नमक के लिए दंगे करा दिए, पर जनता उकसावे में नहीं आई
जनता जनार्दन की ओर से मिले फीडबैक और सुझाव व सलाह वाले पत्रों को प्राथमिकता देते हुए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का कहना है कि मैं हर महीने ‘मन की बात’ के पहले लोगों से आग्रह करता हूँ कि आप मुझे अपने सुझाव दीजिये, अपने विचार बताइए और हजारों की तादाद में रू4त्रश1 पर और हृड्डह्म्द्गठ्ठस्रह्म्ड्डरूशस्रद्ब्रश्चश्च पर इस बार जो सुझाव आये, मैं कह सकता हूँ 80-90 प्रतिशत सुझाव भ्रष्टाचार और काले धन के खिलाफ की लड़ाई के संबंध में आये, नोटबंदी की चर्चा आयी। इन सारी चीजों को जब मैंने देखा कि कुछ लोगों ने जो मुझे लिखा है, उसमें नागरिकों को कैसी-कैसी कठिनाइयाँ हो रही है, कैसी असुविधायें हो रही हैं। इसके संबंध में विस्तार से लिखा है। लिखने वालों का दूसरा तबका वो है जिन्होंने ज्यादातर उन बातों पर बल दिया है कि इतना अच्छा काम, देश की भलाई का काम, इतना पवित्र काम, लेकिन उसके बावजूद भी कहाँ-कहाँ कैसी-कैसी धांधली हो रही है, किस प्रकार से बेईमानी के नये-नये रास्ते खोजे जा रहे हैं, इसका भी जिक्र लोगों ने किया है। और तीसरा वो तबका है जिन्होंने जो हुआ है, उसका तो समर्थन किया है लेकिन साथ-साथ ये लड़ाई आगे बढऩी चाहिये। भ्रष्टाचार, काला धन पूर्णत: नष्ट होना चाहिये, इसके लिए और कठोर कदम उठाने चाहिये तो उठाने चाहिये, ऐसा बड़ा ही बल दे करके लिखने वाले लोग भी हैं। प्रधानमंत्री ने देशवासियों का आभारी जताया कि उन्होंने इतनी सारी चि_ियाँ लिख करके सरकार की मदद की है। श्रीमान गुरुमणि केवल ने लिखा है काले धन पर लगाम लगाने का ये कदम प्रशंसा के योग्य है। हम नागरिकों को परेशानी हो रही है, लेकिन हम सब भ्रष्टाचार के खिलाफ लड़ रहे हैं और इस लड़ाई में हम जो सहयोग दे रहे हैं, उससे हम खुश हैं। हम भ्रष्टाचार, काला धन इत्यादि के खिलाफ सेना की तरह लड़ रहे हैं। इस पत्र में जो बात लिखी है देश के हर कोने में से यही भावना उजागर हो रही है। हम सब इसको अनुभव कर रहे हैं। लेकिन ये बात सही है जब जनता कष्ट झेलती है, तकलीफ झेलती है तो कौन इंसान होगा जिसको पीड़ा न होती हो। जितनी पीड़ा आपको होती है, उतनी ही पीड़ा मुझे भी होती है। लेकिन एक उत्तम ध्येय के लिये, एक उच्च इरादे को पार करने के लिये, साफ नीयत के साथ जब काम होता है तो ये कष्ट के बीच, दुख के बीच, पीड़ा के बीच भी देशवासी हिम्मत के साथ डटे रहते हैं। ये लोग ही असल में बदलाव के पुरोधा हैं। मैं लोगों को एक और कारण के लिये भी धन्यवाद देता हूँ कि उन्होंने न केवल परेशानियाँ उठाई हैं, बल्कि उन चुनिन्दा लोगों को करारा जवाब भी दिया है, जो जनता को गुमराह करने की कोशिश कर रहे हैं। कितनी सारी अफवाहें फैलाईं गई। भ्रष्टाचार और काले धन जैसी लड़ाई को भी साम्प्रदायिकता के रंग से रंगने का भी कितना प्रयास किया गया। किसी ने अफवाह फैलाई नोट पर लिखी स्पेलिंग गलत है, किसी ने कह दिया नमक का दाम बढ़ गया है, किसी ने अफवाह चला दी 2000 के नोट भी जाने वाली है, 500 और 100 के भी जाने वाली है, ये भी फिर से जाने वाला है, लेकिन मैंने देखा भाँति-भाँति अफवाहों के बावजूद भी देशवासियों के मन को कोई डुला नहीं सका है। इतना ही नहीं, कई लोग मैदान में आए, अपने बुद्धि शक्ति के द्वारा अफवाह फैलाने वालों को भी बेनकाब किया, अफवाहों को भी बेनकाब कर दिया और सत्य लाकर के खड़ा कर दिया।
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