प्रधानमंत्री को इतना घुमा-फिरा कर क्यों लेना पड़ा ये कठोर निर्णय
हालांकि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने नोट बंदी का निर्णय काला धन को बाहर निकालने और धनकुबेरों को पकडऩे के लिए लिया था। अब चूंकि 50 दिन पूरे होने जा रहे हैं और काला धन बाहर निकलनेकी जगह पूरा धन बाहर आ गया है। सरकार के अनुमान के मुताबिक तीन लाख करोड़ रुपये का काला धन होना था लेकिन अब पुराने 500 और 1000 के नोटों में से केवल 1.4 लाख करोड़ रुपये आने शेष हैं। अभी तो तीन दिन 30 दिसंबर के बाकी हैं। उसके बाद 31 मार्च की अवधि में भी 90 दिन बाकी है। इतनी अवधि में यदि यह धन भी सरकार या बैँकों के पास पहुंच जाता है तो फिर काला धन कहां गया। इसको लेकर सरकार को करारा झटका लग सकता है। यह झटका मोदी सरकार की इमेज पर बहुत भारी पड़ेगा क्योंकि अगले एक माह बाद उत्तर प्रदेश सहित पांच राज्यों के चुनाव होने वाले हैं। ये चुनाव मोदी सरकार के आधे कार्यकाल पर जनादेश् होंगे तथा आने वाले 2019 के लोकसभा चुनाव के लिए संकेत होंगे। इन नतीजों के बाद विश्लेषणकर्ताओं ने ये अनुमान लगाया है कि नोटबंदी का बड़ा फैसला न तो काले धन के खिलाफ था न ही नकली मुद्रा के खिलाफ था बल्कि सिर्फ आयकर वंचकों के खिलाफ था। आयकर वंचकों को पकडऩा आसान नहीं है फिर भी सरकार मकान और वाहनों की गणना करके आयकर वंचकों कोपकडऩे का अभियान जल्द ही छेडऩे वाली है।
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