिजन सेंविग्स स्कीम (एससीएसएस) अकाउंट तथा किसान विकास पत्र (केवीपी) शामिल हैं।रिजर्व बैंक ने साफ किया है कि भारत सरकार ने फैसला किया है कि ग्राहकों को पुराने नोटों को छोटी बचत योजनाओं में जमा करने की मंजूरी नहीं दी जा सकती। इसलिए बैंकों को तत्काल प्रभाव से 500 रुपये तथा 1,000 रुपये के पुराने नोटों को छोटी बचत योजनाओं के लिए स्वीकार नहीं करने की सलाह दी गई थ्री।
केंद्र सरकार द्वारा आठ नवंबर को की गई नोटबंदी के बाद जन धन बैंक खातों बड़ी छानबीन के बाद यह पता चला है कि इन खातों में 21,000 करोड़ रुपये जमा कराए गए हैं। ये रकम प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा आठ नवंबर को नोटबंदी की घोषणा करने के बाद जमा कराई गई है। वित्त मंत्रालय के सूत्रों ने कहा कि अधिकांश रकम पश्चिम बंगाल में लोगों के जन धन खाते में जमा कराए गए हैं। राजनीतिज्ञों ने यह टिप्पणी की है कि इसीलिए पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी को सबसे अधिक गुस्सा आ रहा है।वित्त मंत्री अरुण जेटली ने चेतावनी देते हुए कहा था कि इस तरह की गतिविधि के लिए अपने खातों का इस्तेमाल करने की मंजूरी देने वालों को कार्रवाई का सामना करना पड़ेगा। मंत्रालय ने कहा कि अगर इस बात का खुलासा हो जाता है कि खाते में डाली गई रकम खाताधारक की नहीं, बल्कि किसी और की हैं, तो इसमें दो राय नहीं कि कर चोरी की यह गतिविधि आयकर तथा दंड के अधीन विषय है। इस उद्देश्य के लिए अपने खातों का गलत इस्तेमाल करने की मंजूरी देने वाले लोगों को आयकर अधिनियम के तहत दंडित किया जाएगा।
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