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Saturday, 31 December 2016

...तो ये बाप-बेटे के बीच की नूराकुश्ती थी

कई समीकरणों से लोगों के मन में उठी शंका

समाजवादी पार्टी का कुनबाई महाभारत का 18 घंटे का हाईवोल्टेज ड्रामा बाप-बेटे के बीच की नूराकुश्ती थी। दिखाने को यह था कि पार्टी पर नजर रखने वाले को मुलायम सिंह वर्दाश्त नहीं कर पाएंगे। लेकिन बढ़ती उम्र के चलते वे पार्टी की कमान बेटे को सौंपना चाहते थे। यदि सीधे-सीधे पार्टी की कमान अखिलेश यादव को सौंप देते तो इससे असली महाभारत हो जाती। मुलायम सिंह ने मंझे हुए शतरंज के खिलाड़ी की भांति चाल चलते हुए पार्टी को बचाकर अपने राजनीतिक उत्तराधिकारी बेटे को सौंपने का जिस तरह से मार्ग प्रशस्त किया है, उससे बड़े-बड़े बुद्धिजीवी चकरा रहे हैं। बताया जा रहा है कि इस महाभारत में उनके समधी और बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री लालू प्रसाद यादव ने भी बड़ी अहम भूमिका निभाई है। मुलायम सिंह के करीबी जानकार कहते हैं कि मुलायम सिंह को किसी अपने आदमी को आगे बढ़ाना होता है तो या तो उसके नाम की सिफारिश दूसरे से करवाते हैं या उसे डाट डपट कर उस आदमी के पास भगा देते हैं जो उसका काम करेगा। अखिलेश के मुख्यमंत्री और प्रदेश अध्यक्ष पर बैठाने के लिए मुलायम सिंह ने पहला तरीका अपनाते हुए दूसरों से नाम प्रस्तावित कराया। अब चूंकि मुख्यमंत्री के साथ पार्टी अध्यक्ष पद देने के गंभीर मसले को आसानी से नहीं निपटाया जा सकता था। इसलिए पहले अखिलेश यादव को रामगोपाल यादव के करीब आने दिया। दोनों के बीच खूब खिचड़ी पकने दी। इस बीच सत्ता को लेकर अखिलेश यादव और शिवपाल सिंह यादव के बीच चल रहे झगड़े को शांत करने के लिए अखिलेश यादव को प्रदेश अध्यक्ष पद से हटाकर शिवपाल सिंह को प्रदेश अध्यक्ष बना दिया। प्रदेश अध्यक्ष बनने से अखिलेश को कोई परेशानी न होती अगर ये चुनाव न आते और टिकट बांटने की पूरी जिम्मेदारी उन्हें नहीं दी गइ्र्र होती। जिम्मेदारी मिलते ही शिवपाल सिंह ने अखिलेश समर्थकों के पत्ते काटने शुरू कर दिए। कहते हैं कि दो बंदरों की लड़ाई का लाभ बिल्ली उठाती है। यह भी कहा जाता है कि बिल्ली के भाग्य से छीका (दूध रखने वाला रस्सी का थैला) भी टूटता है। इसी खास मौके की ताक में बैठे पुराने सपा के चाणक्य अमर सिंह ने शिवपाल सिंह यादव पर डोरे डाले कि यदि मेरी वापसी कराओगे तो तुम्हें अगला मुख्यमंत्री बनवा देंगे। शिवपाल सिंह यादव ने मुलायम सिंह यादव को मना कर अमर सिंह की वापसी करवा तो दी लेकिन अखिलेश यादव ने फिर विरोध किया। इसके बाद की कहानी सामने है मुलायम सिंह न तो अमर सिंह के बुरे हुए नही शिवपाल सिंह के बुरे हुए। इस तरह से मुलायम सिंह यादव भाई शिवपाल सिंह यादव और अमर सिंह का साथ देकर अखिलेश-रामगोपाल  के विरोधी भी बनने का दिखावा करते रहे। इस बीच अखिलेश यादव ने चुनाव को अपनी ओर करने के लिए अमेरिका में राष्ट्रपति पद का चुनाव लडऩे वाले हिलेरी क्लिंटन और अल गोरे का चुनाव मैनेजमेंट संभालने वाले प्रोफेसर स्टीव जाडिंग को हायर कर लिया। उनके कहने पर ही यह सारा खेल खेला गया। इस बात की भनक किसी सपा कार्यकर्ता को लगी तो उसने नौसिखियापन में गत 24 जुलाई को एक ईमेल करके लीक कर दिया। इस ईमेल को किसी ने गंभीरता से नहीं लिया। बीबीसी लंदन ने इस हाईवोल्टेज ड्रामा पर मुलायम कुनबे के पैतृक गांव सैफई में लोगों की नब्ज टटोली तो सभी ने यह कह कर पल्ला झाड़ लिया कि यह तो उनके घर की लड़ाई थी और ऐसा तो होना ही था। कोई नई बात नहीं है। बीबीसी के अनुसार सैफई गांव में प्रवेश करते ही तीन पहिये वाली साइकिल पर घूम रहे एक बुज़ुर्ग व्यक्ति राम रतन से हमारा सामना हुआ। कुछ लोगों ने बताया कि ये गांव के सबसे उम्रदराज़ व्यक्ति हैं। ख़ुद राम रतन का कहना था कि वो सौ साल के हैं।उन्होंने यादव परिवार में चल रही खींचतान के बारे में कहा कि इस बारे में हम कुछ नहीं कहेंगे। राजाओं की लड़ाई में हमारी क्या दिलचस्पी? टीवी में देख लेते हैं बस।
वहीं जब हमारी मुलाक़ात सैफ़ई मेडिकल कॉलेज के एक डॉक्टर अक्षय यादव से हुई तो उन्होंने इस पर कुछ बताने की कोशिश ज़रूर की, लेकिन नफ़ा-नुक़सान तौलकर. वो कहते हैं, कोई लड़ाई, कोई तकऱार नहीं है. नेताजी पार्टी के मुखिया हैं और अखिलेश यादव उनके  उत्तराधिकारी. बाकी सब कार्यकर्ता हैं। इस वीआईपी गांव के प्रधान दर्शन सिंह यादव गांव के चौराहे पर एक चाय की दुकान पर मिले तो बोले कि घर की लड़ाई है, हम बीच में क्यों टांग अड़ाएं. आज लड़ रहे हैं, कल फिर एक हो जाएंगे।

युवराज की ताजपोशी के मायने

महाराज वनवास सह लेंगे, लेकिन बाकी क्या चुप बैंठेंगे

समाजवादी की कुनबाई महाभारत के 18 घंटे का युद्ध समाप्त हो गया। युवराज अखिलेश यादव की ताजपोशी की तैयारियां बहुत जोर-शोर से शुरू हो रहीं हैं। जैसा कि खबरों में चल रहा है कि रविवार को बाकायदा युवराज की महाराज पद पर ताजपोशी हो भी जाएगी। महाराज को वनवास तो नहीं राजनिवास दे दिया जाएगा। सभी खुश हैं। क्या अमर सिंह, अतीक अहमद, शिवपाल सिंह यादव जैसे लोगों के दिल में क्या चल रहा होगा, इसका अनुमान किसी ने लगाया है। या तो ये मुलायम के पक्के भक्त हों और उनके इशारे पर चंद दिनों के लिए शांत हो कर बैठ जाएं वरना शिवपाल सिंह और मथुरा कांड का कनेक्शन उनका चाल-चरित्र सामने आता है। सपा से बेइज्जत होकर बाहर निकाले गए अमर सिंह अपने अपमान का घूंट यूं ही पी कर रह जाएंगे जब उन्हें भविष्य में सपा में अपनी वापसी की कोई संभावना न नजर आ रही हो। क्या वह शिवपाल सिंह यादव को फिर से नहीं भडक़ाएंगे। अमर सिंह के पास दिमाग है, पैसा है। वह सपा प्रमुख मुलायम सिंह के बहुत करीबी ही नहीं बल्कि अनेक अंतरंग बातों के राज जानते जो अभी तक राज बनीं हुईं है। पर्दाफाश हुआ तो सपा में विस्फोट हो जाएगा। इसके अलावा लाल बत्ती की आकांक्षा लिए अतीक अहमद चुप होकर रह जाएंगे, उनकी पैरवी तो लालू यादव करेंगे तो समधी की बात मुलायम सिंह और उनका वेटा काट पाएगा। कुल मिलाकर युवराज को कांटों का ताज मिलने जा रहा है और चुनाव सिर पर है। कहीं शिवपाल गुट भितरघात करके अखिलेश को करारी चोटयह सोंच कर न पहुंचा दें कि खाने को न मिलेगी तो बिखरा ही दें। यही हाल भाजपा के साथ दिल्ली और बिहार में हो चुका है परिणाम सामने है। अब यूपी में भाजपा के लिए भी कुछ अच्छी खबर नहीं है। आगे-आगे देखिये होता है क्या, सब कुछ वक्त बता देगा।

अखिलेश हुए मजबूत,सपा हुई कमजोर

सपा के हाइ्र्रवोल्टेज ड्रामा से भाजपा-बसपा नेता हुए खुश

समाजवादी पार्टी में 18 घंटे के हाईवोल्टेज ड्रामा से अखिलेश यादव भले ही मजबूत हो कर उभरे हों और समाजवादी पार्टी के सर्वमान्य नेता बनकर सामने आए हों लेकिन इस ड्रामे का साईडइफेक्ट यह हुआ है कि आज सुबह की बैठक के समय जहां अखिलेश यादव की लोकप्रियता की टीआरपी जहां 20 प्रतिशत से अधिक बढ़ गई थी। समाजवादी पार्टी से अधिक युवाओं की उम्मीद के रूप में उभरे अखिलेश यादव की लोकप्रियता काफी बढ़ गई थी लेकिन जब शाम को आजम खां की मध्यस्थता के बाद समाजवादी पार्टी की कलह ऊपरी तौर पर भले ही थम गई हो और सपाई भी खुश हो गए हों  लेकिन सियासी जगत में लोकप्रियता की टीआरपी माइनस में आ गई है। सपा के घटनाक्रम में टिवटर पर यहां तक टिप्पणी की गई कि इतनी जल्दी साइकिल भी रिपेयर नहीं होती। सपा के घटनाक्रम में आज सुबह जब अखिलेश टॉप पर थे तो भाजपा और बसपा के नेताओं के चेहरे पर तनाव उत्पन्न हो गया था, उनकी समझ में नही आ रहा था कि वे यूपी पर कब्जा को लेकर क्या किया जाए। दूसरी ओर रालोद और कांग्रेस के नेता खुश थे। सरकार को बचाने के लिए अखिलेश यादव को बिना शर्त समर्थन देने का ऐलान भी कर दिया था लेकिन शाम होने तक जब सपा के हाईवोल्टेज ड्रामा का पटाक्षेप हुआ तो बसपा और भाजपा नेताओं की मानों बाछें खिल गईं हों और कांगे्रस और रालोद के नेताओं के चेहरे लटक गए हैं।

खाली करवा दिया भरे नोटों का झोला

हैप्पी न्यू ईयर 2017

खाली करवा दिया भरे नोटों का झोला
लो विदा हो गया साल 2016
जाते-जाते मोदीजी ने खली
करवा दिया भरे नोटों का झोला
अब आ रहा है साल 2017
मंडराने लगा है काली कमाई
करके छिपाने वालों पर खतरा
हम तुम क्या सोचे, क्या
पाया और क्या खोया
अच्छा-बुरा वही काटेगा
जिसने जैसा पहले बोया
चारो ओर हो खुशहाली
लहलहा उठे हरेक के तन मन के
बाग की डाली-डाली
गरीब को रहबर इतना दीजिए
साईं इतना दीजिए जिसमें
कुटुम्ब समाय
मैं भी भूखा न रहूं,
 साध न भूखा जाए
इससे ज्यादा जो रखे
वी भूखा मर जाए
इसी मंत्र  के उपासक हैं
हमारे पीएम नरेन्द्र भाई
जन-जन स्व्ीकार करें
साल 2017 की बधाई
मंगलमय हो नववर्ष
या कहें हैप्पी न्यू ईयर
गिफ्टों की झड़ी लगा दे
सबके जीवन में ईश्वर।

क्या है अब रिजर्व बैँक से नोट बदलने के नियम

1 जनवरी के बाद कौन बदल सकता है अपने पुराने नोट

30 दिसम्बर के बाद पुराने नोट सिर्फ कागज का टुकड़ा बन कर रह गये हैं। ऐसा पहले प्रधानमंत्री ने अपने नोट बंदी के निर्णय की घोषणा के बाद कहा था लेकिन अब इस फैसले में थोड़ी तबदीली हो गई है और 31 मार्च के बाद पुराने नोट दस से अधिक आपको मुसीबत में डाल सकते हें। इनके लिए आपको जुर्माना भी भरना पड़ सकता है।
अब आइए देखते हैं कि 1 जनवरी से 31 मार्च के बीच अपने पुराने नोटों को रिजर्व बैंक की खास शाखाओं में कौन और कैसे बदल सकता है। सरकार और रिजर्व बैंक की गाइडलाइन को देखें तो पता चलता है कि जो लोग 9 नवम्बर 2016 से लेकर 30 दिसम्बर 2016 तक अपने निजी या किसी अन्य तरह के कार्य से देश से बाहर थे वे ही आसानी से अपने पुराने नोट बदल सकता है।  सरकार का ऐसा मानना है कि देश में रहने वाला कोई व्यक्ति इन 50 दिनों में अपने पुराने नोट बदल सकता है या अपने खाते में जमा करा सकता है। उसके लिए यह छूट नहीं दी गई है। यह सिर्फ विदेश में रहने वाले व्यक्ति को ही एक बार की छूट मिलेगी। इसके अलावा उस व्यक्ति को फार्म 5 भर कर यह भी बताना होगा कि ये नोट उसे कहां से मिले और कब मिले तथा क्यों नहीं जमा कराये जा सके। 

10 से ज्यादा पुराने नोट पर नहीं होगी जेल

जुर्माना दस हजार से 50 हजार लगेगा

पुराने नोट रखने पर पहले 50 हजार रुपये का जुर्माना और चार साल की जेल का प्रावधान की खबरें आईं थी। सरकार ने इस फैसले में थोड़ी तबदीली करते हुए जुर्माने की राशि दस हजार रुपये से शुरूआत की है जो 50 हजार रुपये तक जाएगी और जेल की सजा के प्रावधान को फिलहाल हटा लिया है। नया कानून 31 दिसम्बर से लागू कर दिया गया है लेकिन यह 31 मार्च 2017 से प्रभावी होगा। सामान्यत: कोई भी व्यक्ति 10 नोट रख सकता है और शोघ करने वाले विद्यार्थी व अन्य लोग अपने पास पुरानी मुद्रा के 25 नोट रख सकते हैं लेकिन 31 मार्च के बाद इन नोटों के बदले में न तो रिजर्व बैंक और न ही सरकार से किसी तरह का दावा कर सकते हैं। इसलिए अब सामान्य जन को यह संदेश दिया जाता है कि कोई भी अपने पास रखे पुराने नोटों को लेकर बैंक में न जाए। 

Friday, 30 December 2016

चल पड़ी अखिलेश की लहर

समाजवादी पार्टी के महासंग्राम के बाद बाप-बेटे के बीच शक्ति परीक्षण के पहले राउंड में बेटा अखिलेश यादव अपने पिता से बाजी मार ले गया है। यूपी की सियासत में अखिलेश के नाम की लहर ही नहीं आंधी चल पड़ी है। विधायक, मंत्रियों के साथ नेताओं का समर्थन जोरदार तरीके से मिल रहा है। मौकापरस्ती देख मुलायम सिंह यादव के साथ रहने वाले लोग भी आने वाला भविष्य जानकर पल्ला झाड़ते हुए अखिलेश यादव के पास पहुंचने लगे हैं। शिवपाल सिंह यादव के गढ़ मथुरा और मुलायम सिंह यादव के गढ़ आजमगढ़ से भारी संख्या में सपा नेताओं ने अखिलेश यादव के निष्कासन के समर्थन में इस्तीफा दे चुके हैं। चही नहीं अखिलेश सरकार को बचाने के लिए राष्ट्रीय लोकदल और कांग्रेस भी आगे आ गए हैं। इन दोनों दलों के नेताओं ने अखिलेश यादव को बिना शर्त समर्थन देने का संकेत दिया है। इससे यह तो पक्का हो गया कि अखिलेश यादव मुख्यमंत्री पद पर रहते हुए ही चुनाव लड़ेंगे। वेसे ही सपा के दो तिहाई से अधिक विधायक अखिलेश के द्वारा पहुंचने के कारण उन पर दल-बदल कानून भी लागू नहीं हो  सकता। इसलिए अखिलेश यादव की कुर्सी बरकरार रहेगी।

