अटकलों के बीच व्यवसाइयों ने अपनी तैयारियों को दी रफ्तार
नोट बंदी की गर्मागर्म चर्चा के बीच नए साल का जश्न कैसा होगा? इस बात पर चर्चा चारों ओर तेजी से हो रही है। हर एक के दिल में यह भय सता रहा है कि यदि इस बार अधिक धन खर्च किया तो भी सरकार के राडार में आ जाएंगे। पहले तो नोट होते थे पता नहीं चलता था कि कितना किस व्यक्ति ने खर्च कर दिया। लेकिन अब डिजिटल पेमेंट से हरेक व्यक्ति सरकार के राडार में आ जाएगा और जिसने अधिक खर्च किया वही आयकर कानून के जाल में फंस जाएगा।नोटबंदी से उत्पन्न नोटों की समस्या को दूर करने के लिए व्यापारियों ने नए साल के जश्न के लिए युवाओं को आकर्षित करने के लिए अपनी तैयारियां तेज कर दीं हैं। व्यापारियों का मानना है कि नए साल का जश्न युवा ही मनाते हैं और वे मोबाइल, डेबिट कांर्ड, क्रेडिट कार्ड से लैस हैं। इसके बावजूद आयकर का शिकंजा ऐसा है जो उनके व्यवसाय पर असर डाल सकता है। हरेक के दिमाग में आयकर कानून का डर अवश्य बैठा है। शायद इसी को जानकर सरकार ने 30 दिसंबर के बाद पुराने नोटों पर नजर रखने और उसे दंडनीय मुद्रा बनाने के उद्देश्य से अध्यादेश लाने का मन बना लिया है। इसके अलावा जिस तरह से बसपा नेता की अकूत संपत्ति का खुलासा करके कानूनी कार्यवाही शुरू कर दी गई है। इससे यह स्पष्ट संदेश है कि कोई भी व्यक्ति कालाधन का खर्चकरके नहीं बच पाएगा।
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