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Wednesday, 30 November 2016

कैशलेस सोसायटी :साइबर सिक्योरिटी बहुत हाईटेक हो

साइबर हमले से होता है बहुत बड़ा नुकसान

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के डिजिटल इंडिया अभियान को पंख लगने शुरू हो गए हैं। अगर इस काम में लगी कंपनियों के आंकड़ों को देखें तो अवश्य ही चौंकाने वाले हैं लेकिन साथ ही साइबर सिक्योरिटी के साथ साइबर अटैक का भय भी दस्तक दे रहा है। अभी पिछले माह के अंत में भारत में बहुत बड़े वित्तीय आंकड़ों पर साइबर अटैक हुआ था। इस संस्था से जुड़ी बड़ी-बड़ी बैँकिंग कंपनियों और तीस लाख से अधिक यूजर्स को काफी नुकसान हुआ है। यह घटना उस समय हुई जब हिटैची एटीएम के आंकड़ों को चुरा लिया गया और इनके यूजर्स के लागिन भी हैक कर लिए गए और इससे बड़े पैमाने पर अवैध लेन-देन हुआ। बिना सुरक्षा के इस तरह के ट्रंाजेक्शन को बढ़ावा देना खतरनाक होगा। हालांकि प्रधानमंत्री अपनी इस स्कीम पर जोर दे रहे हैं और देश उनकी आवाज सुन भी रहा है। पिछले सप्ताह के आंकड़ों पर नजर डालें तो डिजिटल पेमेन्ट ने नया रिकार्ड बनाया है। पेटीएम का कहना है कि मेरी कंपनी के मोबाइल एप्लीकेशन को डाउनलोड करने की संख्या में 200 परसेंट का इजाफा हुआ है और पूरे ट्रांजेक्शन में 250 परसेंट की वृद्धि हुई है। मोबीक्विक का कहना है कि मेरी कंपनी के यूजर्स ने डिजिटल पेमेंट के बारे में पूछताछ बड़े पैमाने पर की है और यह वृद्धि 200 परसेंट के करीब है। आक्सीजन और पेयू कंपनियों का कारोबार भी चमक गया है। यह संकेत कैशलेस सोसाइटी की ओर सही दिशा में अग्रसर हैं। लेकिन हमारी नकदीरहित अर्थव्यवस्था को सुरक्षित करने के लिए हमारे पास टेक्नॉलॉजी डेवलपमेंट भी उतने हैं जितने जरूरी हैं। साइबरसिक्योरिटी भी असामान्य तरीके की चाहिए ताकि कोई उसमें आसानी से सेंध न लगा सके। अब सवाल यह उठ रहा है कि क्या देश नए पेमेंट प्लेटफार्म के लिए सुरक्षित है? विश्व की जानी मानी कंपनी आईबीएम और पोनेमोन ने अपनी एक रिपोर्ट में कहा कि भारत डाटा हैकरों के लिए सबसे अधिक पंसदीदा देश है। यानी कि जोखिम बहुत अधिक है। इस तरह के साइबर अटैक बहुत ही अत्याधुनिक होते हैं। कोई भी आईटी का एक्सपर्ट कभी भी अपना रंग दिखा सकता है। इसमें मोबाइल एप्लीकेशंस, जासूसीप्रोग्रामों के जरिये आपकी सारी सूचनाएं प्राप्त कर सकते हैं यहां तक आपके लॉगइन जानकारियां हासिल कर बहुत बड़ा नुकसान पहुंचा सकते हैं। इस खतरे को लेकर डिजिटल पेमेंट में कारोबार करने की इच्छुक कंपनियां लाख सुरक्षा उपाय उठाने के बावजूद चिंतित हैं। उनकी समझ में नहीं आ रह है कि वह क्या करें कि आने वाले समय में जुडऩे वाले नए अनपढ़ एवं अप्रशिक्षित यूजर्स के जुडऩे के बाद भी कोई खतरा न हो। 

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