क्या है रामगोपाल और अखिलेश की सियासी कैमिस्ट्री

सत्ता में होने के कारण अखिलेश यादव को विधायकों और मंत्रियों का भरपूर समर्थन मिल रहा है और युवाओं का भी समर्थन मिल रहा है। असल शक्ति परीक्षण तो जनता जनार्दन के बीच पार्टी संगठन को लेकर होना है, वहां पर अखिलेश यादव और राम गोपाल की जोड़ी को कितनी सफलता मिलती है, यह तो वक्त बताएगा। फिलहाल राजनीतिक समीकरण कहते हैं कि सपा को बेदाग छवि बनाने की कोशिश में पार्टी के अंदर रहकर राम गोपाल यादव जिस तरह से काफी बरसों से छटपटा रहे थे उन्हें अखिलेश यादव जैसा सहारा मिल गया है। इसलिए यह भी कहा जा रहा है कि रामगोपाल यादव और अखिलेश की जोड़ी पार्टी का 60 प्रतिशत हिस्सा अपने पाले में कर लेते हैँ तो जीत उनकी हो जाएगी। रामगोपाल यादव को यह विश्वास है कि पार्टी के साफ सुथरी छवि वाले बुजुर्ग या सीनियर नेता उनकी तरफ आ सकते हैं। दूसरी तरफ अखिलेश यादव को यह विश्वास है कि पार्टी के युवा नेता पूरी तरह से उनके साथ हैं। दोनों के इस विश्वास को उनके राजनीतिक सलाहकारों ने भंाप करके ही उन्हें बगावत का झंडा थामने की सलाह दे डाली है। जैसे कि नोट बंदी पर उनके मंत्रियों ने ही पीएम मोदी को मना किया था कि यह सही समय नहीं है लेकिन मोदी ने अपना निर्णय सुनाकर सबको अवाक कर दिया था। किन्तु लगातार 50 दिनों तक दिन-रात मेहनत करके आम आदमी के दिलो-दिमाग पर नोटबंदी के फैसले को ऐसा बैठा दिया कि वह बाकी सारे महंगाई,भ्रष्टाचार,कालाधन के मुद्दे को भुला दिया था। उसी तरह अखिलेश यादव और राम गोपाल यादव के लिए सही मौका है। मोदी ने जहां 50 दिन में अपना काम कर दिया वहीं अखिलेश और राम गोपाल यादव को भी 50 दिन मिलने वाले हैं। चुनाव तिथि की घोषणा के बाद 40 दिन का समय मिलता है। वह दोनोंं नेताओं के लिए काफी है। क्योंकि हमारे समाज में एक कहावत प्रचलित है कि नई बहू का सब स्वागत करते हैं। गुण-लक्षण तो बाद में सामने आते हैं। तब तक तो वह घर की मालकिन बन चुकी होती है। ऐसे ही अखिलेश-रामगोपाल की जोड़ी हिट हो जाएगी। ऐसा लोगों का अनुमान है।

शक्ति परीक्षण में अखिलेश का पलड़ा भारी

पार्टी के 60 प्रतिशत विधायक व मंत्री पहुंचे सीएम दरबार में

कहीं समाजवादी पार्टी के चाणक्य समझे जा रहे है अमर सिंह का यह वाक्य सही तो साबित नहीं होने जा रहा है कि रामचन्द्र कह गए सिया से बेटा गददी पर राज करेगा बेचारा बाप जंगल को जाएगा। निष्कासन के बाद सपा के दोनों गुटों के बीच हो रहे शक्ति परीक्षण में मुख्यमंत्री अखिलेश यादव का पलड़ा फिलहाल भारी पड़ता दीख रहा है। वर्तमान में 224 विधायकों में 100 से अधिक विधायक मुख्यमंत्री आवास पर पहुंच गए हैं। इसी तरह लगभग 42 मंत्रियों में से 25 मंत्रियों के सीएम कैम्प में पहुंचने की खबर है। हालांकि यह कोई अतिशयोक्ति नहीं होगी क्योंकि अखिलेश यादव फिलहाल मुख्यमंत्री पद पर काबिज हैं और राज्यपाल जब तक उन्हें इस बारे में कुछ नहीं कहते तब तक वह पॉवर में हैं। पॉवर में होने के कारण विधायकों और मंत्रियों को उनके पास पहुंचना कोई अचरज वाली बात नहीं है।असल बात तो पार्टी के संगठन की है, जिसके बल पर कल चुनाव होना है और चुनाव में जंग जीतना है।

यूपी पर कब्जे का हाईप्रोफाइल डामा तो नहीं है?

सपा के महासंग्राम पर बुद्धिजीवियों से लेकर गृहणियों तक को आशंका

समाजवादी पार्टी में महासंग्राम अब चरम पर पहुंच गया है। पार्टी दो फाड़ हो चुकी है। अब सिर्फ औपचारिकताएं बाकीं रह गर्ईं हैं। इस बीच बुद्धिजीनियों से लेकर गृहणियों के मन में यह आशंका उत्पन्न हो गई है कि समाजवादीपार्टी का यह हाईप्रोफाइल ड्रामा सिर्फ यूपी का चुनाव जीतने के लिए ही है। मुलायम सिंह और शिवपाल सिह की समाजवादी पार्टी इस स्थिति में नहीं है कि वह आसानी से चुनाव जीत कर सरकार बना सके। सिर्फ अखिलेश यादव के विकास कार्य और युवाओं में उनकी उदारवादी नेता की छवि पार्टी की नैया पार लगा सकती है। इसी विचार को ध्यान में रखते हुए चुनाव के समय इस हाईप्रोफाइल ड्रामा को सबसे अधिक चर्चा में लाकर पब्लिक का ध्यान अखिलेश यादव की बेचारगी की ओर ले जाना है ताकि जनता नोटबंदी की चाल से बाहर निकल कर अखिलेश यादव को एक बार और समर्थन दे दे तो निश्चित रूप से सपा की सरकार बन जाएगी और सरकार बनने के बाद तो कुनबा अपना ही है। कहावत है कि सुबह का भूला शाम को घर लौट आता है तो उसे भला नहीं कहते हैं, इसी तरह अखिलेश यादव सरकार बनने के बाद माफी मांंग लेंगे और मुलायम माफ कर देंगे और फिर समाजवादी पार्टी एक हो जाएगी। लेकिन इस गलतफहमीं में न रहें सपा नेता क्योंकि ये पब्लिक है सब जानती है। आज के आधुनिक संसाधन भी ऐसे हैं कि वह सारी पोल खोल देते हैँ।  कहते हैँ कि जिसे अपनी सात पुश्तों के बारे में पता करना हो वह चुनाव लड़ जाए बाद बाकी काम तो उसके विपक्षी बिना खर्च के कर देते हैं। इसलिए सपा नेताओं के मन में ऐसी योजनाएं चल रहीं है तो पहले ये सफल नहीं होंगी और सफल भी हो गईं तो सिर्फ कांठ की हांडी के समान होंगी जो एक बार ही चढ़ पाती है। पिता के निष्कासन से उत्पन्न सहानुभूति लहर का लाभ अखिलेश यादव को मिल सकता है परंतु इसे संभाल कर रखना बहुत बड़ा काम होगा क्योंकि ये पब्लिक है सब जानती है। मालूम हो कि 1984 में राजीव गांधी को सहानुभूमि लहर में जनता का बम्पर समर्थन मिला था। विपक्ष साफ हो गया था लेकिन वह संभाल नहीं पाए तो नतीजा क्या हुआ कि अगले चुनाव में वोटों के लाले पड़ गए थे और उन्हें हार थक कर विपक्ष में बैठना पड़ा था। सपा को इससे सबक लेकर ही काम करना होगा तो उचित बाकी तो समय होत बलवान। इस आशंका को बुद्धिजीवियों ने पहले ही ताड़ लिया था। उनकी इस आशंका के चलते कल ही एक पोस्ट हम कर चुके हैं जिसका शीर्षक था ‘बगावत,अदावत या बनावट’

रामगोपाल-अखिलेश की जोड़ी क्या गुल खिलाएगी

समाजवादी पार्टी में चल रहा संग्राम महासंग्राम में उस समय तबदील हो गया जब सपा सुप्रीमो और यादव कुनबे के भी सुप्रीमों  मुलायम सिंह यादव ने अपने बेटे अखिलेश को मुख्यमंत्री बना कर आज पार्टी से बाहर निकाल दिया। उन्होंने पार्टी से निकालते वक्त अपना दर्द बयां करते हुए बताया कि चचेरे भाई रामगोपाल यादव इसकी जड़ है। वह मेरी तौहीन कर रहे हैं। उन्होंने मुझे बेइज्जत करने के लिए ही राष्ट्रीय अधिवेशन बुलाया। वह यह सबसे यह कहते फिरते हैं कि मुझसे अच्छी तरह से पार्टी अखिलेश यादव चला सकते हैं। सरकार तो ेचला ही रहे हैं। रामगोपाल यादव मेरे बेटे को बरगला रहे हैं और वह यह बात समझ नहीं हो पा रहा है। दूसरी ओर अखिलेश यादव ने भी कहा कि मेरे पिताजी को उनके आसपास वाले भटका रहे हैं। उनका इशारा अमर सिंह,शिवपाल सिंह यादव और अतीक अहमद जैसे लोगों की तरफ था। उधर राम गोपाल यादव कानूनी दांवपेंच में आ गए हैं। वह मुलायम सिंह यादव की कार्यप्रणाली से काफी दिनों से नाखुश चल रहे हैं और उन पर अंकुश लगाने के लिए ही राष्ट्रीय अधिवेशन बुलाया था। राम गोपाल यादव का कहना है कि जब पार्टी अध्यक्ष ही असंवैधानिक कार्य कर रहा है तो उसे कौन संभालेगा। उनका कहना था कि पार्टी के संविधान को ताक पर रख कर सारे कार्य किए जा रहे थे। उन्होंने यह तो नहीं कहा कि पैसे के चक्कर में सपा सुप्रीमो अपनी मनमानी चला रहे थे परंतु मुलायम सिंह ने पार्टी फंड काजिक्र करते हुए जिस तरह का दर्द बया ं किया उससे लगता है कि उन्होंने यूपी के चुनाव में खर्च होने वाले पैसे को जुटाने के लिए ही अतीक अहमद और अमर सिंह से हाथ मिलाया है। अब देखना है कि अखिलेश और रामगोपाल यादव की जोड़ी क्या गुल खिलाएगी। 

Thursday, 29 December 2016

बगावत है, अदावत है या बनावट है?

चुनाव सिर पर और सपा में महासंग्राम चरम पर 

समाजवादी पार्टी में महासंग्राम चल रहा है। यादव परिवार की ये महाभारत अब चरम पर पहुंचने वाली है। पिता पुत्र के संग्राम में आजम खां मध्यस्थ की भूमिका निभाने को आगे आ गए हैं। सपा सुप्रीमों मुलायम सिंह यादव ने अखिलेश और उनके समर्थकों को दरकिनार करते हुए शिवपाल सिंह यादव की पीठ पर हाथ फेरते हुए अपनी मनमानी की और अपने 325 लोगों के टिकट बांट दिए। इससे नाराज होकर अखिलेश यादव ने अपने 225 समर्थकों के जवाबी टिकट बांट दिए। साथ ही उन्होंने एक तरह से अल्टीमेटम दे दिया है कि अब पानी सिर के ऊपर से जाने वाला है। हो सके तो अभी नेताजी स्वयं को संभाल लें वरना पार्टी तो टूटेगी ही और साथ ही में साइकिल भी छीन लूंगा। अब मैं बच्चा नहीं हूं। पांच साल तक मुख्यमंत्री की कुर्सी पर बैठकर और विरासत में मिले जीन्स से इतना तो समझ ही गया हूं कि राजनीति कैसे की जाती है और जब पार्टी के एक अन्य संस्थापक चाचा राम गोपाल यादव साथ हों तो फिर अखिलेश के लिए डरने की क्या बात है। इसलिए अखिलेश यादव की धमकी को कोरी धमकी नहीं माना जा सकता है। सत्ता में होने के कारण अखिलेश यादव की विधायकों के साथ सांसदों पर अच्छी पकड़ है। इसके अलावा पार्टी के वे नेता भी अखिलेश यादव के साथ हैं जो स्वस्थ राजनीति करना चाहते हैँ। जिन्हें अतीक अहमद जैसे लोगों से लगाव नहीं है। वहीं महासंग्राम को देख कर आजम खान परेशान हैं और उन्होंने नेताजी को सलाह दी है कि वक्त रहते इसे निपटा लें तो ठीक ही रहेगा वरना पार्टी को जबर्दस्त नुकसान होगा। 

...तो मुलायम सिंह की है ये मजबूरी

सियासी मैदान के चतुर खिलाड़ी की तरह समाजवादी पार्टी के मुखिया मुलायम सिंह यादव कुनबे की महाभारत की बिसात पर रोज नए नए दांव चल रहे हैं। इससे यह तो संदेश जा रहा है कि परिवार में चाहे जितनी कलह हो नेताजी के सामने कोई कुछ नहीं है। हरेक व्यक्ति नेताजी के सामने दंडवत रहता है। पार्टी की एकता को बनाए रखने का मुलायम सिंह की भी अपनी मजबूरी है कि वह कभी अखिलेश को डांटते हैं तो कभी शिवपाल सिंह को गले लगाते हैं तो कभी अमर सिंह को अपने पाले में बुला लाते हैं तो कभी अतीक अहमद जैसे लोगों से हाथ मिलाते हैं। यहां तक कि अपने कंधे से कंधा मिलाकर चलने वाले भाई रामगोपाल को वक्त आने पर फटकारते हैं तो वक्त आने पर उन्हें सम्मान देकर अपने पास बिठा लेते हैं। ये सारी चालें अपनी पार्टी को बचाए रखने और पार्टी पर अपना दबदबा बनाए रखने के लिए चलते हैं। एक पार्टी और इतने रूठे दिग्गज नेताओं को संभालने का पाठ सीखना हो तो मुलायम सिंह से अच्छा कोई गुरु नहीं मिल सकता। चुनाव नजदीक हैं, सपा को चुनाव मैदान में ले जाना है। वह भी एकदल के रूप में, इसलिए वह चाहते हैं कि चुनाव तक यह ऊपरी एकता बनी रहे और उसके बाद क्या होगा यह तो आने वाले परिणाम बताएंगे। सत्ता में आई तो वैसे पत्ते चले जाएंगे। 

नोटबंदी से त्रस्त जनता को मलहम लगाने में जुटी सरकार

नोटबंदी के निर्णय के बाद के 50 दिन पूरे होने जा रहे हैं। इस दौरान देश की जनता लाइन में लगकर परेशान होती रही है। इस परेशानी की समस्या से आहत जनता को मलहम लगाने के लिए सरकार ने डैमेज कंट्रोल करना शुरू कर दिया है। वित्त मंत्री ने जनता के प्रति आभार व्यक्त किया है और इस निर्णय से देश को हुए लाभ को गिनाकर देश को आश्वस्त करना चाहते हैं कि उनकी परेशानी व्यर्थ नही गई बल्कि देश को कई लाभ हुए हैं। वित्त मंत्री के बाद प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी स्वयं जनता को संबोधित करके मलहम लगाना चाहते हैं साथ ही वह कोई तोहफा देंगे या नहीं यह तो 30 या 31 दिसंबर को राष्ट्र के नाम संदेश से पता चल पाएगा।
वित्त मंत्री अरुण जेटली ने कहा है कि नोटबंदी के बाद देश को फायदा हुआ है। जेटली ने बताया कि रबी की फसलों में 6.3 फीसदी, प्रत्यक्ष कर में 14.4 फीसदी और अप्रत्यक्ष कर में 26.2 फीसदी का इजाफा हुआ है। मीडिया को जानकारी देते हुए वित्त मंत्री अरुण जेटली ने कहा कि आरबीआई के पास पर्याप्त करेंसी है। साथ ही वित्त मंत्री ने नोटबंदी पर साथ देने के लिए देश की जनता का शुक्रिया अदा किया। जेटली ने आगे कहा कि 500 रुपये के नए नोट अधिक आ रहे हैं।

50 हजार से अधिक नोट बदलेंगे तो क्या होगा

नोटबंदी के बाद 50 दिन शुक्रवार को पूरा हो जाएगा। बैंकों में पुराने नोट जमा करने के लिए अब सिर्फ एक दिन बचा हैं। इसके बाद 31 मार्च तक रिजर्व बैँक के विशेष काउंटर से नोट बदले जा सकते हैं। रिजर्व बैंक में नोट बदलने के लिए फॉर्म पांच भरना होगा। इसके साथ एक पहचान पत्र और नोटों की जानकारी भी देनी होगी।30 दिसंबर के बाद पचास हजार रुपये से अधिक होने पर आपसे पूछताछ हो सकती है। यदि आप इस बारे में जानकारी नहीं दे पाए तो माना जाएगा कि आपने कर चोरी की है। यदि आपके पास अघोषित धन पड़ा है तो आने वाले दो दिनों में सरकार की योजना का लाभ उठाकर उसे घोषित कर दें। उस पैसे को टैक्स चुकाकर सफेद कर लें। कई लोगों के मन में यह सोच है कि वे अपने पैसे को आरबीआई में बदल देंगे तो वह खाते में नहीं गिना जाएगा लेकिन ऐसा विचार गलत है। उन पैसों का भी पूरा हिसाब रखा जाएगा।

