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Monday, 19 December 2016

बेइमानों के हिमायती हैं विपक्षी दल:मोदी

संसद जाम करके सरकारी काम में बाधा डाली गई

लोकतंत्र में जनता की अदालत सबसे बड़ी होती है। यही जनता देश के राजनीतिज्ञों की तकदीर का फैसला करती है। जनता की इस कमजोरी को भांप कर चतुर खिलाड़ी की भांति प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने जनसभा में विपक्षी दलों पर करारा प्रहार करते हुए नैतिकता और चरित्र की सियासत खेल दी। नोटबंदी के सख्त फैसले से तिलमिलाए लोगों के जेहन में अपनी  और अपनी पार्टी के चरित्र को सुन्दर ढंग से पेश करते हुए विपक्ष को घेरते हुए कहा कि विपक्ष का काम सरकार की गलत नीतियों और जनता के हित में अपनी आवाज संसद में रखना और तर्क-वितर्क से अपनी बात मनवाना परन्तु यह कैसा विपक्ष है जो बेइमानों की हिमायत कर रहा है। यूपीए के कार्यकाल में हम विपक्ष में थे तो हमारी पार्टी ने सरकार के घोटालों,दलाली,भ्रष्टाचार और कालेधन के खिलाफ संसद मेंं आवाज उठाई और सरकार की हठधर्मिता के खिलाफ संसद की कार्यवाही रोकी लेकिन किसी संवैधानिक हस्तियों के हस्तक्षेप पर जनहित को देखते हुए संसद की कार्यवाही भी चलवाई किन्तु अबके इस विपक्ष ने सारी नैतिकता को ताक पर रखते हुए बेइमानों के पक्ष में संसद को पूरे माह तक जाम कर रखा। राष्ट्रपति की अपील को भी दरकिनार करते हुए चंद बेइमान समर्थक विपक्षी नेताओं ने अपनी निजी स्वार्थपरक नीेति के चलते अपनी मनमानी करते हुए संसद नहीं चलने दी। कानपुर में पहले इंडियन इंस्टीट्यूट आफ स्किल्स (आईआईएस) का शुभारंभ करने के बाद आयोजित जनसभा को सम्बोधित करते हुए कहा कि पहले भी संसद की कार्यवाही रोकी गई, तब विपक्षी दल भ्रष्टाचार के खिलाफ लडऩा चाहते थे, घोटालों का पर्दाफाश करने और उसमें शामिल लोगों को दंडित करने की मांग के लिए अपनी आवाज उठाते थे। लेकिन आज  पहली बार संसद में बेइमानों के पक्ष में आवाज उठाई जाती है। परिवर्तन रैली में श्री मोदी ने कहा कि आज सरकार बेइमानों को दंडित करना चाहती है तो विपक्षी दल इन बेइमानों को बचाने के लिए एकजुट हो रहे हैं और सरकार को अपना काम नहीं करने दे रहे हैं। उन्होंने नोटबंदी के फैसले का जिक्र करते हुए कहा कि आज चंद राजनीतिज्ञ बेइमानों, कालेधन वालों को बचाने के लिए इस निर्णय का विरोध कर रहे हैं जबकि पूरा देश ईमानदारी के लिए कष्ट उठाने को तैयार है। उन्होंने कहा कि कांग्रेसी यह कहते नहीं अघाते कि हमारे नेता राजीव गांधी कंप्यूटर युग के जनक है और वही इस टेक्नोलॉजी को लाए हैं, यह बात सही है तो उन्होंने कैशलेस इकोनॉमी का प्रयोग क्यों नहीं किया। उस समय जब यह सुझाव दिया गया कि सभी लोगों के पास मोबाइल फोन होने चाहिए तब इस सुझाव का मजाक उड़ाया गया था अब यह हकीकत हो गई है कि अमीर-गरीब सभी के पास मोबाइल फोन हैं। इसी कारण आज कैशलेस या लेशकैस सोसायटी बनाने पर जोर दिया जा रहा है।

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