बंद की जगह मतदान हुआ होता तो मोदी फिर बन जाते हीरो
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने जब से नोट बंदी की घोषणा की है तब से लगातार विपक्ष तरह-तरह की बयानबाजी कर जनता को बरगलाने की कोशिश कर रहा था। इन दलों के चंद समर्थक अपने-अपने आकाओं को खुश करने के लिए उनकी जुबान में बोल रहे थे। एक बार पीएम को भी लगा हो सकता है कि कठोर फैसला है, जनता को परेशानी हो रही है लेकिन जनता इस फैसले को लेकर उनके खिलाफ तो नहीं खड़ी हो रही है। यह सोच कर उन्होंने अपने ऐप में रायशुमारी कर डाली। इसमें मोदीजी को 85 प्रतिशत से अधिक समर्थन मिला। अब इस पर विपक्षी दल यहां तक भाजपा के कुछ असंतुष्ट लोगों ने सवाल उठाए। बसपा सुप्रीमों सुश्री मायावती ने तो रायशुमारी को फर्जी और भाजपा द्वारा प्रायोजित करार देकर चुनौती ही दे डाली कि दम हो तो चुनाव कराकर देख लें। अब इसी नोटबंदी को लेकर विपक्ष ने एकजुट होकर भारत बंद का आयोजन किया। बंद से पहले ही कई विपक्षी दल मोदी जी के साथ आ खड़े हुए। बाकी विपक्षी दलों के हौंसले पस्त हो गए और सडक़ों पर बिखरे विपक्ष का हाल पूरा देश जान गया। इसे रायशुमारी माना जाए तो बंद को लेकर मोदी जी बड़ी भारी विजय है और विपक्ष की करारी हार। यदि बंद की जगह इसी मुद्दे वोट डाले जाते तो विपक्ष की लुटिया ही डूब जाती।
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