सिर्फ शुक्रवार को ही बैंकों में जमा होंगे पुराने नोट

रिजर्व बैँक में पुराने नोट जमा करने के लिए देने होंगे कई जवाब

नोटबंदी के बाद 50 दिन शुक्रवार को पूरा हो जाएगा। बैंकों में पुराने नोट जमा करने के लिए अब सिर्फ एक दिन बचा हैं। इसके बाद 31 मार्च तक रिजर्व बैँक के विशेष काउंटर से नोट बदले जा सकते हैं। रिजर्व बैंक में नोट बदलने के लिए फॉर्म पांच भरना होगा। इसके साथ एक पहचान पत्र और नोटों की जानकारी भी देनी होगी। सूत्रों की मानें तो 30 दिसंबर के बाद नोट बदलने वाले ग्राहक से यह भी पूछा जा सकता है कि उसने अभी तक नोट क्यों नहीं बदले? आरबीआईका कहना हैकि अभी तक यह स्पष्ट नहीं है कि कितने नोट बदले जाएंगे या फिर कई बार नोट बदल चुके लोगों को दोबारा कितनी बार मौका मिलेगा। इसके अलावा ग्राहक के खाते में केवाईसी जरूरी है। पहचान-पत्र के तौर पर आधार कार्ड, ड्राइङ्क्षवग लाइसेंस, नरेगा कार्ड या पैन कार्ड देना होगा।  रिजर्व बैंक के मुंबई स्थित कार्यालय के एक वरिष्ठ अधिकारी के अनुसार 31 दिसंबर के बाद रिजर्व बैंक के कार्यालय पहुंचने वाले लोगों की संख्या के आधार पर काउंटर खोले जाएंगे। नोट बदलवाने के लिए शुरुआत के दिनों में बड़ी संख्या में लोग आ सकते हैं, इसे लेकर सुरक्षा काउंटर बढ़ाए जाएंगे।सूत्रों की मानें तो आरबीआई को अब तक दो लाख करोड़ रुपये के पुराने नोट नहीं पहुंचे हैं।  अगर आपके पास छोटी नगदी है तो परेशान होने की जरूरत नहीं है। सिर्फ आरबीआई को इनका स्रोत बताना होगा। बेहतर यही होगा कि 30 दिसंबर को ही पैसा जमा कर दें। 

नोटबंदी के बाद फलाफूला है कृषि व दुग्ध उत्पादन क्षेत्र

कृषि मंत्री राधा मोहन सिंह ने किया दावा

केंद्रीय कृषि एंव किसान कल्याण मंत्री राधा मोहन सिंह ने  मंत्रालय में संवाददाता सम्मेलन को सम्बोधित करते हुए दावा किया कि विमुद्रीकरण या नोटबंदी कृषि एवं दुग्ध उत्पादन क्षेत्र में उल्टे असर दिखाई पड़े हैं। उन्होंने बताया कि रबी की फसल की बात की जाए तो पिछले वर्ष की अपेक्षा दस प्रतिशत अधिक बुआई की गई है। वहीं दूग्ध उत्पादन क्षेत्र ने भी प्रगति की है।  ्र
केंद्रीय कृषि एंव किसान कल्याण मंत्री ने कहा कि अगर दूध की बिक्री के आंकड़ों का अध्ययन करें तो पाएंगे कि इस पर विमुद्रीकरण का कोई प्रतिकूल प्रभाव नहीं पड़ा है बल्कि दूध की बिक्री में सर्वथा वृद्धि ही हुई है। विमुद्रीकरण से पहले प्रतिदिन दूध की औसतन बिक्री जहां रु 64.55 करोड़ थी। वहीं विमुद्रीकरण के पश्चात नवंबर व दिसम्बर माह में यह बढक़र रु 74.25 करोड़ प्रतिदिन  हो गयी है। इसी प्रकार विमुद्रीकरण के पहले मदर डेयरी दूध की औसतन बिक्री जहां 28.06 लाख लीटर थी, जिसकी औसतन कीमत रु 11.42 करोड़ प्रतिदिन थी। वहीं विमुद्रीकरण के पश्चात नवंबरव दिसम्बर माह में यह बढक़र रु 29.61 लाख लीटर प्रतिदिन हुई जिसकी औसतन कीमत रु 12.05 करोड़ प्रतिदिन हो गयी है।इसके साथ ही  दिल्ली दुग्ध योजनान्तर्गत औसतन बिक्री जहां 2.70 लाख लीटर प्रतिदिन थी, जिसकी औसतन कीमत रु 1.05 करोड़ प्रतिदिन थी। वहीं विमुद्रीकरण के पश्चात नवंबर व दिसम्बर माह में यह बढक़र रु 2.76 लाख लीटर प्रतिदिन, जिसकी औसतन कीमत रु 1.07 करोड़ प्रतिदिन हो गयी है।


यूपी को केन्द्र सरकार का तोहफा

लखनऊ मेट्रो के लिए 250 करोड़ रुपये दिए 

यूपी चुनाव के लिए केन्द्र और राज्य सरकार भी अपने-अपने स्तर पर जनता को लुभाने के लिए जीतोड़ प्रयास कर रही हैं। राज्य सरकार जहां तमाम परियोजनाओं को लोकार्पित करते जनता का भरोसा जीतना चाहती है वहीं केन्द्र सरकार यूपी के लिए अपनी योजनाओं का ऐलान करके जनता को अपनी ओर खींचजना चाहती है। इसी प्रयास में केन्द्र सरकार ने  लखनऊ मेट्रो के लिए 250 करोड़ रुपये दिए और यूपी के दिग्गज नेता और केन्द्रीय गृह मंत्री राजनाथ सिंह ने परियोजना के त्वरित क्रियान्वयन पर विशेष जोर दिया।
शहरी विकास मंत्रालय ने आज लखनऊ मेट्रो रेल परियोजना के लिए 250 करोड़ रुपये जारी किये। यह केंद्र सरकार और उत्तर प्रदेश सरकार की एक संयुक्त उद्यम परियोजना है। मंत्रालय ने इससे पहले इसी वर्ष 300 करोड़ रुपये जारी किये थे। इस तरह लखनऊ मेट्रो को कुल मिलाकर 550 करोड़ रुपये की सहायता राशि मुहैया करा दी गई है। गौरतलब है कि मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने इस योजना का लोकार्पण हाल ही में कर दिया है। गृह मंत्री श्री राजनाथ सिंह ने शहरी विकास मंत्री श्री एम. वेंकैया नायडू के साथ लखनऊ मेट्रो की प्रगति पर चर्चा की और इसके त्वरित क्रियान्वयन पर विशेष जोर दिया। 23 किलोमीटर लंबी लखनऊ मेट्रो पर 6,928 करोड़ रुपये की लागत आने का अनुमान है। इसमें से 1,003 करोड़ रुपये केंद्र सरकार ने इक्विटी में अपने हिस्से के रूप में मुहैया कराये हैं, जबकि 297 करोड़ रुपये गौण ऋण और 3,500 करोड़ रुपये ऋण सहायता के रूप में हैं। उत्तर प्रदेश को इक्विटी में अपने हिस्से के रूप में शेष 2,128 करोड़ रुपये के साथ-साथ अन्य साधन भी जुटाने हैं। केंद्र सरकार ने इस वर्ष मार्च महीने में यूरोपीय निवेश बैंक के साथ एक ऋण समझौते पर हस्ताक्षर किये थे, ताकि लखनऊ मेट्रो परियोजना के लिए 3,500 करोड़ रुपये का ऋण मुहैया कराया जा सके।  

Wednesday, 28 December 2016

यूपी में एक और नई पार्टी मैदान में

फिल्म अभिनेता राजपाल यादव ने अब उत्तर प्रदेश के निर्माण किए जाने की हुंकार भरी है। राजपाल यादव ने साफ किया है कि अब वह साल में 200 दिन फिल्म इंडस्ट्री में काम करेंगे और 100 राजनीति को देंगे तथा शेष 65 दिन घर परिवार को देंगे। राजपाल याद हाल ही के दिनों में ग्रेटर नोएडा आए थे। इस मौके पर उन्होंने एक हिन्दी दैनिक के कार्यालय का उद्घाटन किया।
ग्रेटर नोएडा के ओमेक्स आरकेड मॉल में संवाददाताओं से बातचीत करते हुए फिल्म अभिनेता राजपाल यादव ने कहा कि सर्व संभाव पार्टी की स्थापना पिछले 5 सितम्बर 2015 को वृंदावन में हो चुकी है और जिसके राष्ट्रीय अध्यक्ष व संस्थापक श्रीपाल यादव हैं। सर्व संभाव पार्टी का मूल उद्देश्य नीति राज स्थापित करना है। साम,दाम,दंड,भेद की बात को छोड़ कर राजनीति को सेवा और सत्य पवित्रता तथा अहिंसा के जरिये साफ सुथरा बनाया जाना है। उन्होंने कहा कि सर्वसंभाव पार्टी की स्थापना उत्तर प्रदेश में हुई है। इसलिए उत्तर प्रदेश का निर्माण हो। विधानसभा की सभी सीटों पर प्रत्याश्ी उतार कर मजबूती से चुनाव लड़ा जाएगा। चूंकि वह पार्टी के स्टार प्रचारक हैं। अ साल के 365 दिनों में से 200 दिन फिल्म इंडस्ट्री को देंगे तथा 100दिन पार्टी के प्रचार के लिए तथा शेष 65 दिन घर परिवार के लिए होंगे। एक सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि अब दंगा फसाद या झगड़ा करके सत्ता की कुर्सी नहीं कब्जाई जा सकती है क्यांकि अब जनता जागरुक हो गई है। इसलिए विकास और निर्माण के मुद्दे पर चुनाव टिक जाता है। सर्व संभाव पार्टी भी निर्माण और विकास के मुद्दे पर चुनाव लड़ेगी। सर्व संभाव पार्टी सर्व धर्म का सम्मान करती है। नीति,नियति औ राजनीति के रूप में हम चुनाव मैदान में उतरेंगे और हमारा मुख्य नारा होगा-‘‘सबको मौका बार-बार, हमको मौका एक बार’’। उन्होंने कहा कि पार्टी के एजेंडे में आंदोलन को कोई स्थान नहीं है, हम आंदोलन नहीं करेंगे बल्कि संवाद करेंगे और संवाद से ही सरलता आएगी। संवाद और सरलता से बड़ी से बड़ी समस्या का समाधान निकल आता है। सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि रील लाइफ मुंबई से शुरू हुई है जबकि रियल लाइफा उत्तर प्रदेश से शुरू है। उत्तर प्रदेश से उनका गहरा नाता है।
उत्तर प्रदेश के शाहजहांपुर जिले के एक गांव में उनका जन्म हुआ है और आज 28 लोगों का भरा पूरा परिवार है जबकि परिवार के चार लोग मुंबई में रहते हैं जो फिल्म इंडस्ट्री से जुड़े हैं। स्वयं उन्होंने रुहेलखण्ड यूनिवर्सिटी से ग्रेजुएशन किया है। उन्होंने कहा कि फिल्म नाट्य कला अकादमी से कोर्स किया तथा फिल्म इंडस्ट्री में कदम रखा। आज 200 फिल्मों में काम कर चुके हैं। इसलिए जन्म भूमि उत्तर प्रदेश है और कर्म भूमि मुंबई है। यही कारण है कि राजनीति की शुरुआत भी जनता की सेवा करने के लिए उत्तर प्रदेश से की गई है।

नोटबंदी के चलते किश्तों में ली रिश्वत

आयकर अधिकारी रंगेहाथ पकड़ा गया

नोटबंदी ने कालेधन वालों को काला धन छिपाने के नए-नए तरीके बता दिए लेकिन इस नोटबंदी ने रिश्वत लेने के नए-नए तरीके सिखा दिए। ये तरीके किसी और के नहीं बल्कि करवंचकों को पकडऩे वाले आयकर अधिकारी के हैं। ये मामला है विशाखापत्तनम का जहां पर आयकर अधिकारी के रूप में तैनात हैं बी श्रीनिवास राव जिन्होंने रिश्वत लेने नया तरीका यह अपनाया कि रिश्वत देने वाले ने जब नोटबंदी के चलते नकदी का रोना रोया तो उन्होंने उसे किश्तों में रिश्वत देने के लिए कह दिया लेकिन उन्हें क्या मालूम था कि सिर मुंडाते ही ओले पडऩे वाले हैं। यही हुआ कि रिश्वत डेढ़ लाख रुपये मांगी और पहली किश्त 30 हजार रुपये के लेते समय ही रंगे हाथ पकड़ लिए गए। उनको सीबीआई ने पकड़ा है।


ईएमआई देने वालों के लिए खुशखबरी

रिजर्व बैँक ने बैंक वालों से क्या कहा

नोटबंदी के फैसले के लागू होने के 50 दिन पूरे होने जा रहे हैं। नोटबंदी के चलते नकदी की किल्लत के कारण बैकों से प्राप्त ऋण लेने वालों को मासिक किस्त यानी ईएमआई चुकाने के लिए 60 दिन की मोहलत दी गई थी। अब रिजर्व बैंक ने नोटबंदी के 50 दिन पूर्ण होने से पहले यह समीक्षा की गई हैकि देश के बैंकों और एटीएम में नकदी की स्थिति क्या है? अब स्थिति को देखते हुए रिजर्व बैंक ने बैंकों से कहा है कि अपने ऋणदाताओं को ईएमआई चुकाने के लिए 90 दिन की और मोहलत दे यानी मार्च तक ईएमआई चुकाने से आपको राहत मिल सकती है। यदि आप ईएमआई चुकाते हैं तो अप्रैल तक के लिए राहत पा सकते हैं। इससे यह भी संकेत मिल रहे हैं कि नोट बंदी के बाद उत्पन्न नकदी की किल्लत भी अपे्रल तक चलने वाली है। इसके बाद ही स्थिति कुछ संभल सकतीं हैं। साथ ही बैंकों में निकासी पर लगी पाबंदी भी अप्रैल तक जारी रह सकती है। 

आयकर:यदि अंतिम तिथि चूक गए हैं तो क्या करें

आयकर का भुगतान मार्च से अप्रैल के वित्त वर्ष की वाषिँक आय और आय के स्रोतों से एकत्रित आमदनी पर करना होता है।  आईटीआर का मतलब आपको अपनी आय और व्यय का व्यौरा आयकर विभाग को ऑन लाइन देना होता है। यदि आपकी आय आयकर के स्लैब के दायरे में आती है तो स्लैब के अनुसार आपको आयकर जमा कराना होता है। इसके अतिरिक्त अंतिम तिथि से पूर्व आप आयकर का भुगतान कर भी देते हैं और अपने बचत एवं अन्य खर्चों से संबंधी कागजात आपके पास तत्काल मौजूद नहीं हैं तो घबराने की आवश्यकता नहीं है। इन कागजातों को बाद में प्रस्तुत करने से आयकर विभाग आपके खाते से लिए गए अधिक पैसे वापस कर देता है। अब आते हैं आयकर का भुगतान की तिथि प्रत्येक वर्ष की 31 जुलाई को होती है। इस वर्ष सरकार ने यह तिथि बढ़ाकर 5 अगस्त 2016 कर दी थी। इस तिथि तक आपको अपना आयकर का भुगतान कर देना चाहिए। इससे आपको आयकर विभाग से मिलने वाले लाभ व छूट मिल सकती है। इकोनॉमिक टाइम्सके अनुसार यदि आप अंतिम तिथि तक अपना आयकर का भुगतान करने से चूक गए हों अथवा आईटीआर सबमिट करने से चूक गए हों तो घबराएं नहीं, यह कोई अपराध नहीं है। बस आपका इतना ही नुकसान है कि इस तिथि तक सरकार द्वारा जारी सुविधाओं का लाभ नहीं मिल सकेगा। इसलिए बिना किसी घबराहट के आप अपने आयकर का भुगतान मार्च 2018 तक कभी भी कर सकते हैं बशर्ते आपको कारण बताना होगा

बस दो दिन के मेहमान हैं पुराने नोट,फिर बनेंगे वारंट !

31 मार्च तक रिजर्व बैंक में भी जमा कराने में होगी मुश्किल

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी द्वारा गत आठ नवंबर को लिये गये नोट बंदी के निर्णय के अनुसार 30 दिसंबर तक पुराने 500 व 1000 के नोट ही अपने बैंक खातों में जमा कराए जा सकते हैं। इसके बाद ये नोट सिर्फ रिजर्व बैँक के खास काउंटरों पर जमा कराए जा सकते हैं। इसके लिए अभी रिजर्व बैंक से गाइडलाइन आनी  बाकी है। फिलहाल ये संकेत मिले हैं कि एक जनवरी, 2017 से 31 मार्च 2017 तक पुराने नोटों को बदलने के लिए आरबीआई के खास काउंटर खुले रहेंगे, लेकिन ये आम काउंटर की तरह नहीं होंगे। अनिवार्य स्थिति में ही इन काउंटरों पर नोट बदले जाएंगे। इसके लिए तमाम पूछताछ और कागजी खानापूरी करवाई जाएगी। रिजर्व बैंक के अधिकारी के संतुष्ट होने पर बहुत ही आवश्यक परिस्थितियों में बदले जाएंगे। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में हुई कैबिनेट की बैठक में उस अध्यादेश को भी मंजूरी दे दी गई जिसमें भविष्य में कोई भी इन पुराने नोटों को लेकर कानूनी दावा पेश नहीं कर पाएगा।
अध्यादेश के मुताबिक़ जिनके पास 10 से ज़्यादा पुराने नोट मिलेंगे, उन्हें जुर्माना भरना होगा और खास मामलों में चार साल की जेल भी हो सकती है। अभी तक यह साफ नहीं है कि इस सजा की व्यवस्था कब और कैसे होगी। 1978 में भी जब मोरारजी देसाई की सरकार ने 1,000, 5,000 और दस हज़ार के नोटों को रद्द किया था तो इसी तरह का अध्यादेश पारित किया गया था। अध्यादेश में लागू होने की तिथि को लेकर भ्रम की स्थिति है। यह अभी स्पष्ट नहीं किया गया है कि यह अध्यादेश्य 30 दिसंबर 2016 के बाद लागू होगा या 31 मार्च 2017 के बाद लागू होगा। मीडिया से आ रहीं खबरों पर भरोसा किया जाए तो यह अध्यादेश 31 मार्च 2017 के बाद लागू होगा।

मुलायम सिंह ने क्यों काटे अखिलेश समर्थकों के टिकट?

