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Monday, 28 November 2016

व्यंग्य पुराण: जब नारद जी को पड़ गए नोट के लाले

मोदी-मोदी,मोदी-मोदी के नारों की गूंज आवाज में पड़ी तो चौंक कर देखा कि नारद जी मोदी-मोदी के नारे लगा रहे हैं। अरे-अरे नारद जी क्या हो गया? नारायण-नारायण की जगह मोदी-मोदी क्यों? कहां से आ रहे हैं? क्या माजरा है? अरे भक्त कुछ  मत पूछो। त्रैलोकी में आजकल भूकम्प आया हुआ है। सभी लोग सकते में हैं। सबसे ज्यादा परेशान हैं लक्ष्मी मइया। वो कहतीं हैं कि जब हमारे भक्तों का नोट यानी धन यानी लक्ष्मी के बिना ही मोबाइल से काम चल जाएगा तो मेरी पूजा ही कौन करेगा। और कुबेर जी का क्या हाल है? वे तो खजाने के साथ लापता हैं। उन्हीं को तो खोजने आया हूं। तो मोदी-मोदी क्यों चिल्ला रहे थे? पता चला है कि कुबेरजी मोदी के खजाने में हैं। वह क्यों? वह इसलिए कि त्रैलोक में यह खबर पहुंच गई है कि अब रुपया पैसा, अठन्नी-चवन्नी नहीं चलेगी, अब मोबाइल फोन से सब कुछ होगा। तो क्या हुआ? अरे बुद्धू भगत तू निरा बुद्धू का बुद्धू ही रहा। अब भगवान पर भक्त क्या मोबाइल चढ़ाएगा। अब तो सभी भगवानों को मोबाइल सिम खरीदने होंगे तभी तो भक्त उन पर अपना चढ़ावा चढ़ा पाएगा। इसलिए सभी ने मोबाइल फोन और सिम मंगवाए हैं। वही लेने आया हूं। उसी के लिए कुबेर को खोज रहा हूं। तो वहां कुछ भी नहीं बचा। नहीं-नहीं, वहां तो बहुत कुछ बचा लेकिन जब यहां आया तो पता चला कि अभी कुछ दिन पहले के 500 और 1000 के नोट नहीं चल रहे हैं तो हमारे पुराने तांबे,पीतल और गिलट आदि के सिक्के कहां से चलेंगे? सोना-चांदी का क्या हुआ? अरे मूर्ख तुझे नहीं मालूम। सोना-चांदी जब कलयुग आया तो सारा का सारा ले आया था। अब इन सिक्कों को लेकर जहां जाता हूं लोग कहते हैं कि बाबा पगला गया है। इस जमाने में ये सिक्के लेकर इधर उधर डोल रहा है। मोबाइल फोन वाले और सिम वाली कंपनियां तो पुराने नोट ले रहीं हैं। यही तो चूक गए। वहां भक्तों के चढ़ाए हुए एक हजार और पंाच सौ के नोट तो थे पर जब पता चला कि वे नहीं चल रहे हैं तो सिक्के ले आया। मोबाइल फोन वाले और सिम वाले एक ही रट लगाए हैं कि पुराने नोट ले आओ तो काम चलेगा इस भंगार का हम क्या करेंगे। नारद जी एक बात तो बताओ कि मानो मोबाइल फोन मिल गया और सिम मिल गया तो त्रैलोकी में कौन सी कंपनी का टॉवर लगा है जो आप सभी का मोबाइल फोन काल पहुंचेगी और नोट-सिक्के बिना छनाछन होगी? ये क्या बवाल है? वहां तो ऐसा कुछ भी नहीं है तो इसके बिना कोई काम नहीं होगा। नहीं-नहीं बिलकुल नहीं होगा। तो फिर क्या करें। जाओ पहले त्रैलोकी में टॉवर लगवाओ तब आओ। ऐसा नहीं है भक्त, वो क्या होता है,फीमेल,ई-मेल, बेमेल से काम नहीं चलेगा क्या? नहीं नारदजी,नहीं। किसी बेमेले झेमेल से काम नहंीं चलने वाला क्योंकि ये सारा तालमेल से काम चलता है। तो भक्त किसी एक काले धन वाले का पता बताओ,जिसके पास कोठरियों मे ंनोट बंद हों,उससे मिलकर कुछ काम बन सकता है। नारदजी पगला गए हो, तुम तो जेल जाओगे साथ में हमको भी मुफ्त की रोटियां तुड़वाओगे। प्रणाम नारद जी। अच्छा भक्त, तू जा, तू मेरे किसी काम का नहीं। मैं किसी और भक्त को तलाशता हूं। मोदी-मोदी कहते हुए नारद जी अज्ञात मंजिल की ओर रवाना हो गए।

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