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Monday, 26 December 2016

बेनामी संपत्ति क्या है?

नया कानून कैसे दबोचेगा, क्या मिलेगी सजा

बेनामी संपत्ति पर लोगों के बीच भ्रम है, सिर्फ जानकार लोगा ही इस बेनामी संपत्ति से परिचित हैं। अब जानें कि क्या है बेनामी सम्पत्ति? बेनामी से मतलब ऐसी संपत्ति से है जो असली खरीददार के नाम पर नहीं है। कर से बचने और संपत्ति का ब्योरा न देने के उद्देश्य से लोग अपने नाम से प्रॉपर्टी नहीं खरीदते। जिस व्यक्ति के नाम से यह खरीदी जाती है उसे बेनामदार कहते हैं और संपत्ति बेनामी कहलाती है। बेनामी संपत्ति चल या अचल दोनों हो सकती है। अधिकतर ऐसे लोग बेनामी संपत्ति खरीदते हैं जिनकी पर  आमदनी के स्रोत अधिक धन होता है।
जब संपत्ति खरीदने वाला अपने पैसे से किसी और के नाम पर प्रॉपर्टी खरीदता है तो यह बेनामी प्रॉपर्टी कहलाती है। लेकिन शर्त ये है कि खरीद में लगा पैसे आमदनी के ज्ञात स्रोतों से बाहर का होना चाहिए।  भुगतान चाहे सीधे तौर पर भी किया जाए या फिर घुमा फिराकर।  अगर खरीदार ने इसे परिवार के किसी व्यक्ति या किसी करीबी के नाम पर भी खरीदा हो तब भी ये बेनामी प्रॉपर्टी ही कही जाएगी। सीधे शब्दों में कहें तो बेनामी संपत्ति खरीदने वाला व्यक्ति कानून मिलकियत अपने नाम नहीं रखता लेकिन प्रॉपर्टी पर कब्ज़ा रखता है।
1988 के काननू में किया गया संशोधन इस साल 1 नवंबर से लागू हो गया है। इसके तहत केंद्र सरकार के पास ऐसी प्रॉपर्टी को जब्त करने का अधिकार है। बेनामी संपत्ति की लेनदेन के लिए दोषी पाए गए व्यक्ति को सात साल तक के कैद की सजा हो सकती है और प्रॉपर्टी की बाजार कीमत के एक चौथाई के बराबर जुर्माना लगाया सकता है।
गौरतलब है कि संसद ने अगस्त 2016 में कानून को पारित किया। बेनामी सौदे (निषेध) कानून 1988 का नाम बदलकर बेनामी संपत्ति लेनदेन कानून 1988 हो गया।

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