अपने बेटे को नहीं बनाना चाहते मुख्यमंत्री पद का चेहरा

समाजवादी पार्टी में चचा-भतीजे की रार का उस समय पटाक्षेप हो गया जब पार्टी सुप्रीमो मुलायम सिंह यादव ने अपना वीटो पॉवर यूज करके सपा के 325 टिकटों का ऐलान कर दिया। इनमें से अखिलेश समर्थकों के टिकट काट दिए हैं। इसे अखिलेश यादव फौरी तौर पर तिलमिला उठे हैं और एक कार्यक्रम में उत्तेजित समर्थकों को शांत करते हुए कहा कि वह नेताजी से पुन: बात करेंगे सीट जिताने वाले युवा नेताओं को टिकट देने के लिए मनाएंगे। वहीं दूसरी ओर से ऐसे संकेत मिल रहे हैं कि मुलायम सिंह खामोशी के साथ अखिलेश यादव को राष्ट्रीय राजनीति की ओर ले जाना चाहते हैं। बढ़ती उम्र के तकाजे से स्वयं भागदौड़ नहीं करना चाहते हैं। वह चाहते हैं कि उनके सामने ही अखिलेश यादव पार्टी का राष्ट्रीय स्तर पर नेतृत्व करें। मुलायम सिंह यादव बहुत ही मंझे हुए राजनीतिज्ञ हैं और उन्हें अभी से 2019 के लोकसभा चुनाव का ख्याल आ रहा है। वह इसी रणनीति के तहत अखिलेश को खामोशी के साथ आगे बढ़ाना चाहते हैं। यूपी की कमान फिलहाल वह स्वयं संभालना चाहते है। यह रणनीति सपा के चाणक्य समझे जाने वाले अमर सिंह ने बनाई है। मुलायम सिंह यादव ने लखनऊ की प्रेस कांफ्रेंस में बहुत ही आत्म विश्वास के साथ इन टिकटों पर नामों की घोषणा की है और कहा कि सपा अपने बलबूते पर चुनाव लड़ेगी। टिकटों को ऐलान और अकेले चुनाव लडऩे के ऐलान ने अखिलेश यादव को फिलहाल हाशिये पर डाल दिया है लेकिन कहते हैं कि मुलायम सिंह यादव को अखिलेश के लिए कोईकाम करना होता है तो वह सीधे स्वयं नहीं करते बल्कि ऐसे अवसरों पर वे स्वयं तो खामोश रहते हैं और अपने समर्थको से वह अपना मनपसंद काम करवाते हैं ताकि परिवार का कोई सदस्य राजनीति को लेकर उन पर हावी न हो सके। इसके साथ ही मुलायम सिंह ने ये भी कहा कि इन चुनावों में मुख्यमंत्री पर का कोई चेहरा नहीं होगा। 

करदाताओं का पैसा सही जगह लगे: मोदी

नतीजे अच्छे दिखेंगे  तो कोई पर कर देने से नहीं हिचकेगा

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा है कि करदाताओं का पैसा सही जगह इस्तेमाल हो तों कोई भी कर देने से नहीं हिचकेगा। मोदी ने कहा कि ऐसा नहीं है कि करदाता कर नहीं देना चाहते, पर वे सिर्फ यह चाहते हैं कि उनके पैसे का सही इस्तेमाल हो। प्रधानमंत्री ने कहा कि यदि करदाता को दिखे कि उनके कर से अस्पताल बनाया जा रहा है तो कोई कर देने में हिचकिचाएगा नहीं। लेकिन यदि उनके पैसे का इस्तेमाल सही तरीके से नहीं होगा तो लोग कर भी नहीं देना चाहेंगे।
मंगलवार को नीति आयोग की ‘आर्थिक नीतियां-आगे का रास्ता’ विषय पर आयोजित बैठक में अर्थशास्त्रियों को संबोधित करते हुए मोदी ने कहा कि बजट चक्र में बदलाव का वास्तविक अर्थव्यवस्था पर प्रभाव होगा। प्रधानमंत्री ने कहा कि बजट पेश करने की तारीख को पहले किया गया है ताकि नए वित्त वर्ष की शुरुआत में ही खर्च के लिए अधिकृत पूंजी उपलब्ध हो सके।
सरकार ने वित्त वर्ष 2017-18 का बजट एक फरवरी को पेश करने का प्रस्ताव किया है। आमतौर पर बजट फरवरी महीने की आखिरी तारीख को किया जाता है। अगले वित्त वर्ष के लिए अलग से रेल बजट भी नहीं पेश किया जाएगा। सरकार ने रेल बजट को आम बजट में मिलाने का फैसला किया है। मौजूदा बजट कैलेंडर पर मोदी ने कहा कि खर्च के लिए मंजूरी मानसून के आगमन पर मिलती है, जिससे सरकार के कार्यक्रम सामान्य तौर पर उत्पादक मानसून पूर्व के महीनों में निष्क्रिय रहते हैं।  मोदी ने आर्थिक वृद्धि की रफ्तार बढ़ाने के लिए युवाओं की ताकत को जोडऩे पर जोर दिया।
नीति आयोग के उपाध्यक्ष अरविंद पनगढय़िा ने संवाददाताओं को बैठक का ब्योरा देते हुए कहा कि प्रधानमंत्री ने इस बात पर जोर दिया कि केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (सीबीडीटी) तथा केंद्रीय उत्पाद एवं सीमा शुल्क बोर्ड (सीबीईसी) को अलग-अलग काम नहीं करना चाहिए और आंकड़ों को साझा करना चाहिए।

...तो नोटबंदी केवल आयकर वंचकों को पकडऩे के लिए थी

प्रधानमंत्री को इतना घुमा-फिरा कर क्यों लेना पड़ा ये कठोर निर्णय

हालांकि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने नोट बंदी का निर्णय काला धन को बाहर निकालने और धनकुबेरों को पकडऩे के लिए लिया था। अब चूंकि 50 दिन पूरे होने जा रहे हैं और काला धन बाहर निकलनेकी जगह पूरा धन बाहर आ गया है। सरकार के अनुमान के मुताबिक तीन लाख करोड़ रुपये का काला धन होना था लेकिन अब पुराने 500 और 1000 के नोटों में से केवल 1.4 लाख करोड़ रुपये आने शेष हैं। अभी तो तीन दिन 30 दिसंबर के बाकी हैं। उसके बाद 31 मार्च की अवधि में भी 90 दिन बाकी है। इतनी अवधि में यदि यह धन भी सरकार या बैँकों के पास पहुंच जाता है तो फिर काला धन कहां गया। इसको लेकर सरकार को करारा झटका लग सकता है। यह झटका मोदी सरकार की इमेज पर बहुत भारी पड़ेगा क्योंकि अगले एक माह बाद उत्तर प्रदेश सहित पांच राज्यों के चुनाव होने वाले हैं। ये चुनाव मोदी सरकार के आधे कार्यकाल पर जनादेश् होंगे तथा आने वाले 2019 के लोकसभा चुनाव के लिए संकेत होंगे। इन नतीजों के बाद विश्लेषणकर्ताओं ने ये अनुमान लगाया है कि नोटबंदी का बड़ा फैसला न तो काले धन के खिलाफ था न ही नकली मुद्रा के खिलाफ था बल्कि सिर्फ आयकर वंचकों के खिलाफ था। आयकर वंचकों को पकडऩा आसान नहीं है फिर भी सरकार मकान और वाहनों की गणना करके आयकर वंचकों कोपकडऩे का अभियान जल्द ही छेडऩे वाली है। 

Tuesday, 27 December 2016

सफेद धन हो चुका है काला धन!

मात्र 1.4 लाख करोड़ के पुराने नोट हैं बैंकों से बाहर

नोट बंदी के बाद से सरकार ने अनुमान लगाया था कि 500 और 1000 के पुराने नोट की 15.4 लाख करोड़ की मुद्रा में से 3 लाख करोड़ रुपये का काला धन देश में है। यही नहीं इससे पहले तो यह भी अनुमान लगाया जा रहा था कि नकली नोट की समानांतर अर्थव्यवस्था चल रही है। यानी कुल 18 लाख करोड़ के नकली या जाली नोट बाजार में चल रहे थे वे अब कहां गए।  नोटबंदी के बाद सरकार की उम्मीदों से काफी अधिक नोट बैँकों में जमा हो चुके हैं। टाइम्स आफ इंडिया से मिली खबर के अनुसार 90 प्रतिशत पुराने नोट जमा हो चुके हैं। आंकड़ों के मुताबिक 15.4 लाख करोड़ रुपये में से 14 लाख करोड़ रुपये बैँकों में जमा हो चुके हैं। अब सवाल उठता है कि बैकों में काला धन या जाली व फर्जी नोट जमा हो चुके हैं। सरकार को अब नए सिरे से बैंकों में जमा नोटों की जांच पड़ताल करनी होगी। बसपा के खाते में जमा 102 करोड़ रुपये की जांच के बाद पता चल पाएगा कि बैंकों में कैसे नोट जमा हो गए। काला धन कैसे सफेद हो गया।

न्यू ईयर गिफ्ट:क्या दोगुना हो गया?

 आखिरी सिरे में एक पैर का अंग विच्छेद के लिए मिलने वाले मुआवजे की राशि 1,20,000 को बढ़ा कर 2,40,000 कर दिया गया है। यही नहीं मेटाटारसॉफेलेनजी संधि के निकट एक पैर के माध्यम से अंग विच्छेदन की हानि के लिए 1,20,000 के मुआवजे को बढ़ाकर 2,40,000रुपये कर दिया गया है। नीचे के अंगों के पक्षाघात के बिना रीढ़ की हड्डी में अस्थिभंग की हानि के लिए वर्तमान समय में तय 1,20,000 का मुआवजा अब बढ़ कर 2,40,000 हो गया है। आंख की बनावट में विरुपण के बिना एक आंख में दृष्टि हानि और दूसरी के सामान्य रहने पर, के मामले में मिलने वाला मुआवजा 1,20,000 को बढ़ाकर 2,40,000 कर दिया गया है। रेल मंत्रालय के अधिकृत सूत्रों के अनुसार मेटाटारसॉफेलेनजी संधि के निकट एक पैर की सभी अंगुलियों की हानि के लिए वर्तमान समय के 80,000 रुपये मुआवजे को बढ़ा कर 1,60,000 कर दिया गया है। इसी तरह कूल्हे के जोड़ का अस्थि भंग होने की स्थिति में मिलने वाला 80,000 रुपये का मुआवजा बढक़र 1,60,000 रुपये हो गया है।  दोनों अंगों के फीमर टिबिया बोन के अस्थिभंग के लिए वर्तमान समय के 80,000 के मुआवजे को बढ़ाकर 1,60,000 रुपये कर दिया गया है। यही नहीं दोनों अंगों के ह्यूमरस रेडियस बोन के अस्थिभंग के लिए निर्धारित 60,000 के मुआवजे को बढ़ाकर 1,20,000 कर दिया है। इसी तरह  जोड़ के बिना वस्ति अंग में अस्थिभंग के लिए वर्तमान समय में निर्धारित 40,000 के मुआवजे को 80,000 कर दिया गया है।  एक अंग के फीमर टिबिया बोन के अस्थिभंग के लिए 40,000 रुपये का मिलने वाला मुआवजा अब 80,000 रुपये हो गया है और  एक अंग के ह्यूमरस रेडियस उल्ना बोन के अस्थिभंग के लिए वर्तमान समय में मिलने वाला 32,000 रुपये के मुआवजे को बढ़ा कर 64,000 रुपये कर दिया है।

न्यू ईयर गिफ्ट-3:दो गुने से कम नहीं मिलेगा

मेटाटारसॉफेलेनजी संधि के निकट दोनों पैरों में अंगविच्छेदन की हानि के लिए वर्तमान समय में तय 3,20,000 का मुआवजा अब 6,40,000 रुपये का हो गया है। इसी तरह मेटाटारसॉफेलेनजी संधि के निकट दोनों पैरों की सभी अंगुलियों की हानि के लिए  तय 1,60,000 का मुआवजा अब 3,20,000 रुपये हो गया है। इसी तरह प्रॉक्सीमल इंटरफेलेनजी संधि के निकट दोनों पैरों की सभी अंगुलियों की हानि के लिए  मौजूदा 1,20,000 के मुआवजे को 2,40,000 रुपये कर दिया गया है। सूत्रों के अनुसार प्रॉक्सीमल इंटरफेलेनजी संधि के बाहर के दोनों पैरों की सभी अंगुलियों की हानि के लिए 80,000 रुपये के मुआवजे को 1,60,000 में तबदील कर दिया गया है। कूल्हे के अंग विच्छेदन की हानि के लिए 3,60,000 से बढ़ाकर 7,20,000 रुपये का मुआवजा कर दिया गया है।  ट्रेंच-एंटर के सिरे से माप में 5 इंच से अधिक न होते हुए स्टंप के साथ कूल्हे से नीचे अंग विच्छेदन  के लिए मिलने वाले मुआवजे को 3,20,000 से बढ़ाकर 6,40,000 रुपये कर दिया गया है। मध्य जांघ के भीतर ट्रेंच-एंटर के सिरे से माप में 5 इंच से अधिक न होते हुए स्टंप के साथ कूल्हे से नीचे अंग विच्छेदन के लिए वर्तमान 2,80,000 के मुआवजे को बढ़ाकर 5,60,000 कर दिया है। इसी तरह  मध्य जांघ से घुटने से नीचे अंग विच्छेदन के लिए मौजूदा मुआवजा 2,40,000 है जिसे बढ़ाकर 4,80,000 रुपये कर दिया गया है। स्टंप के साथ घुटने से नीचे अंग विच्छेदन की हानि के लिए 2,00,000 के मुआवजे को बढ़ाकर 4,00,000 कर दिया गया है।  नीचे के अंगों के पक्षाघात के साथ घुटने से नीचे अंग विच्छेद के लिए वर्तमान 2,00,000 को बढ़ाकर 4,00,000 कर दिया गया है। इसके साथ ही अन्य आंख के सामान्य रहने के साथ एक आंख की हानि के लिए वर्तमान 1,60,000 के मुआवजे को बढ़ा कर 3,20,000 कर दिया गया है।

न्यू ईयर गिफ्ट-2:..तो ऐसे मिलेगी दो गुनी राशि

दूसरे भाग में मुआवजा राशि को दो गुना करने का निश्चय किया गया है। रेल मंत्रालय के सूत्रों के अनुसार मुआवजा के भाग दो के तहत कंधे के जोड़ से अंग विच्छेदन के लिए वर्तमान मुआवजा 3,60,000 को बढ़ा कर 7,20,000 कर दिया है। अंसकूट के सिरे से 8 टुकड़ों से कम के साथ कंधे से नीचे अंग विच्छेदन की हानि के लिए मौजूदा मुआवजा 3,20,000 को बढ़ाकर 6,40,000 कर दिया गया है। इसी तरह  अंसकूट के सिरे से नीचे 41/2 से कम कूर्पर के सिरे से 8 भागों में अंग विच्छेदन के लिए वर्तमान 2,80,000 के मुआवजे को बढ़ाकर 5,60,000 कर दिया है। एक हाथ अथवा अंगूठे अथवा एक हाथ की तर्जनी की हानि अथवा अंग विच्छेदन के लिए मौजूदा मुआवजा राशि 2,40,000 को बढ़ाकर 4,80,000 रुपये कर दिया गया है। अंगूठे की हानि के लिए मुआवजा 2,40,000 रुपये कर दिया गया है जो वर्तमान में यह राशि 1,20,000 थी। इसी तरह अंगूठे की हानि और इसकी करभिकास्थिक के लिए वर्तमान 1,60,000 रुपये को बढ़ाकर 3,20,000 रुपये कर दिया गया है। सूत्रों के अनुसार एक हाथ की चार अंगुलियों की हानि होने पर अभी तक रेल मंत्रालय 2,00,000 रुपये देता था जिसे बढ़ाकर 4,00,000 कर दिया गया है। यही नहीं  एक हाथ की तीन अंगुलियों की हानि होने पर मिलने वाला मुआवजा 1,20,000 से बढ़ाकर 2,40,000 रुपये हो गया है।  एक हाथ की दो अंगुलियों की हानि होने पर 80,000 रुपये के मुआवजे को बढ़ाकर 1,60,000 रुपये कर दिया गया है। अंगूठे की  अस्थि की हानि होने पर 80,000 रुपये के मुआवजे को 1,60,000 रुपये कर दिया गया है।  सिरे पर स्टंप में चोट लगने के कारण दोनों पैरों के अंग विच्छेदन होने पर  मौजूदा समय में निर्धारित 3,60,000 के मुआवजे को 7,20,000 रुपये कर दिया गया है।

