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Tuesday, 27 December 2016

क्या राजनीतिक दलों की बारी आ गई?

ये पब्लिक है सब जानती है, अच्छी तरह समझ लेें राजनीतिज्ञ:मोदी

गत आठ नवबंर को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने नोटबंदी के निर्णय की घोषणा की थी तभी लोगों ने यह अंदाजा लगाना शुरू कर दिया था कि हो न हो यह खेल आने वाले पांच राज्यों के विधानसभा चुनावों में कालेधन के दुरुपयोग को रोकने के लिए हुआ था। इससे पहले कांग्रेस के राज में आय से अधिक स्रोत पर आयकर विभाग सपा प्रमुख औ बसपा प्रमुख के खिलाफ कई बार अपनी कार्रवाई कर चुका है। अब बसपा के खाते में अचानक 104 करोड़ की रकम जमा होने और आम आदमी पार्टी के चंदे की सूची गायब होने से जो कोहराम मचा है,उससे तो यही संकेत मिलता है कि अब राजनीतिक दलों को भी घेरा जाएगा। इसके तत्काल बाद प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने देहरादून के अपने भाषण में दो टूक शब्दों में कहा है कि राजनेता अच्छी तरह से समझ लें कि अब पुराना जमाना गुजर गया है, ये पब्लिक है सब जानती है। मन की बात में भी श्री मोदी ने यह संकेत दिया था कि राजनीतिक दलों को कोई खास छूट नहीं है। कानून सबके लिए समान है। राजनीतिक दलों के कानून में भी संशोधन किया जा सकता है। सरकार का इरादा तो 20 हजार की जगह 2000 का चंदा देने वाले का हिसाब रखा जाए। हाल में चुनाव आयोग ने 257 राजनीतिक दलों को डीलिस्टेड करके आयकर विभाग से उनकी जांच पड़ताल करने को कहा है। चुनाव आयोग ने यह आशंका जताई है कि ये राजनीतिक दल लोगों के कालेधन को सफेद करने का मशीन बने हुए हैं। इनमें से अधिकांश ऐसे दल हैं जिन्होंने दशकों से कोई चुनाव नहीं लड़ा है। ऐसे भी अधिक दल है जिन्होंने कोई चुनाव नहंीं जीता है। एक समाचार पत्र में रिपोर्ट दी थी कि अनेक दलों के कार्यालय परचून की दूकान, मेडिकल स्टोर में चल रहे थे। बहुत से दलों के नेता दूसरे दलों से चुनाव लडक़र चुनाव जीत चुके हैं और अपने दल को पेंडिंग में डाले हुए हैं। अब सवाल उठता है कि यदि राजनीतिक दलों को आयकर के दायरे में लाया गया तो अवश्य ही देश की अर्थव्यवस्था में चांर चांद लग जाएंगे।

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