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Thursday, 29 December 2016

बगावत है, अदावत है या बनावट है?

चुनाव सिर पर और सपा में महासंग्राम चरम पर 

समाजवादी पार्टी में महासंग्राम चल रहा है। यादव परिवार की ये महाभारत अब चरम पर पहुंचने वाली है। पिता पुत्र के संग्राम में आजम खां मध्यस्थ की भूमिका निभाने को आगे आ गए हैं। सपा सुप्रीमों मुलायम सिंह यादव ने अखिलेश और उनके समर्थकों को दरकिनार करते हुए शिवपाल सिंह यादव की पीठ पर हाथ फेरते हुए अपनी मनमानी की और अपने 325 लोगों के टिकट बांट दिए। इससे नाराज होकर अखिलेश यादव ने अपने 225 समर्थकों के जवाबी टिकट बांट दिए। साथ ही उन्होंने एक तरह से अल्टीमेटम दे दिया है कि अब पानी सिर के ऊपर से जाने वाला है। हो सके तो अभी नेताजी स्वयं को संभाल लें वरना पार्टी तो टूटेगी ही और साथ ही में साइकिल भी छीन लूंगा। अब मैं बच्चा नहीं हूं। पांच साल तक मुख्यमंत्री की कुर्सी पर बैठकर और विरासत में मिले जीन्स से इतना तो समझ ही गया हूं कि राजनीति कैसे की जाती है और जब पार्टी के एक अन्य संस्थापक चाचा राम गोपाल यादव साथ हों तो फिर अखिलेश के लिए डरने की क्या बात है। इसलिए अखिलेश यादव की धमकी को कोरी धमकी नहीं माना जा सकता है। सत्ता में होने के कारण अखिलेश यादव की विधायकों के साथ सांसदों पर अच्छी पकड़ है। इसके अलावा पार्टी के वे नेता भी अखिलेश यादव के साथ हैं जो स्वस्थ राजनीति करना चाहते हैँ। जिन्हें अतीक अहमद जैसे लोगों से लगाव नहीं है। वहीं महासंग्राम को देख कर आजम खान परेशान हैं और उन्होंने नेताजी को सलाह दी है कि वक्त रहते इसे निपटा लें तो ठीक ही रहेगा वरना पार्टी को जबर्दस्त नुकसान होगा। 

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