यू ईयर गिफ्ट-1:चार लाख से आठ लाख हो गया

पहले भाग में हादसे में मृत्यु अथवा गंभीर रूप से घाय होने वालों को मिलने वाली वर्तमान 4 लाख रुपये की राशि को आठ लाख रुपये कर दी गई है। रेल मंत्रालय द्वारा निर्धारित रेल मुआवजे के अनुसार यात्री की मृत्यु पर वर्तमान 4,00,000 की जगह 8,00,000 रुपये देने का निश्चय किया है। सूत्रों के अनुसार ऊंचे स्थलों पर दोनों हाथों अथवा अंग-विच्छेद की हानि के लिए वर्तमान में जारी 4,00,000 की जगह 8,00,000 रुपये देना सुनिश्चित किया है। इसी तरह हाथ और एक पैर की हानि के लिए मौजूदा समय में 4,00,000 से बढ़ाकर 8,00,000 रुपये मुआवजा देने का निर्णय लिया है।  पैर अथवा जांघ के माध्यम से दोहरा  अंगविच्छेद अथवा एक ओर से पैर अथवा जांघ का अंग विच्छेद अथवा दूसरे पैर की हानि के लिए वर्तमान समय में 4,00,000 से बढ़ाकर 8,00,000 करने का निश्चय किया है।  सूत्रों के अनुसार आंखो की दृष्टि की हानि के लिए जिसमें दावेदार किसी भी कार्य को करने में असमर्थ हो जिसके लिए दृष्टि आवश्यक है , के मामले में वर्तमान 4,00,000 को बढ़ाकर 8,00,000 कर दिया है। यही नहीं बेहद गंभीर रूप से चेहरे की विकृति के लिए भी वर्तमान 4,00,000 को बढ़ाकर 8,00,000 कर दिया है। इसके साथ ही पूर्ण बधिरता के लिए भी वर्तमान 4,00,000 को बढ़ा कर 8,00,000 रुपये कर दिया गया है।

न्यू ईयर गिफ्ट:अब दो गुना मिलेगा मुआवजा

वैसे तो कहते हैं कि मानव जीवन अमूल हैं। इसके अंगों का कोई मोल नहीं दे सकता है। फिर भी मानवीय दृष्टिकोण को देखते हुए रेल मंत्रालय ने रेल दुर्घटनाओं और अनहोनी घटनाओं में शामिल यात्रियों की मृत्यु और घायल होने के संदर्भ में अदा की जाने वाली मुआवजा धनराशि में संशोधन करके दोगुना कर दिया  है। यह संशोधन ‘रेल दुर्घटना और अप्रिय घटना (क्षतिपूर्ति) नियम 1990’ में किया गया है। इस नये संशोधित नियमों को अब ‘रेल दुर्घटना और अप्रिय घटना (क्षतिपूर्ति) नियम 2016’ उल्लिखित किया जा रहा है। संशोधित मुआवजा नियमों के अनुसार मृत्यु के मामले में मुआवजे की राशि को 4 लाख रुपये से दो गुना करके 8 लाख रुपये कर दिया गया है। यह नये नियम 1 जनवरी 2017 से प्रभावी होंगे। मुआवजे की राशि को दो भागों में बांटा गया है। इसके लिए आपको अगले पोस्ट को पढऩा होगा। इसके बाद ही वह पोस्ट जारी होगी।

मेट्रो चली ग्रेटर नोएडा की ओर

नोएडा-ग्रेटर नोएडा को मैट्रो के लिए 406 करोड़ रूपए मिले

राजधानी दिल्ली, गुडग़ांव, फरीदाबाद,नोएडा में धूम मचाने वाली मेट्रो रेल सेवा अब ग्रेटर नोएडा की ओर बढ़ चली है। इससे ग्रेटर नोएडा का विकास और तेजी से बढ़ जाएगा वहीं राष्ट्रीय राजधानी में मेट्रों की पहुंच बढ़ जाएगी। अप्रैल 2018 में पूर्ण होने वाली इस परियोजना के लिए फिलहाल 406 करोड़ रुपये दिए गए हैं। एनसीआर बोर्ड ने यह भी आश्वस्त किया है कि परियोजना के काम को देखते हुए और अधिक राशि जारी की जा सकती है।
राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र योजना बोर्ड (एनसीआरपीबी) ने नोएडा-ग्रेटर नोएडा मैट्रो परियोजना को प्रथम ऋण किस्त के रूप में 406 करोड़ रूपए की निधि जारी की है ताकि इस महत्वपूर्ण मैट्रो परियोजना के निष्पादन में तेजी लाई जा सके।
इससे पूर्व एनसीआरपीबी ने 29.70 किमी नोएडा-ग्रेटर नोएडा मैट्रो परियोजना के लिए नोएडा मैट्रो रेल कॉरपोरेशन (एनएमआरसी) को 1,587 करोड़ रूपए के ऋण की भी मंजूरी दी। इस परियोजना की अनुमानित लागत 5,533 करोड़ रूपए है। इस 20 वर्षीय ऋण में 7 प्रतिशत की वार्षिक ब्याज दर और किस्तों के समय से पुनर्भुगतान के लिए 0.25 प्रतिशत के प्रोत्साहन के साथ ऋण के पुनर्भुगतान के लिए एक पांच वर्षीय अधिस्थगन भी शामिल है। इस खंड को पूर्ण करने की लक्षित तिथि अप्रैल, 2018 है।
ऋण की प्रथम किस्त के भुगतान की घोषणा करते हुए, एनसीआरपीबी के सदस्य –सचिव बी.के. के त्रिपाठी ने कहा कि नोएडा-ग्रेटर नोएडा मैट्रो संपर्क राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र में निर्बाध यात्रा के लिए महत्वपूर्ण हैं, जिसके लिए बोर्ड प्रतिबद्ध है। उन्होंने कहा कि इस महत्वपूर्ण खंड पर और अधिक निधि को जारी करना इस खंड की भौतिक और वित्तीय प्रगति पर निर्भर करता है। एनसीआर क्षेत्रीय योजना 2021 में एनसीआर शहरों के बीच संपर्क को मजबूत बनाने की आवश्यकता पर जोर दिया गया है। मेट्रो सार्वजनिक परिवहन के रूप में एक सर्वाधिक कुशल, गतिमान, आसान और पर्यावरण अनुकूल साधन के रूप में उभर रही है।  

रेल मुआवजा भाग दो: अंगों के नुकसान का विवरण


 आखिरी सिरे में एक पैर का अंग विच्छेद के लिए मिलने वाले मुआवजे की राशि 1,20,000 को बढ़ा कर 2,40,000 कर दिया गया है। यही नहीं मेटाटारसॉफेलेनजी संधि के निकट एक पैर के माध्यम से अंग विच्छेदन की हानि के लिए 1,20,000 के मुआवजे को बढ़ाकर 2,40,000रुपये कर दिया गया है। नीचे के अंगों के पक्षाघात के बिना रीढ़ की हड्डी में अस्थिभंग की हानि के लिए वर्तमान समय में तय 1,20,000 का मुआवजा अब बढ़ कर 2,40,000 हो गया है। आंख की बनावट में विरुपण के बिना एक आंख में दृष्टि हानि और दूसरी के सामान्य रहने पर, के मामले में मिलने वाला मुआवजा 1,20,000 को बढ़ाकर 2,40,000 कर दिया गया है। रेल मंत्रालय के अधिकृत सूत्रों के अनुसार मेटाटारसॉफेलेनजी संधि के निकट एक पैर की सभी अंगुलियों की हानि के लिए वर्तमान समय के 80,000 रुपये मुआवजे को बढ़ा कर 1,60,000 कर दिया गया है। इसी तरह कूल्हे के जोड़ का अस्थि भंग होने की स्थिति में मिलने वाला 80,000 रुपये का मुआवजा बढक़र 1,60,000 रुपये हो गया है।  दोनों अंगों के फीमर टिबिया बोन के अस्थिभंग के लिए वर्तमान समय के 80,000 के मुआवजे को बढ़ाकर 1,60,000 रुपये कर दिया गया है। यही नहीं दोनों अंगों के ह्यूमरस रेडियस बोन के अस्थिभंग के लिए निर्धारित 60,000 के मुआवजे को बढ़ाकर 1,20,000 कर दिया है। इसी तरह  जोड़ के बिना वस्ति अंग में अस्थिभंग के लिए वर्तमान समय में निर्धारित 40,000 के मुआवजे को 80,000 कर दिया गया है।  एक अंग के फीमर टिबिया बोन के अस्थिभंग के लिए 40,000 रुपये का मिलने वाला मुआवजा अब 80,000 रुपये हो गया है और  एक अंग के ह्यूमरस रेडियस उल्ना बोन के अस्थिभंग के लिए वर्तमान समय में मिलने वाला 32,000 रुपये के मुआवजे को बढ़ा कर 64,000 रुपये कर दिया है।

रेल मुआवजा भाग दो: अंगों के नुकसान का विवरण


 आखिरी सिरे में एक पैर का अंग विच्छेद के लिए मिलने वाले मुआवजे की राशि 1,20,000 को बढ़ा कर 2,40,000 कर दिया गया है। यही नहीं मेटाटारसॉफेलेनजी संधि के निकट एक पैर के माध्यम से अंग विच्छेदन की हानि के लिए 1,20,000 के मुआवजे को बढ़ाकर 2,40,000रुपये कर दिया गया है। नीचे के अंगों के पक्षाघात के बिना रीढ़ की हड्डी में अस्थिभंग की हानि के लिए वर्तमान समय में तय 1,20,000 का मुआवजा अब बढ़ कर 2,40,000 हो गया है। आंख की बनावट में विरुपण के बिना एक आंख में दृष्टि हानि और दूसरी के सामान्य रहने पर, के मामले में मिलने वाला मुआवजा 1,20,000 को बढ़ाकर 2,40,000 कर दिया गया है। रेल मंत्रालय के अधिकृत सूत्रों के अनुसार मेटाटारसॉफेलेनजी संधि के निकट एक पैर की सभी अंगुलियों की हानि के लिए वर्तमान समय के 80,000 रुपये मुआवजे को बढ़ा कर 1,60,000 कर दिया गया है। इसी तरह कूल्हे के जोड़ का अस्थि भंग होने की स्थिति में मिलने वाला 80,000 रुपये का मुआवजा बढक़र 1,60,000 रुपये हो गया है।  दोनों अंगों के फीमर टिबिया बोन के अस्थिभंग के लिए वर्तमान समय के 80,000 के मुआवजे को बढ़ाकर 1,60,000 रुपये कर दिया गया है। यही नहीं दोनों अंगों के ह्यूमरस रेडियस बोन के अस्थिभंग के लिए निर्धारित 60,000 के मुआवजे को बढ़ाकर 1,20,000 कर दिया है। इसी तरह  जोड़ के बिना वस्ति अंग में अस्थिभंग के लिए वर्तमान समय में निर्धारित 40,000 के मुआवजे को 80,000 कर दिया गया है।  एक अंग के फीमर टिबिया बोन के अस्थिभंग के लिए 40,000 रुपये का मिलने वाला मुआवजा अब 80,000 रुपये हो गया है और  एक अंग के ह्यूमरस रेडियस उल्ना बोन के अस्थिभंग के लिए वर्तमान समय में मिलने वाला 32,000 रुपये के मुआवजे को बढ़ा कर 64,000 रुपये कर दिया है।

रेल मुआवजा का दूसरा भाग: शरीर के निचले भाग के नुकसान का विवरण

मेटाटारसॉफेलेनजी संधि के निकट दोनों पैरों में अंगविच्छेदन की हानि के लिए वर्तमान समय में तय 3,20,000 का मुआवजा अब 6,40,000 रुपये का हो गया है। इसी तरह मेटाटारसॉफेलेनजी संधि के निकट दोनों पैरों की सभी अंगुलियों की हानि के लिए  तय 1,60,000 का मुआवजा अब 3,20,000 रुपये हो गया है। इसी तरह प्रॉक्सीमल इंटरफेलेनजी संधि के निकट दोनों पैरों की सभी अंगुलियों की हानि के लिए  मौजूदा 1,20,000 के मुआवजे को 2,40,000 रुपये कर दिया गया है। सूत्रों के अनुसार प्रॉक्सीमल इंटरफेलेनजी संधि के बाहर के दोनों पैरों की सभी अंगुलियों की हानि के लिए 80,000 रुपये के मुआवजे को 1,60,000 में तबदील कर दिया गया है। कूल्हे के अंग विच्छेदन की हानि के लिए 3,60,000 से बढ़ाकर 7,20,000 रुपये का मुआवजा कर दिया गया है।  ट्रेंच-एंटर के सिरे से माप में 5 इंच से अधिक न होते हुए स्टंप के साथ कूल्हे से नीचे अंग विच्छेदन  के लिए मिलने वाले मुआवजे को 3,20,000 से बढ़ाकर 6,40,000 रुपये कर दिया गया है। मध्य जांघ के भीतर ट्रेंच-एंटर के सिरे से माप में 5 इंच से अधिक न होते हुए स्टंप के साथ कूल्हे से नीचे अंग विच्छेदन के लिए वर्तमान 2,80,000 के मुआवजे को बढ़ाकर 5,60,000 कर दिया है। इसी तरह  मध्य जांघ से घुटने से नीचे अंग विच्छेदन के लिए मौजूदा मुआवजा 2,40,000 है जिसे बढ़ाकर 4,80,000 रुपये कर दिया गया है। स्टंप के साथ घुटने से नीचे अंग विच्छेदन की हानि के लिए 2,00,000 के मुआवजे को बढ़ाकर 4,00,000 कर दिया गया है।  नीचे के अंगों के पक्षाघात के साथ घुटने से नीचे अंग विच्छेद के लिए वर्तमान 2,00,000 को बढ़ाकर 4,00,000 कर दिया गया है। इसके साथ ही अन्य आंख के सामान्य रहने के साथ एक आंख की हानि के लिए वर्तमान 1,60,000 के मुआवजे को बढ़ा कर 3,20,000 कर दिया गया है। 

रेल मुआवजा का दूसरा भाग: शरीर के ऊपरी भाग के नुकसान का विवरण

दूसरे भाग में मुआवजा राशि को दो गुना करने का निश्चय किया गया है। रेल मंत्रालय के सूत्रों के अनुसार मुआवजा के भाग दो के तहत कंधे के जोड़ से अंग विच्छेदन के लिए वर्तमान मुआवजा 3,60,000 को बढ़ा कर 7,20,000 कर दिया है। अंसकूट के सिरे से 8 टुकड़ों से कम के साथ कंधे से नीचे अंग विच्छेदन की हानि के लिए मौजूदा मुआवजा 3,20,000 को बढ़ाकर 6,40,000 कर दिया गया है। इसी तरह  अंसकूट के सिरे से नीचे 41/2 से कम कूर्पर के सिरे से 8 भागों में अंग विच्छेदन के लिए वर्तमान 2,80,000 के मुआवजे को बढ़ाकर 5,60,000 कर दिया है। एक हाथ अथवा अंगूठे अथवा एक हाथ की तर्जनी की हानि अथवा अंग विच्छेदन के लिए मौजूदा मुआवजा राशि 2,40,000 को बढ़ाकर 4,80,000 रुपये कर दिया गया है। अंगूठे की हानि के लिए मुआवजा 2,40,000 रुपये कर दिया गया है जो वर्तमान में यह राशि 1,20,000 थी। इसी तरह अंगूठे की हानि और इसकी करभिकास्थिक के लिए वर्तमान 1,60,000 रुपये को बढ़ाकर 3,20,000 रुपये कर दिया गया है। सूत्रों के अनुसार एक हाथ की चार अंगुलियों की हानि होने पर अभी तक रेल मंत्रालय 2,00,000 रुपये देता था जिसे बढ़ाकर 4,00,000 कर दिया गया है। यही नहीं  एक हाथ की तीन अंगुलियों की हानि होने पर मिलने वाला मुआवजा 1,20,000 से बढ़ाकर 2,40,000 रुपये हो गया है।  एक हाथ की दो अंगुलियों की हानि होने पर 80,000 रुपये के मुआवजे को बढ़ाकर 1,60,000 रुपये कर दिया गया है। अंगूठे की  अस्थि की हानि होने पर 80,000 रुपये के मुआवजे को 1,60,000 रुपये कर दिया गया है।  सिरे पर स्टंप में चोट लगने के कारण दोनों पैरों के अंग विच्छेदन होने पर  मौजूदा समय में निर्धारित 3,60,000 के मुआवजे को 7,20,000 रुपये कर दिया गया है।

रेल मुआवजा का पहला भाग: चार लाख से आठ लाख हुई मुआवजा राशि

पहले भाग में हादसे में मृत्यु अथवा गंभीर रूप से घाय होने वालों को मिलने वाली वर्तमान 4 लाख रुपये की राशि को आठ लाख रुपये कर दी गई है। रेल मंत्रालय द्वारा निर्धारित रेल मुआवजे के अनुसार यात्री की मृत्यु पर वर्तमान 4,00,000 की जगह 8,00,000 रुपये देने का निश्चय किया है। सूत्रों के अनुसार ऊंचे स्थलों पर दोनों हाथों अथवा अंग-विच्छेद की हानि के लिए वर्तमान में जारी 4,00,000 की जगह 8,00,000 रुपये देना सुनिश्चित किया है। इसी तरह हाथ और एक पैर की हानि के लिए मौजूदा समय में 4,00,000 से बढ़ाकर 8,00,000 रुपये मुआवजा देने का निर्णय लिया है।  पैर अथवा जांघ के माध्यम से दोहरा  अंगविच्छेद अथवा एक ओर से पैर अथवा जांघ का अंग विच्छेद अथवा दूसरे पैर की हानि के लिए वर्तमान समय में 4,00,000 से बढ़ाकर 8,00,000 करने का निश्चय किया है।  सूत्रों के अनुसार आंखो की दृष्टि की हानि के लिए जिसमें दावेदार किसी भी कार्य को करने में असमर्थ हो जिसके लिए दृष्टि आवश्यक है , के मामले में वर्तमान 4,00,000 को बढ़ाकर 8,00,000 कर दिया है। यही नहीं बेहद गंभीर रूप से चेहरे की विकृति के लिए भी वर्तमान 4,00,000 को बढ़ाकर 8,00,000 कर दिया है। इसके साथ ही पूर्ण बधिरता के लिए भी वर्तमान 4,00,000 को बढ़ा कर 8,00,000 रुपये कर दिया गया है।

रेल यात्रियों को मिला नए साल का तोहफा

रेल दुर्घटना पीडि़तों को भुगतान की जाने वाली मुआवजा राशि को दोगुना किया 

वैसे तो कहते हैं कि मानव जीवन अमूल हैं। इसके अंगों का कोई मोल नहीं दे सकता है। फिर भी मानवीय दृष्टिकोण को देखते हुए रेल मंत्रालय ने रेल दुर्घटनाओं और अनहोनी घटनाओं में शामिल यात्रियों की मृत्यु और घायल होने के संदर्भ में अदा की जाने वाली मुआवजा धनराशि में संशोधन करके दोगुना कर दिया  है। यह संशोधन ‘रेल दुर्घटना और अप्रिय घटना (क्षतिपूर्ति) नियम 1990’ में किया गया है। इस नये संशोधित नियमों को अब ‘रेल दुर्घटना और अप्रिय घटना (क्षतिपूर्ति) नियम 2016’ उल्लिखित किया जा रहा है। संशोधित मुआवजा नियमों के अनुसार मृत्यु के मामले में मुआवजे की राशि को 4 लाख रुपये से दो गुना करके 8 लाख रुपये कर दिया गया है। यह नये नियम 1 जनवरी 2017 से प्रभावी होंगे। मुआवजे की राशि को दो भागों में बांटा गया है। इसके लिए आपको अगले पोस्ट को पढऩा होगा। इसके बाद ही वह पोस्ट जारी होगी।

नोटबंदी ने पर्यटन क्षेत्र में लगाई छलांग

नवंबर में दस फीसदी अधिक पर्यटक भारत आए

सरकार को हुंई 14,474 करोड़ रुपये की विदेशी मुद्रा की आमदनी

गत आठ नवंबर को सरकार द्वारा नोटबंदी के निर्णय की घोषणा कर दी थी। इसके बाद तमाम मीडिया माध्यमों में यह प्रसारित हो रहा था कि विदेश से आने वाले पर्यटकों को नोटबंदी के नियमों से तमाम परेशानी हो रही है और वे अपने कार्यक्रम बीच में खत्म करके वापस लौट रहे हैं या फिर वे आने से बच रहे हैं। मुंबई,कोलकाता,दिल्ली,चेन्नई सहित अनेक पर्यटक शहरों से ये खबरें भी आ रहीं थी कि विदेशी पर्यटकों ने नोटबंदी के झंझट से बचने के लिए अपने लिए बुक कराई गई फ़्लाइट व होटल की बुकिंग कैंसिल करानी शुरू कर दी है। इससे इस व्यवसाय से जुड़े लोगों को काफी नुकसान उठाना पड़ रहा है। सरकार के पर्यटन मंत्रालय से जारी आंकड़ों ने तो कहानी ही उलट दी। नोटबंदी के बाद देश में पिछले साल की अपेक्षा इस वर्ष नवंबर माह में दस फीसदी अधिक पर्यटक आए और उनसे सरकार को 14,474 करोड़ रुपये की विदेशी मुद्रा की आमदनी हुई। नवंबर, 2016 के दौरान भारत आने वाले पर्यटकों में सर्वाधिक हिस्सा अमेरिका का रहा, जिसके बाद क्रमश: ब्रिटेन और बांग्लादेश का हिस्सा रहा ।
पर्यटन मंत्रालय के आप्रवासन ब्यूरो (बीओआई) से प्राप्त राष्ट्रीयता-वार एवं बंदरगाह-वार आंकड़ों के आधार पर विदेशी पर्यटकों के आगमन (एफटीए) के मासिक अनुमानों का संकलन करता है। इसी तरह पर्यटन मंत्रालय भारतीय रिजर्व बैंक से प्राप्त आंकड़ों के आधार पर पर्यटन से प्राप्त विदेशी मुद्रा आमदनी (एफईई) का संकलन करता है।
बीओआई के अनुसार नवंबर, 2016 के दौरान एफटीए का आंकड़ा 8.91 लाख का रहा, जबकि नवंबर, 2015  में यह 8.16 लाख और नवंबर, 2014  में 7.65 लाख था। नवंबर, 2015 की तुलना में नवंबर, 2016 के दौरान इसमें 9.3 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की गई।
सूत्रों के अनुसार शीर्ष 15 स्रोत देशों में नवंबर, 2016 के दौरान भारत में एफटीए में सर्वाधिक हिस्सा अमेरिका (15.53 प्रतिशत) का रहा। इसके बाद हिस्सा क्रमश: ब्रिटेन (11.21प्रतिशत),  बांग्लादेश (10.72 प्रतिशत), कनाडा (4.66प्रतिशत), रूसी संघ (4.53प्रतिशत), ऑस्ट्रेलिया (4.04प्रतिशत),  मलेशिया (3.65 प्रतिशत), जर्मनी (3.53 प्रतिशत),  चीन (3.14प्रतिशत), फ्रांस (2.88 प्रतिशत), श्रीलंका (2.49प्रतिशत), जापान (2.49 प्रतिशत),  सिंगापुर (2.16प्रतिशत),  नेपाल (1.46प्रतिशत) और थाईलैंड (1.37प्रतिशत) का रहा।
शीर्ष 15 पोर्टों में नवंबर, 2016 के दौरान भारत में एफटीए में सर्वाधिक हिस्सा दिल्ली एयरपोर्ट (32.71 प्रतिशत) का रहा। इसके बाद हिस्सा क्रमश: मुंबई एयरपोर्ट (18.51प्रतिशत),  चेन्नई एयरपोर्ट (6.83प्रतिशत),  बेंगलुरू एयरपोर्ट (5.89प्रतिशत), हरिदासपुर लैंड चेक पोस्ट (5.87 प्रतिशत),   गोवा एयरपोर्ट (5.63 प्रतिशत),  कोलकाता एयरपोर्ट (3.90प्रतिशत), कोच्चि एयरपोर्ट (3.29 प्रतिशत), हैदराबाद एयरपोर्ट (3.14 प्रतिशत), अहमदाबाद एयरपोर्ट (2.76 प्रतिशत), त्रिवेंद्रम एयरपोर्ट (1.54 प्रतिशत), त्रिची एयरपोर्ट (1.53 प्रतिशत), गेडे रेल (1.16प्रतिशत), अमृतसर एयरपोर्ट (1.15 प्रतिशत) और घोजाडंगा लैंड चेक पोस्ट (0.82प्रतिशत)  का रहा।
सूत्रों के अनुसार नवंबर, 2016 के दौरान एफईई 14,474 करोड़ रुपये की रही,  जबकि यह नवंबर 2015 में 12,649 करोड़ रुपये और नवंबर 2014 में 11,431 करोड़ रुपये थी।  नवंबर, 2016 के दौरान रुपये के लिहाज से एफईई में बढ़ोतरी नवंबर 2015 की तुलना में 14.4 प्रतिशत की रही। नवंबर 2014 की तुलना में नवंबर 2015 में 10.7 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की गई। नवंबर, 2016 के दौरान अमेरिकी डॉलर के लिहाज से एफईई में नवंबर 2015 की तुलना में 12.0 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की गई, जबकि नवंबर, 2014 की तुलना में नवंबर 2015 में इसमें 3.2 प्रतिशत की गिरावट आंकी गई थी।

आओ जानें आयकर का फंडा

अब कैसे चलेगा कानून का डंडा

30 दिसम्बर को नोटबंदी का निर्णय की अवधि समाप्त होने वाली है। इसके बाद कालेधन को निकालने के लिए आयकर का डंडा चलने वाला है। ऐसे लोगों की धडक़नें तेज हो रहीं है जो अपने आपको दागी समझ रहे हैं। आयकर के फंडे को समझने के लिए ऐसे लोग सीए और टैक्स कंसलटेंट के कार्यालयों के चक्कर लगा रहे हैं।
आइए जानते हैं कि आयकर का फंडा क्या है? सरकार ने आयकर के तहत उन लोगों पर आयकर लगाने की बंदिश लगाई जो वर्ष में अपने सभी आय स्रोतों से 2,50,000 रुपये से अधिक कमाते हैं। यानी 2,50,000 रुपये प्रतिवर्ष कमाने वालों पर आयकर नहीं लगता है। लेकिन 2,51,000 से 5,00,000 रुपये की वार्षिक आमदनी पर 10 प्रतिशत आयकर लगाया जाता है। इसके बाद 5,00,100 से 10,00,000 रुपये की वार्षिक आय पर 20 प्रतिशत कर लगाया जाता है। इसके ऊपर 10 लाख से अधिक की आय पर 30 प्रतिशत कर का प्रावधान है। इस बार के बजट में 10 लाख से अधिक आय वालों को कुछ राहत दिए जाने के संकेत मिले हैं। प्राइवेट कंपनियों, संस्थाओं में काम करने वालों, व्यापारियों, संस्थाओं व अन्य संस्थाओं पर यह कर लगाया जाता है। संस्थाओं में काम करने वालों पर यह कर कंपनियों स्वयं भी लगातीं हैं और कर्मचारी स्वयं भी ऑनलाइन आईटीआर दाखिल कर सकते हैं। संस्थाएं स्वयं अपना और अपने कर्मचारियों का आयकर सरकार के खाते में ऑन लाइन जमा करती हैं। व्यापार स्वयं अपना आईटीआर दायर कर सकते हैं। यदि पढ़े लिखे नही हैं या समय नहीं है तो वे अपने टैक्स सलाहकार से आईटीआर दाखिल करवा सकते हैं।

क्या राजनीतिक दलों की बारी आ गई?

ये पब्लिक है सब जानती है, अच्छी तरह समझ लेें राजनीतिज्ञ:मोदी

गत आठ नवबंर को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने नोटबंदी के निर्णय की घोषणा की थी तभी लोगों ने यह अंदाजा लगाना शुरू कर दिया था कि हो न हो यह खेल आने वाले पांच राज्यों के विधानसभा चुनावों में कालेधन के दुरुपयोग को रोकने के लिए हुआ था। इससे पहले कांग्रेस के राज में आय से अधिक स्रोत पर आयकर विभाग सपा प्रमुख औ बसपा प्रमुख के खिलाफ कई बार अपनी कार्रवाई कर चुका है। अब बसपा के खाते में अचानक 104 करोड़ की रकम जमा होने और आम आदमी पार्टी के चंदे की सूची गायब होने से जो कोहराम मचा है,उससे तो यही संकेत मिलता है कि अब राजनीतिक दलों को भी घेरा जाएगा। इसके तत्काल बाद प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने देहरादून के अपने भाषण में दो टूक शब्दों में कहा है कि राजनेता अच्छी तरह से समझ लें कि अब पुराना जमाना गुजर गया है, ये पब्लिक है सब जानती है। मन की बात में भी श्री मोदी ने यह संकेत दिया था कि राजनीतिक दलों को कोई खास छूट नहीं है। कानून सबके लिए समान है। राजनीतिक दलों के कानून में भी संशोधन किया जा सकता है। सरकार का इरादा तो 20 हजार की जगह 2000 का चंदा देने वाले का हिसाब रखा जाए। हाल में चुनाव आयोग ने 257 राजनीतिक दलों को डीलिस्टेड करके आयकर विभाग से उनकी जांच पड़ताल करने को कहा है। चुनाव आयोग ने यह आशंका जताई है कि ये राजनीतिक दल लोगों के कालेधन को सफेद करने का मशीन बने हुए हैं। इनमें से अधिकांश ऐसे दल हैं जिन्होंने दशकों से कोई चुनाव नहीं लड़ा है। ऐसे भी अधिक दल है जिन्होंने कोई चुनाव नहंीं जीता है। एक समाचार पत्र में रिपोर्ट दी थी कि अनेक दलों के कार्यालय परचून की दूकान, मेडिकल स्टोर में चल रहे थे। बहुत से दलों के नेता दूसरे दलों से चुनाव लडक़र चुनाव जीत चुके हैं और अपने दल को पेंडिंग में डाले हुए हैं। अब सवाल उठता है कि यदि राजनीतिक दलों को आयकर के दायरे में लाया गया तो अवश्य ही देश की अर्थव्यवस्था में चांर चांद लग जाएंगे।

मोदी जी का यह दांव उल्टा पड़ गया

दलालों व इन्वेस्टरों ने दिखाया रौद्र रूप, बाजार धड़ाम

अपनी हाल ही की मुंबई यात्रा के दौरान प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने फाइनेंशियल इंस्टीट्यूट के कार्यक्रम में उपस्थित स्टॉक मार्केट से जुड़ी हस्तियों को संबोधित करते हुए संकेत दिया था कि स्टॉक मार्केट से अच्छी कमाई करने वालों पर अधिक कर लगाया जा सकता है। उनका कहना था कि ये लोग आसानी से अच्छी खासी कमाई कर लेते हैं तो यह उनकी जिम्मेदारी बनती है कि वे आगे बढ़ कर राष्ट्रनिर्माण में अपनी भूमिका निभाएं और अधिक कर दें। उन्होंने यह भी संकेत दिया था कि आने वाले बजट में ऐसे लोगों पर अधिक कर लगाने के प्रावधान लाए जा सकते हैं। उनके इस बयान से बाजार के लोगों ने अपनी त्यौरियां चढ़ा लीं।  प्रधानमंत्री के बयान की गलती को सरकार के अन्य मंत्रियों ने भांपा तो उन्होंने जल्द ही डॅमेज कंट्रोल करने की कोशिशें शुरू कर दीं। वित्त मंत्री अरुण जेटली ने कहा कि सरकार का ऐसा कर लगाने का कोई इरादा नहीं है। प्रधानमंत्री के बयान को तोड़मरोड़ कर पेश किया है उन्होंने ऐसा कुछ नहीं कहा। इसके बावजूद स्टाक मार्केट के इन्वेस्टरों और दलालों को सरकार के चाल-चरित्र पर शक हो रहा है। इससे रुष्ट होकर बाजार में दलालों और इन्वेस्टरों ने अपना रौद्र रूप दिखाया ।परिणामस्वरूप सेंसेक्स पिछले एक माह में सबसे नीचे की ओर धड़ाम से गिर गया। सोमवार को 30 शेयरों वाला सेंसेक्स 233.60 अंकों के साथ बंद हुआ जबकि इससे पूर्व 21 नवंबर को सबसे कम 25807 अंकों के साथ बंद हुआ था। तीस शेयर पैक वाले सेंसेक्स में दिन में 25 बार खतरे के संकेत दिखे। दलाल मार्केट ने भी नकारात्मक रुख दिखाया और यह 2062 अंक के पास दिखा जबकि बाद में बाजार ने 547 अंक उछाल पाकर भी स्थिति नियंत्रण में नहीं कर पाई। निफ्टी भी 7908 अंक नीचे समाप्त हुआ। इक्विटी मार्केट में टैक्स बढऩे का खतरा छाया रहा। शेयरखान लि. के हेर्ड रिसर्चर गौरव दुआ ने कहा कि प्रधानमंत्री के बयान के बाद वित्त मंत्री ने जिस तरह से सफाई दी थी उसके बाद भी इन्वेस्टर संतुष्ट नहंीं दिखे। प्रधानमंत्री ने शनिवार को कहा था कि स्टाक मार्केट से व्यक्तिगत करों का भुगतान तिमाही में गिरता जा रहा है, इस स्थिति को सुधारने के प्रयास किए जाएंगे। 

नोटबंदी से आतंकवादियोंं,अंडरवल्र्ड डॉन और ड्रग माफियाओं की दुनिया तबाह हो गई है: मोदी

अटल जी ने उत्तराखण्ड बनवाया है, हम इसे और बेहतर राज्य बनाएंगे:पीएम

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने कहा कि नोटबंदी के निर्णय से आतंकवादियों,अंडरवल्र्ड डॉन और ड्रग माफियाओं की दुनिया तबाह हो गई है। उत्तराखण्ड में भी चुनाव होने वाले हैँ। देहरादून में अपनी परिवर्तन महा रैली को संबोधित करते हुए श्री मोदी ने उपस्थित जनता से सवालिया अंदाज में कहा कि आपने हमें प्रधानमंत्री रिबन काटने और दीप जलाने के लिए नहीं बनाया है बल्कि देश की जनता ने मुझे चौकीदारी का काम सौंपा है। आज जब मैं अपना काम कर रहा हूं तो लोग मुझ पर उंगली उठा रहे हैं। मैं भ्रष्टाचार और कालेधन के खिलाफ लड़ रहा हूं। उन्होंने कहा कि आज देश में खेल चल रहा है, गरीबों के पैसे अमीर लूट रहे हैं, उनका शोषण कर रहे हैं और अपनी तिजोरी भर रहे हैं। लेकिन मैं इस तरह के भ्रष्टाचार को चलने नहीं दूंगा। उन्होंने कहा कि नोट बंदी के बाद इस तरह के लोगोंं ने तरह-तरह के हथकंडे अपना कर अपने पुराने 500 और 1000 के नोट को बदलवाने में कामयाब हो गए हैं लेकिन मैं कहता हूं कि उनमें से एक भी नहीं बच पाएगा, सब पकड़े जाएंगे। देश की जनता ने मुझे पूरा साथ दिया है और साथ दे रही है वरना ये कालेधन वाले अब मेरे साथ क्या करते कुछ कहा नहीं जा सकता। उन्होंने कहा कि मैं जानता हूं कि नोटबंदी के चलते देश के लोगों को काफी परेशानी उठानी पड़ी है और उठा रहे हैं फिर भी लोग हमेंं अपना समर्थन दे रहे हैं हम उनके आभारी हैं। श्री मोदी ने कहा कि मैं देश के ईमानदार लोगों को ताकतवार बनाना चाहता है, मेरी ये लड़ाई लम्बी चलेगी और मुझे उत्तराखण्ड के लोगों के भी समर्थन की आवश्यकता है।

Monday, 26 December 2016

नोटबंदी:क्यों खतरनाक होगा पुराने नोट दस से ज्यादा रखना

नोटबंदी के निर्णय के अनुसार 30 दिसंबर तक पुराने नोट ही बैँक के खातों में जमा हो सकेंगे अथवा सरकार द्वारा घोषित स्थानों पर ही चल सकेंगे। इसके बाद ये नोट मात्र कागज के टुकड़े बनकर रह जाएंगे। प्रधानमंत्री ने पूर्व में ऐसा कहा था लेकिन कालेधन वालों की नित नई-नई चालों को देखते हुए सरकार ने अपना मन बदल दिया है। गत आठ नवंबर से रोजाना नए-नए नियम बनाने वाली सरकार अब एक नया अध्यादेश लाने वाली है कि 30 दिसंबर के बाद जिसके पास से 500 व 1000 के पुराने नोट 10 नोट से अधिक मिलेंगे उसके खिलाफ कानूनी कार्यवाही व जुर्माना लगाया जाएगा। जानकार सूत्रों के अनुसार ऐसे लोगों पर 50 हजार का जुर्माना व अन्य प्रावधान लगाए जाएंगे।

आयकर के फंदे से कैसे बचें?

30 दिसम्बर के बाद क्या होगा?

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी द्वारा गत आठ नवंबर को लिये गये नोटबंदी के निर्णय के अनुसार 500 व 1000 के पुराने नोट के बंद होने की सरकारी मियाद 30 दिसंबर में मात्र चंद दिन रह गये हैं। अब चारों ओर लोगों के मन में तरह तरह की शंका उत्पन्न हो रही है कि अब सरकार क्या करेंगी? आयकर वाले एकदम टूट कर उन सभी लोगों को पकडऩे में जुट जाएंगे, जिन्होंने आठ नवंबर के बाद से सामान्य खाते में ढाई लाख रुपये से अधिक जमा किए हैं अथवा जनधन खातों में 50 हजार रुपये जमा करवाए हैं अथवा जमा किए हैं? ऐसे लोग अब इस भागदौड़ में जुट गए हैं कि आयकर के फंदे से कैसे बचा जाए। अपने नजदीकी टैक्स कन्सलटेंट और आयकर कानूनों के विशेषज्ञों और चार्टर्ड एकाउंटेंटों से सलाह लेने में जुटे हुए हैं। हालांकि प्रधानमंत्री ने स्पष्ट घोषणा कर दी है यदि किसी ने किसी कारण से अपनी आय घोषित न कर पाई हो और आय के अनुसार अपना कर अदा न किया हो तो वह स्वेच्छा से अपनी आय की घोषणा करके कर अदा करके मुख्य धारा में शामिल हो जाए। यह अपराध इतना बड़ा नहीं है कि सरकार इसके लिए किसी को फांसी पर लटकाएगी। ऐसी स्थिति में घबराने से अच्छा हो तक राष्ट्रहित में नया रास्ता खोजें और ईमानदारी से अपनी आय की घोषणा करके इस फंद से बच जाएं। यह ध्यान रखना होगा कि आपके आय के स्रोत के अनुरूप ही आय पर आपको इस तरह की सुविधाएं मिलेंगी। इससे अधिकवालों के लिए तो कानून का फंदा लटक ही रहा है।

नोट बंदी के बीच नए साल का जश्न कैसा रहेगा?

अटकलों के बीच व्यवसाइयों ने अपनी तैयारियों को दी रफ्तार

नोट बंदी की गर्मागर्म चर्चा के बीच नए साल का जश्न कैसा होगा? इस बात पर चर्चा चारों ओर तेजी से हो रही है। हर एक के दिल में यह भय सता रहा है कि यदि इस बार अधिक धन खर्च किया तो भी सरकार के राडार में आ जाएंगे। पहले तो नोट होते थे पता नहीं चलता था कि कितना किस व्यक्ति ने खर्च कर दिया। लेकिन अब डिजिटल पेमेंट से हरेक व्यक्ति सरकार के राडार में आ जाएगा और जिसने अधिक खर्च किया वही आयकर कानून के जाल में फंस जाएगा।
नोटबंदी से उत्पन्न नोटों की समस्या को दूर करने के लिए व्यापारियों ने नए साल के जश्न के लिए युवाओं को आकर्षित करने के लिए अपनी तैयारियां तेज कर दीं हैं। व्यापारियों का मानना है कि नए साल का जश्न युवा ही मनाते हैं और वे मोबाइल, डेबिट कांर्ड, क्रेडिट कार्ड से लैस हैं। इसके बावजूद आयकर का शिकंजा ऐसा है जो उनके व्यवसाय पर असर डाल सकता है। हरेक के दिमाग में आयकर कानून का डर अवश्य बैठा है। शायद इसी को जानकर सरकार ने 30 दिसंबर के बाद पुराने नोटों पर नजर रखने और उसे दंडनीय मुद्रा बनाने के उद्देश्य से अध्यादेश लाने का मन बना लिया है। इसके अलावा जिस तरह से बसपा नेता की अकूत संपत्ति का खुलासा करके कानूनी कार्यवाही शुरू कर दी गई है। इससे यह स्पष्ट संदेश है कि कोई भी व्यक्ति कालाधन का खर्चकरके नहीं बच पाएगा। 

पेट्रोल भरवाते समय मोबाइल वालेट का न करेें इस्तेमाल

पेट्रोलियम एण्ड एक्सप्लोसित आर्गेनाइजेशन ने किया अलर्ट

भारत सरकार डिजिटल पेमेंट को बढ़ावा दे रही है। एलपीजी और पेट्रोल लेने के बदले डिजिटल पेमेंट पर 0.75 प्रतिशत की छूट भी  दे ही है। इसके बावजूद पेट्रोलियम एण्ड एक्सप्लोसित आर्गेनाइजेशन(पेसो) ने उन लोगों को सतर्क किया है जो एलपीजी स्टोर से गैस लेते वक्त या पेट्रोल पंप से पेट्रोल भरवाते वक्त ई वालेट या पीओएस से भुगतान करते हैं। औद्योगिक मंत्रालय के एक अधिकारी ने द हिन्दू को यह जानकारी देते हुए बताया कि हमने पेट्रोलियम मंत्रालय को यह बता दिया है कि पेट्रोल पंप पर वाहन में पेट्रोल भरवाते समय ई वालेट या पीओएस मशीन का उपयोग खतरनाक साबित हो सकता है। पेसो का उद्देश्य एक्सप्लोसिव एक्ट ऑफ 1884 और पेट्रोलियम एक्ट ऑफ 1934 को लागू करना है। वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय के इंडस्ट्रियल एण्ड प्रमोशन डिपार्टमेंट ने इस बारे में अपनी रिपोर्ट दे दी है। अधिकारी ने बताया कि अब पेट्रोलियम मंत्रालय की यह जिम्मेदारी है कि यह सुरक्षा संबंधी निर्देश अपने फुटकर आउटलेटस यानी पेट्रोलपंपों को पहुंचाएं और सुरक्षा उपाय करें।
ज्वाइंट चीफ कंट्रोलर एक्सप्लोसिव एनटी साहू ने हाल ही में उद्योग मंत्रालय को अपने लिखे खत में सह सूचित किया कि पेट्रोल रूल्स2002 के तहत लाइसेंसधारी पेट्रोल के आउटलेटस में निषिद्ध स्थान में ई-वालेट, पीएसओ इस्तेमाल में सावधानी बरतने की जरूरत है। ऐसे उपाय किए जाएं ताकि वहां किसी प्रकार की दुर्घटना न होने पाए।
पेट्रोल पम्प के आसपास इलेक्ट्रानिक उपकरणों के इस्तेमाल के नियमों के अनुसार दो खतरनाक जोन के पास विशेष सावधानी बरतनी चाहिए। जोन-1 वह होता है जहां फ्यूल पम्प के बेस से 1.2 मीटर का एरिया और 45 सेंटीमीटर हॉरीजेंटल एरिया में इस तरह के उपकरणों का उपयोग प्रतिबंधित है। जोन-2 वह क्षेत्र है फ्यूल पम्प के कैबिनेट के 45 सेमी से छह मीटर के बीच के क्षेत्र में भी सावधानी बरतने की आवश्यकता होती है। नेशनल डिजास्टर मैनेजमेंट अथारिटी के पूर्व वाइस चेयरमैन शशिधर रेड्डी ने पेट्रोलियम मंत्रालय और सभी राज्यों के मुख्य सचिवों को आवश्यक कदम उठाने के लिए खत लिख दिए हैं। उन्होंने खत में सभी आवश्यक निर्देश समुचित स्थान तक पहुंचाने को कहा है।

यूपी के लिए भाजपा की है ये रणनीति

जाति-पाति,धर्म-कर्म छोड़ कर भ्रष्टाचार रहेगा मुख्य मुद्दा

देश की राजनीतिक दिशा तय करने वाले उत्तर प्रदेश पर कब्जा करने के लिए सपा,बसपा और भाजपा में होड़ मची हुई है। सपा बसपा तो अपने वजूद को बचाने के लिए उत्तर प्रदेश चाहती है जबकि भाजपा प्रदेश में अपने पांव जमाकर 2019 के लोकसभा चुनाव जीतने की नींव को मजबूत करना चाहती है। सपा और बसपा से अधिक भाजपा के लिए करो या मरो की स्थिति है। यदि यह कहा जाए कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने यूपी पर कब्जा करने के लिए नोट बंदी और कालेधन का अभियान चलाया है तो कोई अतिशयोक्ति न होगी। भाजपा नेताओं की बात माने तो प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने आधा रास्ता अपने अभियान से तय कर दिया है। प्रदेश में भाजपा के पक्ष में लहर चल रही है बस इस लहर को वोट बैँक में बदलना बाकी है। जानकार सूत्रों की बात मानें तो भाजपा ने जाति-पाति,धर्म-कर्म को छोड़ कर भ्रष्टाचार का मुद्दा बनाने की रणनीति बनाई है। भ्रष्टाचार के मुद्दे पर भाजपा बसपा सुप्रीमो सुश्री मायावती, सपा सुप्रीमो मुलायम सिंह यादव व कांग्रेसी नेताओं को घेरेगी। इस बीच जमीनी स्तर पर वोटरों को रिझाने और उन्हें समझाने के लिए आरएसएस, भाजयुमो, छात्र शाखा का इस्तेमाल किया जाएगा। इसके लिए लाखों युवाओं को मोटरसाइकिल से लैस कर गांव-गांव भेजा जाएगा और वे वहां जाकर बुुजुर्गोंं के पैर छूकर या अन्य तरीके से सम्मानित करेंगे और उन्हें नोटबंदी व प्रधानमंत्री के ईमानदारीपूर्ण इरादों से समझाएंगे साथ ही चौपालों में एकत्रित होकर प्रधानमंत्री की नीतियों और इरादों का प्रचार करेंगे। उनके इस प्रचार के दौरान डिजिटल पेमेंट पर चल रही इनामी योजना भी इस प्रचार में अपना काम करेगी। इस तरह से भाजपा ने यूपी पर कब्जा करने की अपनी रणनीति बनाई है। 

सियासी दंगल: चक्रव्यूह में फंसते जा रहे हैं मुलायम सिंह

अखिलेश यादव और शिवपाल सिंह चल रहे हैं दांव पर दांव

उत्तर प्रदेश जैसे महत्वपूर्ण राज्य की विधानसभा चुनाव की तिथियां जैसे-जैसे नजदीक आतीं जा रहीं है,सत्तारूढ़ समाजवादी पार्टी का कुनबाई दंगल वैसे-वैसे तेज होता जा रहा है। अब इस दंगलरूपी चक्रव्यूह में सपा सुप्रीमों मुलायम सिंह स्वयं फंसते नजर आ रहे हैं।  लोकप्रियता, युवा वोटर का आकर्षण और विकास कराने वाले मुख्यमंत्री की छवि, उदारवादी समाजवादी नेता की छवि के चलते समाजवादी पार्टी अखिलेश यादव से पल्ला नहीं झाड़ सकती। वहीं दूसरी ओर युवा मुख्यमंत्री अखिलेश यादव भले ही अनेक खूबियों वाले हों लेकिन उन्हें इस समय समाजवादी पार्टी का सहारा लेना ही होगा। दोनों ओर से चली आ रही खींचतान के बीच धीरे-धीरे ऐसी स्थिति मुलायम सिंह के समक्ष आ पहुंची है जब उन्हें ये नूराकुश्ती का खेल समाप्त कर जनता को नया संदेश देना होगा वरना समय कम है। इसके चलते फायदा कम नुकसान अधिक हो सकता है। प्रदेश अध्यक्ष और सरकार के पदों को लेकर काफी समय से चली आ रहीे तनातनी अब टिकट के बंटवारे को लेकर तेज हो गई है। सरकार में मंत्री पद से बाहर हुए शिवपाल सिंह यादव अपने भतीजे मुख्यमंत्री अखिलेश यादव से खार खाए हुए हैं और वे सपा के चाणक्य अमर सिंह के साथ अखिलेश का पत्ता साफ करने में जुटे हुए हैं वहीे अखिलेश यादव को भरोसा है कि उनके पिता और सपा प्रमुख उनसे कितने ही नाराज हों लेकिन पार्टी हित में काम करने का भरोसा दिलाकर अंत में बाजी जीत लेंगे । शिवपाल सिंह यादव ने अखिलेश विरोधियों समेत ऐसे 175 लोगों को टिकट देकर एक तरह से अखिलेश यादव को चुनौती दे रखी है। सपा सुप्रीमो मुलायम सिंह की चुप्पी का लाभ उठाते हुए अब वे अब अखिलेश यादव को मुख्यमंत्री पद से हटाने के भीबयान देने लगे हैं। वहीं अखिलेश यादव ने अपनी सधी हुई चाल चलते हुए मुलायम सिंह के समक्ष अपने 403 समर्थकों की सूची सौँप दी है, जिनको टिकट दिए जाने की सिफारिश की है। चूंकि शिवपाल सिंह यादव का कहना है कि अंतिम निर्णय नेताजी ही करेंगे तो यह वक्त मुलायम सिंह यादव के लिए परीक्षा की घड़ी साबित होगा।

बेनामी संपत्ति क्या है?

नया कानून कैसे दबोचेगा, क्या मिलेगी सजा

बेनामी संपत्ति पर लोगों के बीच भ्रम है, सिर्फ जानकार लोगा ही इस बेनामी संपत्ति से परिचित हैं। अब जानें कि क्या है बेनामी सम्पत्ति? बेनामी से मतलब ऐसी संपत्ति से है जो असली खरीददार के नाम पर नहीं है। कर से बचने और संपत्ति का ब्योरा न देने के उद्देश्य से लोग अपने नाम से प्रॉपर्टी नहीं खरीदते। जिस व्यक्ति के नाम से यह खरीदी जाती है उसे बेनामदार कहते हैं और संपत्ति बेनामी कहलाती है। बेनामी संपत्ति चल या अचल दोनों हो सकती है। अधिकतर ऐसे लोग बेनामी संपत्ति खरीदते हैं जिनकी पर  आमदनी के स्रोत अधिक धन होता है।
जब संपत्ति खरीदने वाला अपने पैसे से किसी और के नाम पर प्रॉपर्टी खरीदता है तो यह बेनामी प्रॉपर्टी कहलाती है। लेकिन शर्त ये है कि खरीद में लगा पैसे आमदनी के ज्ञात स्रोतों से बाहर का होना चाहिए।  भुगतान चाहे सीधे तौर पर भी किया जाए या फिर घुमा फिराकर।  अगर खरीदार ने इसे परिवार के किसी व्यक्ति या किसी करीबी के नाम पर भी खरीदा हो तब भी ये बेनामी प्रॉपर्टी ही कही जाएगी। सीधे शब्दों में कहें तो बेनामी संपत्ति खरीदने वाला व्यक्ति कानून मिलकियत अपने नाम नहीं रखता लेकिन प्रॉपर्टी पर कब्ज़ा रखता है।
1988 के काननू में किया गया संशोधन इस साल 1 नवंबर से लागू हो गया है। इसके तहत केंद्र सरकार के पास ऐसी प्रॉपर्टी को जब्त करने का अधिकार है। बेनामी संपत्ति की लेनदेन के लिए दोषी पाए गए व्यक्ति को सात साल तक के कैद की सजा हो सकती है और प्रॉपर्टी की बाजार कीमत के एक चौथाई के बराबर जुर्माना लगाया सकता है।
गौरतलब है कि संसद ने अगस्त 2016 में कानून को पारित किया। बेनामी सौदे (निषेध) कानून 1988 का नाम बदलकर बेनामी संपत्ति लेनदेन कानून 1988 हो गया।

अब बेनामी सम्पत्ति पर वार की है तैयारी

पीएम ने दिया संकेत,कोई हीं बच पाएगा

नोट बंदी के साथ कालेधन, सोना के बाद अब बेनामी प्रापर्टी पर वार की तैयारी हो रही है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने मन की बात कार्यक्रम में कहा कि भ्रष्टाचार और बेईमानी से कमाई की बेनामी संपत्ति पर कानून अपना काम करेगा। उन्होंने इस तरह की ताकतें हमेंशा सरकार को हराने की धमकी देतीं रहीं हैं और पिछली सरकारें इनके डर के वजह से कानूनी कार्यवाही नहीं कर पाईं हैं। उन्होंने बताया कि यह कानून 1988 में बन तो गया था लेकिन इसे तबसे लगातार ठंडे बस्ते मेंं डाला जा रहा था। ध्यान देने योग्य बात यह है कि इस पर विचार करना होगा कि 1988 से 2014 तक कांग्रेस की ही सरकारें रहीं और उनके शासनकाल में यह कानून बना लेकिन ठंडे बस्ते में पड़ा रहा क्योंकि उन्हें डर था कि कानून बनाकर सख्ती की तो निश्चित रूप से उनकी हार होगी। लेकिन अब प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने गोवा में अपनी जनसभा में बेनामी संपत्ति वालों को दो टूक चेतावनी देते हुए कह दिया था कि दिल्ली में बैठ अधिकारी का गोवा में प्लाट या फ्लैट नहंीं चलेगा। उन्होंने संपत्ति की खरीददारी में हेराफेरी के बारे में भी चेताया था, उन्होंने दोटूक शब्दों में अब नहीं चलेगा कि प्लाट या फ्लैट खरीदने के लिए खरीददार चेक कितना दे रहा है रोकड़ा कितना दे रहा है। सभी का हिसाब होना है और होगा। मुरादाबाद में कहा ही है कि क्या करेंगे ज्यादा से ज्यादा मुझे सत्ता से हटा देंगे तो हम फकीर हैं अपना झोला उठा कर निकल लेंगे। बेनामी संपत्ति पर पीएम के बयान से देश में हलचल तेज हो गई है। 

Sunday, 25 December 2016

गरीब से गरीब को भी मिले सुख-चैन की जिन्दगी

पीएम ने यूं दीं नववर्ष की शुभकामनाएं

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने मन की बात में देशवासियों को नववर्ष की शुभकामनाएं देते हुए कहा कि मेरे प्यारे देशवासियो, 2017 का वर्ष नई उमंग और उत्साह का वर्ष बने, आपके सारे संकल्प सिद्ध हों, विकास की नई ऊँचाइयों को हम पार करें। सुख चैन की जिन्दगी जीने के लिए गरीब से गरीब को अवसर मिले, ऐसा हमारा 2017 का वर्ष रहे। 2017 के वर्ष के लिये मेरी तरफ से सभी देशवासियों को अनेक-अनेक शुभकामनायें। बहुत-बहुत धन्यवाद।

नोटबंदी का आम जनता और व्यापारियों को पहला लाभ

अब बैँक घटाएंगे ब्याज पर दर,एसबीआई 8.90 परसेंट पर देगी लोन!

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने नोट बंदी के निर्णय के साथ ही कहा था कि थोड़े दिनों की परेशानी के बाद आम लोगों को मेरे इस निर्णय से कई लाभ मिलेंगे। उनकी यह बात सच साबित होने जा रही है। नोट बंदी का पहला लाभ आम जनता को बैंकों के माध्यम से मिलेगा। नोटबंदी के बाद लोगों ने अपनी व्हाइट मनी और ब्लैक मनी बैंकों में जमा करा दी। विदड्राल की लिमिट होने के कारण देश का अधिकांश मध्यम वर्ग इसी लेन-देन में उलझा रहा। ऐसी स्थिति में बैंकों से किसी ने लोन लेने की कोशिश नहीं की। जिन लोगों को लोन लेना बहुत जरूरी था उन्हीं ने लोन लिया और अनावश्यक वस्तुओं के लिए किसी ने लोन लेने की जहमत नहीं उठाई। इस तरह से बैँकों के पास पर्याप्त मात्रा में पूंजी जमा हो गई। उसका मुख्य कारोबार लोन ठप पड़ा है। वर्तमान स्थिति को लेकर बैँकर काफी चिंतित हैं। नए साल के शुरू होने में चंद दिन ही बाकी रह गए हैं। बैंक नए साल को त्यौहारी सीजन बनाने के उद्देश्य से लोन पर ब्याज की दर घटाने के लिए तैयार हैं। एसबीआई की चेयरमैन अरुंधति भट्टाचार्य ने संकेत दिया है कि उनका बैँक सबसे कम ब्याज रखने की तैयारी में है, उन्होंने संकेतों में बताया कि उनका बैंक फिलहाल 8.90 प्रतिशत के ब्याज पर लोन देने की तैयारी कर रहा है जबकि आज के लोन पर ब्याज 14 प्रतिशत तक है। एसबीआई की तर्ज पर अन्य निजी क्षेत्र के बैंक और प्राइवेट बैंक भी लोन पर ब्याज कम करने की रणनीति बनाने में जुटे हुए हैं। 

नोटबंदी: 30 दिसम्बर के बाद भी जारी रहेगी विदड्राल की लिमिट

रिजर्व बैंक पर्याप्त नोट दे पाने में असमर्थ, बैंकरों ने लिमिट बनाए रखने को कहा

नोट बंदी के निर्णय को गत 08 नवंबर को लागू करने के समय प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने 50 दिन का समय मांगा था और कहा था कि 30 दिसम्बर के बाद स्थिति सामान्य हो जाएगी। अभी हाल ही में उन्होंने मुंबई की जनसभा में अपने रुख में थोड़ी तबदीली करते हुए कहा कि 30 दिसम्बर के बाद ईमानदारों की मुश्किलें कम होने लगेंगी यानी पूरी तरह से कम नहीं होंगी बल्कि कम होने लगेंगी। यह स्थिति आज सभी के सामने है कि रिजर्व बैंक फिलहाल बैंकों और एटीएम में पर्याप्त मात्रा में नई करंसी की आपूति करने की स्थिति में नहीं है। हाल की बैठक में बैंकरों ने रिजर्व बैंक से बैँकों और एटीएम से विदड्राल की लिमिट जारी रखने की सिफारिश की है। बैंकरों का कहना है कि यदि लिमिट हटा ली गई तो फिर अफरा-तफरी का माहोल बन जाएगा। केन्द्रीय वित्त सचिव अशोक लावास ने कहा कि 30 दिसम्बर को स्थिति की समीक्षा की जाएगी और उसके बाद ही कोई निर्णय लिया जाएगा। इस बीच बैंकरों ने स्पष्ट रूप से कहा कि वर्तमान स्थिति को अभी कुछ दिन और बनाए रखना होगा। यह स्थिति तब तक बनाए रखनी होगी जब तक पर्याप्त मात्रा में नई करंसी की आपूर्ति बहाल न हो जाए। 

नोटबंदी: बैँक हुए कंगाल और दागी बैंक कर्मी मालामाल

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नोट बंदी के निर्णय से बैंक और बैंक कर्मचारियों से कड़ी परीक्षा हो गई। नोट बंदी से लोगों के पास नकदी कम होने के कारण कारपोरेट लोन, पर्सनल लोन लेना ही बंद कर दिया जबकि बैंक कर्मियों में से दागी बैंक कर्मियों ने नोट बंदी की आड़ में काले धन को सफेद बनाने के खेल में अपनी चांदी बना ली। बैंक जहां अपनी साख बचाने के लिए रिजर्व बैंक से उपाय करने का आग्रह कर रहे हैं। सरकार से गुहार कर रहे हैं। वहीं तिकड़मी चाल से मालामाल हुए बैँक कर्मियों की धरपकड़ हो रही है। इससे दागी कर्मचारियों वाली बैंकों की साख भी जनमानस में धूमिल हो रही है क्योंकि बैंक का व्यवसाय विश्वास का होता है। निजी क्षेत्र के बैंकों को इस अवधि में 17000 करोड़ की आय कम हुई। गत 17 दिसम्बर को सरकार के साथ हुई बैंकरों की बैठक में बैंकरों ने मौजूदा स्थिति पर चिंता जताते हुए सरकार से बैंकों के प्रमोशन के लिए उपाय करने का आग्रह किया। सरकार ने हरसंभव उपाय करने का आश्वासन भी दिया है।
रिजर्व बैंक द्वारा जारी आंकड़ों के अनुसार गत अप्रैल से दिसम्बर 2016 में बैँकों का कारोबार मात्र 1.2 प्रतिशत यानी 73 लाख करोड़ रुपये ही बढ़ सकता जबकि 2015 की इसी अवधि में बैंकों के कारोबार में 6.2 प्रतिशत यानी 69.9 लाख करोड़ रुपये की बढ़ोत्तरी हुई थी। इससे पूर्व के वर्ष में तो बैंकों ने खासी कमाई की थी और उनका कारोबार 13.6 प्रतिशत यानी 105.9 लाख करोड़ रुपये तक बढ़ा था। 

अटलजी को जन्म दिन पर श्रद्धांजलि!


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फिर विवादों में आईं भाजपा की मेयर भारती

जीवित व्यक्ति के जन्म दिन पर श्रद्धांजलि? आप भी चौंक गए होंगे लेकिन यह सच है कि 25 दिसम्बर को जन्म दिन के अवसर पर आयोजित समारोह में हमारे जननेता और पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी को भाजपा की ही मेयर ने श्रद्धांजलि अर्पित करके उपस्थित भाजपा नेताओं सहित समस्त गणमान्यजनों को चौंका दिया। भाजपा नेताओं की तो त्यौंरियां ही चढ़ गईं। बसपा के एक बुजुर्ग नेता ने मेयर को जाकर कहा कि अब आपको जनसभा में भाषण देना बंद कर देना चाहिए।
यह वाक्या है अलीगढ़ के इगलास का जहां के धर्मज्योति महाविद्यालय में 23 दिसम्बर के अवसर पर बुजुर्ग नेताओं महामना मदन मोहन मालवीय और अटल बिहारी वाजपेयी के जन्म दिन का कार्यक्रम आयोजित किया जा रहा है। इकोनामिक टाइम्स के अनुसार अलीगढ़ में भाजपा की मेयर श्रीमती शकुंतला भारती समारोह को संबोधित करने को खड़ी हुईं तो उन्होंने पहले ही शब्द में कहा,‘‘भारत के पूर्व प्रधानमंत्री हमारे बीच नहीं रहे लेकिन उनकी यादे हैं’’ यह सुनते ही वहां मौजूद लोगों में सन्नाटा खिंच गया। सभी लोग मेयर की मुंह की ओर ताकने लगे। भाजपा नेताओं के चेहरे लाल हो गए। इस अवसर पर उपस्थित पूर्व जिला पंचायत और बसपा नेता ने स्थिति संभाली और मेयर से भविष्य में जनसभा को संबोधित न करने की सख्त हिदायत भी दे डाली। जब लोगों ने मेयर से ऐसी गलती के बारे में पूछा तो वह अंजान बनती हुई बोली कि हमने तो ऐसा कुछ भी नहीं कहा जब उन्हें वीडियो दिखाया गया तो तब उन्होंने अपनी गलती मानते हुए सफाई दी कि वह ये शब्द मालवीय जी के लिए बोलना चाहतीं थीे लेकिन उनके मुंह से गलती से अटलजी का नाम निकल गया। उन्होंने कहा कि वह अटलजी का बहुत सम्मान करतीं हैं,मुझसे बहुत बड़ी गलती हो गई और वह इसके लिए बिना शर्त माफी मांगतीं हैं। 
मीडिया रिपोर्टों की बात मानें तो मेयर भारती हमेशा सुर्खियों में रहने के लिए कुछ न कुछ ऐसी ही अटपटी बातें करतीं रहतीं हैं। वे फायरब्रांड नेता की भूमिका निभाने को आतुर रहतीं हैं। गत फरवरी माह में उन्होंने संवेदनशील अलीगढ़ जिले में साम्प्रदायिक माहौल उत्पन्न करने के लिए आरोप लगाया कि अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय में गौमांस परोसा जाता है। यही नहीं उन्होंने उसके बाद जून माह में आरोप लगाया कि अलीगढ़ मुस्लिम विश्व विद्यालय के कर्मचारियों ने गौ हत्या कर दी और एक छोटे मंदिर को भी तोड़ डाला। मेयर भारती की इस हरकत से भाजपा स्वयं को शर्मिन्दा महसूस कर रही है।

मोदी बांटेंगे स्मार्ट फोन और फ्री डेटा!

आगामी पांच राज्यों में होने वाले विधानसभा चुनाव और नोटबंदी को लेकर हो रही चर्चा के बीच एक चौंकाने वाली खबरों के संकेत मिल रहे हैं। अपुष्ट सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार ऐसा माना जा रहा है कि क्रिसमस डे से शुरू की गई डिजिटल पेमेंट को बढ़ावा देने वाली दो ईनामी योजनाओं का केन्द्र सरकार सियासी लाभ उठाएगी। ऐसे संकेत मिल रहे हैं कि चुनावी आचार संहिता लगने से पहले शुरू की गई इन दो योजनाओं के माध्यम से प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी चुनाव प्रभावित क्षेत्रों सहित अन्य क्षेत्रों के लोगों को स्मार्ट फोन ओर फ्री डेटा को ईनाम के तौर पर देने जा रहे हैं। इसकी घोषणा आगामी 1 फरवरी को पेश होने वाले आम बजट में की जा सकती है। ऐसा माना जा रहा है कि टेलिकॉम कंपनियों से मिलने वाले लाभ के हिस्से के एक भाग को इस काम में लाया जाएगा और लाखों स्मार्ट फोन बांटे जा सकते हैं। ये स्मार्ट फोन किसानों,मजदूरों और गांव में रहने वालों को इसलिए दिए जाएंगे ताकि वे लोग डिजिटल पेमेंट के लिए जागरुक हो सकें। सरकार की इस योजना को संबंधित मंत्रालय अमली जामा देने में लगे हुए हैं। 

सियासी दंगल: अखिलेश का पत्ता काटने में जुटे हैँ शिवपाल

चुनाव के बाद विधायक तक करेंगे राज्य का नया मुख्यमंत्री 

समाजवादी पार्टी में राजनीतिक उठापटक खत्म होने का नाम नहीं ले रह है। अभी दो दिन पहले ही मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने अपने समर्थक विधायकों को टिकट दिलाने का आश्वासन दिया था। उस पर पलटवार करते हुए चाचा शिवपाल सिंह यादव जो प्रदेश में विधानसभा चुनाव के लिए टिकट भी बांट रहे हैं। उन्होंने संकेत दिया है कि विधानसभा चुनाव के बाद चुने गए विधायक ही अपना नेता चुनकर उसे मुख्यमंत्री बनाएंगे। इसका सीधा सा मतलब है कि अगले मुख्यमंत्री अखिलेश यादव नहीं बनने वाले क्योंकि शिवपाल सिंह यादव अखिलेश विरोधियों को खुल कर टिकट बांट रहे हैं। मुख्यमंत्री अखिलेश यादव के अपने समर्थक विधायकों को दिए आश्वासन के ठीक उलट शिवपाल सिंह यादव का कहना है कि टिकट केवल मेरे और मुलायम सिंह यादव के नजदीकियों को ही मिलेंगे। इसमें किसी का हस्तक्षेप स्वीकार नहीं किया जाएगा। इस तरह की रणनीति पर सपा चली तो निश्चित रूप से अगला मुख्यमंत्री पद अखिलेश यादव को नहीं मिलेगा। दूसरी ओर सपा के चाणक्य अमर सिंह कांग्रेस से तालमेल करके मुलायम सिंह यादव को मुख्यमंत्री बनवाने की फिराक में हैं।